Angrezi Medium Movie Review:बेमिसाल एक्टिंग और इमोशन्स का तड़का है इरफान खान की अंग्रेजी मीडियन, फिल्म देखने से पहले जरूर पढ़ें रिव्यू
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: March 12, 2020 01:13 PM2020-03-12T13:13:15+5:302020-03-12T13:39:25+5:30
Angrezi Medium Movie Review: इरफान खान (Irrfan Khan) उन एक्टर्स में से हैं जो बहुत ही आसानी के साथ आपको हंसाने और रुलाने की कूव्वत रखते हैं, जानें कैसी है इरफान खान, दीपक डोबरियाल और करीना कपूर की 'अंग्रेजी मीडियम'...
कलाकारः इरफान खान, दीपक डोबरियाल, राधिका मदान, करीना कपूर, डिंपल कपाड़िया, पंकज त्रिपाठी और कीकू शारदा
डायरेक्टरः होमी अदजानिया
रेटिंगः 3.5/5
Angrezi Medium Movie Review: इरफान खान (Irrfan Khan) उन एक्टर्स में से हैं जो बहुत ही आसानी के साथ फैंस को हंसाने और रुलाने का काम अच्छे से जानते हैं। अपनी एक्टिंग के साथ साथ इरफान इमोशन्स के साथ भी पर्दे पर फैंस को दीवाना कर जाते हैं। इस बार इरफान फैंस को दीवाना करने के लिए फिल्म अंग्रेजी मीडियम लेकर आए हैँ। ये वो फिल्म जिसको बीमारी के बाद एक्टर ने शूट किया था। ऐसे में फैंस के लिए भी ये बेहद खास है। आइए जानते हैं बाप बेटी के रिश्ते पर बनी ये फिल्म कैसी है-
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी है उदयपुर के रहने वाले चंपक बंसल (इरफान खान) की। चंपल नेमाने घसीटाराम मिठाईवाले के पोते के रूप में मिठाई की दुकान चलाता है। चंपक की पत्नी का देहांत हो चुका है। अब उसकी दुनिया उसकी बेटी तारिका(राधिका मदान) के आस पास ही घूमती रहती है। उसकी बेटी का सपना है कि वह लंदन पढ़ने जाए। बेटी को पालने-पोसने और मिठाई की दुकान चलाने के साथ-साथ उसे अपने दूसरे घसीटाराम भाई-बंधुओं के साथ अदालत में नाम और संपत्ति के मुकदमे भी लड़ने पड़ते हैं।
इन मुकदमों में उसका कजिन भाई गोपी (दीपक डोबरियाल) उसके जी का जंजाल बना हुआ है। कॉलेज की टॉपर बनने के बाद तारिका लंदन जाने के लिए कमर कस लेती है। एक दिन उसको वहां जाने का मौका भी मिल ही जाता है। ऐसे में चंपक भी बेटी के साथ चल देता है। इस सफर में गोपी भी उसका साथ देता है। लेकिन लंदन पहुंचने के बाद चंपक को क्या परेशानी होती है इसके लिए फिल्म देखनी होगी।
निर्देशन
फिल्म का निर्देशन बहुत ही बेहतरीन है। फिल्म के छोटे छोटे सीन्स आपको छू जाएंगे। फिल्म के निर्देशक होमी अदजानिया ने यंग जनेरेशन को मैसेज दिया है कि एक बाप बेटी के बीच किस तरह से प्यार का रिश्ता हो सकता है। फिल्म की कुछ चीजें इमोशनल करने वाली हैं। निर्देशक ने फिल्म को काफी कसने की कोशिश की है।
कैसी है फिल्म
फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी ज्यादा अच्छा है। ये पूरा मनोरंजन से भरा हुआ है। मगर सेकंड हाफ में कहानी ड्रैग होने लगती है। मध्यांतर के बाद कई ट्रैक्स और चरित्रों की एंट्री होती है। क्लाइमैक्स भी बहुत ज्यादा मजेदार नहीं लगता है। छोटे शहर की मानसिकता, बोलचाल और पहनावे को उन्होंने किरदारों के साथ खूबसूरती से बुना है। लेकिन फिर भी फिल्म आपको पसंद आने वाली है।