Teachers Day Special: टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते पर बनीं हैं ये पांच फ़िल्में, जो हैं बेहद खास
By विवेक कुमार | Published: September 5, 2018 07:26 AM2018-09-05T07:26:53+5:302018-09-05T09:16:52+5:30
Teachers Day 2018 5 Best Movie to Watch: बॉलीवुड में भी टीचर्स डे का बेहद खास महत्व है अब तक कई फ़िल्में गुरु और शिष्य पर बन चुकी है। जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया है।
भारत में हर साल 5 सितम्बर को टीचर्स डे मनाया जाता है। एक गुरु के बिना किसी भी लक्ष्य को पाना मुश्किल है। 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन का जन्मदिन है। उन्हीं के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वह एक शिक्षक भी थे। उनका कहना था कि कहीं से भी ज्ञान मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। वहीं बॉलीवुड में भी टीचर्स डे का बेहद खास महत्व है अब तक कई फ़िल्में गुरु और शिष्य पर बन चुकी है। जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया है। वहीं इनमें से कुछ ऐसी भी फ़िल्में हैं जो स्कूल के सख्त नियमों को भी दिखाती है।
1- तारे जमीन पर- आमिर खान द्वारा निर्देशित साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'तारे जमीन पर' की कहानी एक टीचर और स्टूडेंट की है। फिल्म में स्कूल के कड़े नियमों और पेरेंट्स का अपने बच्चों पर प्रेशर को बखूबी ढंग से दिखाया गया है। फिल्म की कहानी एक बच्चे ईशान की है जो अपने आसपास के तानों के चलते ये दिखाने की कोशिश करता है कि उसे वो सब आता है जिसकी उम्मीद उसके घरवाले कर रहे होते। एक दिन उसे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाता है। जहां उसकी मुलाकात टीचर राम शंकर निकुम्भ (आमिर खान) से होती है जो ये जानता है कि ईशान को क्या चाहता है उसे कैसे आगे बढ़ना है। फिल्म में ये मैसेज भी दिया गया है कि अपने बच्चों को समझे और उनके पसंद के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने दें।
2- जो जीता वही सिकंदर- साल 1992 में रिलीज हुई मंसूर खान के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'जो जीता वही सिकंदर' आज भी लोगों को काफी पसंद है। फिल्म में आमिर खान और आयशा जुल्का लीड रोल में थी। फिल्म जो जीता वही सिकंदर एक ऐसी फिल्म थी जो युवाओं के बारे में थी और इसने युवाओं के नब्ज को अच्छी तरह से पकड़ा। फिल्म की कहानी एक दिशाहिन लड़के की है जो अपने भाई के एक्सीडेंट के बाद पूरी तरह बदल जाता है और अपनी मंजिल को पाता है। वहीं इस फिल्म में गरीब और अमीर बच्चों के बीच सोच को भी दिखाया गया है।
3-स्टेनले का डिब्बा- साल 2011 में अमोल गुप्ते के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'स्टेनले का डिब्बा' की कहानी एक छोटे बच्चे पर आधारित है जो कभी स्कूल में लंच लेकर नहीं आता है। ऐसे में उसके साथ में पढ़ने वाले सभी बच्चे उसके साथ अपना अपना लंच बॉक्स शेयर करते हैं। इस फिल्म की कहानी उन तमाम बच्चों की भी है जो पढ़ाई-लिखाई के साथ गुजारे के लिए काम भी करते हैं।
4- हिंदी मीडियम- साल 2017 में रिलीज हुई 'हिंदी मीडियम' की कहानी एक कम पढ़े लिखे पिता की है जो हर कीमत पर अपनी बेटी का एडमिशन इंग्लिश मीडियम स्कूल में करवाना चाहता है। जिसके लिए उसे तमाम तरह के पापड़ बेलने पड़ते हैं। वहीं इस फिल्म में इंग्लिश के प्रति लोगों की सोच को भी दिखाया गया है। जो इंग्लिश अच्छा बोलता है उसे समाज में बेहतर माना जाता है। ये सारी चीजें फिल्म में बखूबी ढंग से दिखाई गई है।
5-परिचय (1972)- गुलजार के द्वारा लिखी और निर्देशित फिल्म 'परिचय' की कहानी एक टीचर की है जो पांच बिगड़ेल बच्चों को अपने प्यार और डीसिप्लिन से उन्हें सुधारता है। फिल्म में टीचर की भूमिका जितेंद्र ने निभाई है। वहीं इस फिल्म में जया भादुड़ी और प्राण भी हैं।