वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपना पिंड छुड़ाया
By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 18, 2021 01:05 PM2021-08-18T13:05:47+5:302021-08-18T13:05:47+5:30
अफगानिस्तान संकट के दौर में घिरा है लेकिन अमेरिका ने उसे उसके हालात पर छोड़ने का फैसला किया है. ऐसा ही कुछ 1975 में भी हुआ था जब अमेरिका दक्षिण वियतनाम को उत्तर वियतनाम के भरोसे छोड़कर भागा था.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र के नाम जो संदेश दिया, उसका मुख्य उद्देश्य दुनिया को यह बताना था कि उन्होंने अफगानिस्तान से निकलना क्यों जरूरी समझा. जैसे 1975 में अमेरिका दक्षिण वियतनाम को उत्तर वियतनाम के भरोसे छोड़कर भाग आया था, वैसे ही उसने अफगानिस्तान को तालिबान के भरोसे छोड़ दिया.
वैसे अमेरिका ने ही मुजाहिदीन और तालिबान को पिछले 40 साल में खड़ा किया था. ज्यों ही काबुल में बबरक कारमल की सरकार बनी, रूसियों को टक्कर देने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को उकसाया और पाकिस्तान ने अफगान बागियों को शरण दी.
पाकिस्तान के जरिये अमेरिका ने पेशावर, मिरान्शाह और क्वेटा में टिके पहले मुजाहिदीन और फिर तालिबान को हथियार और डॉलर दिए. ये तथ्य मुझे 1983 में इन नेताओं ने पेशावर में खुद बताए थे. आतंक फैलाने का प्रशिक्षण भी दिया. लेकिन इन्हीं तालिबान ने जब अलकायदा से हाथ मिलाया और उसने अमेरिका पर हमला कर दिया तो अमेरिका ने काबुल से तालिबान को उखाड़ने के लिए अपनी और नाटो की फौजें भेज दीं.
अब 20 साल बाद अपने लगभग ढाई हजार सैनिकों की जान गंवाने और खरबों डॉलर बर्बाद करने के बाद उन्हीं तालिबान के साथ उसने वाशिंगटन, पेशावर, काबुल, दोहा आदि में बात शुरू कर दी. इस बात का लक्ष्य सिर्फ एक था. किसी तरह अफगानिस्तान से अपना पिंड छुड़ाना. उसकी बला से कि उसके पीछे कुछ भी होता रहे.
अब यही हो रहा है. तालिबान को पहले भी अमेरिका लाया था और अब भी वही लाया है. अगर बाइडेन प्रशासन और तालिबान में पहले से सांठगांठ नहीं होती तो क्या अमेरिकी वापसी इतनी शांतिपूर्ण ढंग से हो सकती थी? अभी तक किसी भी अमेरिकी पर या अमेरिकी दूतावास पर कोई हमला नहीं हुआ है.
कई दूतावास बंद हो गए हैं लेकिन क्या वजह है कि अमेरिकी दूतावास काबुल हवाई अड्डे पर खुल गया है? कोई तो वजह है, जिसके चलते 5-6 हजार अमेरिकी सैनिक काबुल पहुंच गए हैं और उन पर एक भी गोली नहीं चली है? क्या वजह है कि राष्ट्रपति गनी ओमान होते हुए अमेरिका पहुंच रहे हैं? क्या वजह है कि राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने संबोधन में तालिबान की जरा भी भर्त्सना नहीं की है.
उल्टे, वे इस बात का श्रेय ले रहे हैं कि उन्होंने अमेरिकी फौजियों की जानें और अमेरिकी डॉलर बचा लिये हैं. बाइडेन प्रशासन ने बड़ी चतुराई से गनी सरकार और तालिबान, दोनों को साधकर अपना मतलब सिद्ध किया है. अब दुनिया के देश अमेरिका को कोस रहे हैं तो कोसते रहें!