ब्लॉग: क्या उत्तर-पूर्व में और बढ़ेगी ड्रैगन की आक्रामकता?

By दिनकर कुमार | Published: January 19, 2023 09:30 AM2023-01-19T09:30:42+5:302023-01-19T09:41:03+5:30

चीन के मुद्दे पर पूर्वी सेना कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने संवाददाताओं से कहा है कि ‘‘पीएलए के एक गश्ती दल ने उन स्थानों में से एक के माध्यम से (भारतीय क्षेत्र में) घुसपैठ की, जिस पर हमारे बलों ने हमला किया था.’’

Will the china aggression increase further in the north-east india ladakh | ब्लॉग: क्या उत्तर-पूर्व में और बढ़ेगी ड्रैगन की आक्रामकता?

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsभारत चीनी आक्रामकता को यह सोचकर क्षमा कर देता है कि भविष्य में वे अच्छा बर्ताव करेंगे। लेकिन भारत की दृष्टिकोण चीन ने गलत साबित की है और वह बार-बार आक्रामण करता है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि केवल चीनी एप्स को बैन करने से नहीं होगा बल्कि दृढ़ कार्रवाई की आवश्यकता है।

नई दिल्ली: चीनी आक्रामकता के प्रति भारतीय दृष्टिकोण जो इस उम्मीद में उनके पिछले अपराधों को क्षमा कर देता है कि वे भविष्य में बेहतर व्यवहार करेंगे, विफल हो गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने की नहीं बल्कि दृढ़ कार्रवाई की आवश्यकता है.

पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के सीमा गतिरोध के बीच चीन ने लागू किया नया कानून 

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की चीनी पीएलए की कोशिश को बीजिंग के नए सीमा कानून से जोड़ा जा सकता है. कानून घुसपैठियों के खिलाफ नाकाबंदी और ‘पुलिस तंत्र और हथियारों’ के उपयोग की अनुमति देता है.

गौरतलब है कि इस कानून को लागू करने का चीन का फैसला पूर्वी लद्दाख में पीएलए और भारतीय सेना के बीच एक लंबे समय तक सीमा गतिरोध के बीच आया, जहां जून 2020 में दोनों पड़ोसियों के बीच हिंसक टकराव हुआ था. आपको बता दें कि चीन भारत के साथ 3,488 किमी की सीमा या एलएसी साझा करता है, जो पूर्व में अरुणाचल प्रदेश राज्य से पश्चिम में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख तक चलती है.

लएसी के पूर्वी क्षेत्र में 8 हैं विवादित क्षेत्र

ऐसे में एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में आठ विवादित क्षेत्र हैं-दिबांग घाटी में यांग्त्से, नमका चू, सुमदोरोंग चू, असाफिला, लोंगजू, दिचू, लमांग और फिश टेल -एक और दो. पूर्वी सेना कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पीएलए के एक गश्ती दल ने उन स्थानों में से एक के माध्यम से (भारतीय क्षेत्र में) घुसपैठ की, जिस पर हमारे बलों ने हमला किया था.’’

तवांग सेक्टर में यांग्त्से, जहां 9 दिसंबर की झड़प हुई थी, वहां पिछले साल अक्तूबर में दोनों सेनाओं के बीच एक संक्षिप्त टकराव हुआ था और दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था. ऐसे में अरुणाचल प्रदेश में चीन की जमीन हड़पने की कोशिशें किसी से छिपी नहीं हैं.

क्या कहना है विश्लेषकों का

विश्लेषकों का मानना है कि चीनी पीएलए के बार-बार उल्लंघन का मूल कारण नया सीमा कानून है. चीन की संसद की विदेश मामलों की समिति ने कानून बनाया था. हालांकि यह मुख्य रूप से एक घरेलू कानून माना जाता है, तथ्य यह है कि इस समिति से आया प्रस्ताव इस कानूनी तंत्र के संभावित सीमा-पार प्रभाव को इंगित करता है.

चीनी कानून पर भारत के विदेश मंत्रालय ने जताई थी चिंता

चीनी कानून के लागू होने से कुछ दिन पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने चिंता जताई थी. मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अक्तूबर 2021 के अंतिम सप्ताह में कहा, ‘‘चीन का एकतरफा निर्णय एक ऐसा कानून लाने का है, जो सीमा प्रबंधन पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था के साथ-साथ सीमा मसले पर भी प्रभाव डाल सकता है.’’

Web Title: Will the china aggression increase further in the north-east india ladakh

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