पाकिस्तान में अक्षय कुमार की 'पैडमैन' पर लगा बैन तो ट्विटर पर फूटा महिलाओं का गुस्सा!
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 11, 2018 03:34 PM2018-02-11T15:34:39+5:302018-02-11T15:35:36+5:30
पाकिस्तान में पैडमैन बैन किए जाने पर महिलाएं बोली- यहां भी औरतों को पीरिएड्स होते हैं। इसमें गैर-इस्लामिक कुछ भी नहीं है।
सैनिटरी पैड जैसे अनछुए विषय पर बनी अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन पूरे भारत में 9 फरवरी को रिलीज हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान में इस फिल्म पर बैन लगा दिया गया है। पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ ट्विटर पर लोगों ने गुस्से का इजहार किया। पाकिस्तानी महिलाओं ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। ज्यादातर का मानना है कि एक अच्छे विषय पर फिल्म बनाई गई है। इसको बैन किए जाने का कोई तुक नहीं बनता।
पाकिस्तानी पत्रकार आमरा अहवद ने ट्विटर पर लिखा, 'हां, पाकिस्तानी औरतों को भी पीरिएड्स होते हैं। मैं पैडमैन और महिलाओं की माहवारी में साफ सफाई का समर्थन करती हूं। पाकिस्तान में पैडमैन को बैन किए जाने का कोई तुक नहीं बनता। इसे रिलीज किया जाए।'
Yes, Pakistani Women menstruate too. I support #Padman and menstrual hygiene. Ban on @PadManTheFilm in Pakistan is senseless. Release it now. pic.twitter.com/KpsTL6Rc3a
— Ammara Ahmad (@ammarawrites) February 10, 2018
एक और महिला पत्रकार ग़रीदा फारुकी अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखती हैं कि ये फिल्म हमारी संस्कृति और परंपरा के खिलाफ हैं... क्योकि यहां की औरतों को तो माहवारी होती नहीं है। सेंसर बोर्ड का बेवकूफी भरा फैसला है। पैडमैन को पाकिस्तान में रिलीज किया जाना चाहिए।
"Against our traditions & culture" Oh well, coz women don't menstruate here... What stupid people sitting at Censor Board ! #PadMan must be allowed in Pakistan ! https://t.co/S7PUfBV9ak
— Gharidah Farooqi (@GFarooqi) February 10, 2018
मेहर तरार ने लिखा, 'पैडमैन को पाकिस्तान में बैन किया जाना बेहद बचकाना फैसला है। इसका सीधा असर पाकिस्तानी सिनेमा के बिजनेस पर पड़ेगा।' उन्होंने लिखा कि माहवरी जिंदगी की सच्चाई है। यह अनैतिक या गैर-मजहबी बिल्कुल नहीं है।
Banning PadMan in Pakistan is another one of those illogical things that simply affect the business of cinemas in Pakistan.
— Mehr Tarar (@MehrTarar) February 10, 2018
Menstruation is a fact of life, and bringing it to mainstream consciousness is neither immoral nor un-Islamic.
एक और पाकिस्तानी पत्रकार मोना अलम लिखती हैं कि यह फैसला पाकिस्तानी फिल्म निर्माताओं की असुरक्षा, अशिक्षा और दोहरे रवैये को दर्शाती है। क्योंकि यहां भौंडे आइटम नंबर से तो दिक्कत नहीं है लेकिन माहवारी जैसे सामाजिक विषय पर आधारित फिल्म गैर-इस्लामिक हो जाती है।
Insecurity, illiteracy & double standards of #Pakistani filmmakers who're okay with dirty raunchy item numbers but consider "unislamic" to film a social awareness topic of #menstruation on #WomenEmpowerment
— Mona Alam (@MonaAlamm) February 10, 2018
Censor board, 👎move#Padman banned in #Pakistanhttps://t.co/MHfDx1zVys
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने पैडमैन की रिलीज को अनुमति देने से मना कर दिया था। बोर्ड का मानना है कि यह फिल्म पाकिस्तान की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है। बता दें कि यह फिल्म तमिलनाडु के रहने वाले अरुणाचलम गुरुगनथम की जिंदगी पर आधारित है जिन्होंने महिलाओं के लिए सस्ते सैनिटरी पैड बनाने वाली मशीन का आविष्कार किया।
*ANI से इनपुट्स लेकर