वेदप्रताप वैदिक: ओली को क्यों भंग करनी पड़ी नेपाली संसद?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 23, 2020 09:36 AM2020-12-23T09:36:18+5:302020-12-23T09:46:56+5:30

नेपाल की संसद भंग हो गई है. भारत-विरोधी छवि बनाने सहित अपनी राष्ट्रवादी छवि चमकाने वाले केपी ओली के फैसले को अदालत में चुनौती भी दी गई है.

Vedapratap Vedic: Why did KP Oli dissolve Nepali parliament | वेदप्रताप वैदिक: ओली को क्यों भंग करनी पड़ी नेपाली संसद?

केपी ओली को नेपाली संसद क्यों भंग करनी पड़ी (फाइल फोटो)

Highlightsकेपी ओली के संसद भंग करने के फैसले को कोर्ट में दी गई है चुनौतीसत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों खेमों में लगातार खींचतान से नेपाल में आई ऐसी परिस्थितिनेपाल में अप्रैल और मई में चुनाव संभव, भारत विरोधी छवि के लिए चर्चा में रहे ओली

नेपाल की संसद को प्रधानमंत्री खड्गप्रसाद ओली ने भंग करवा दिया है. अब वहां अप्रैल और मई में चुनाव होंगे. नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर हो गई हैं. उनमें कहा गया है कि नेपाल के संविधान में संसद को बीच में ही भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अदालत इस फैसले को उलटने का साहस करेगी.

यह निर्णय ओली ने क्यों लिया? इसीलिए कि सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों खेमों में लगातार मुठभेड़ चल रही थी. एक खेमे के नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड हैं और दूसरे खेमे के ओली. ओली को इसी समझ के आधार पर प्रधानमंत्री बनाया गया था कि आधी अवधि में वे राज करेंगे और आधी में प्रचंड. बिल्कुल वैसे ही जैसे उत्तरप्रदेश में मायावती और मुलायम सिंह के बीच समझौता हुआ था. 

अब ओली अपनी गद्दी से हिलने को तैयार नहीं हुए तो प्रचंड खेमे ने उस गद्दी को ही हिलाना शुरू कर दिया. पहले उन्होंने ओली पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. खुले-आम चिट्ठियां लिखी गईं, जिनमें सड़क-निर्माण की 50 करोड़ रुपये की अमेरिकी योजना में पैसे खाने की बात कही गई. 

लिपुलेख-विवाद के बारे में भारत के विरुद्ध चुप्पी साधने का आरोप लगाया गया. इसके अलावा सरकारी निर्णयों में मनमानी करने और पार्टी संगठनों की उपेक्षा करने की शिकायतें भी होती रहीं. ओली ने भी कम दांव नहीं चले. 

उन्होंने लिपुलेख-विवाद के मामले में भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सुगौली की संधि का उल्लंघन करके भारतीय क्षेत्नों को नेपाली सीमा में दिखा दिया. ओली के इस ‘राष्ट्रवादी पैंतरे’ को संसद में सर्वदलीय समर्थन मिला. चीन की महिला राजदूत हाओ यांकी दोनों धड़ों के बीच सरपंच की भूमिका निभाती रहीं.

अपनी भारत-विरोधी छवि चमकाने के लिए ओली ने नेपाली संसद में हिंदी में बोलने और धोती-कुर्ता पहनने पर रोक लगाने की पहल भी कर दी. इसकी अनुमति अब से लगभग 30 साल पहले मैंने संसद अध्यक्ष दमनाथ ढुंगाना और गजेंद्र बाबू से कहकर दिलवाई थी. 

नेपालियों से शादी करनेवाले भारतीयों को नेपाली नागरिकता लेने में अब सात साल लगेंगे. ऐसे कानून बनाकर ओली ने अपनी राष्ट्रवादी छवि जरूर चमकाई है लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने भारत के भी नजदीक आने के संकेत दिए. किंतु सत्तारूढ़ संसदीय दल में उनकी दाल पतली देखकर उन्होंने संसद भंग कर दी. 

यह संसद प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने भी भंग की थी लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि वे जीत पाएंगे या नहीं.

 

Web Title: Vedapratap Vedic: Why did KP Oli dissolve Nepali parliament

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