अमेरिकी संसद की रिपोर्ट षड्यंत्र का हिस्सा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 22, 2025 07:39 IST2025-11-22T07:39:13+5:302025-11-22T07:39:19+5:30
उसके बाद से उन्होंने भारत को सबक सिखाने की ठान ली है. लेकिन ट्रम्प को आगे-पीछे एहसास होगा कि भारत कभी भी अमेरिका के दबाव में नहीं आया है और न कभी आएगा.

अमेरिकी संसद की रिपोर्ट षड्यंत्र का हिस्सा
अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट इस वक्त भारत में बड़ी गंभीर चर्चा का विषय बनी हुई है. संक्षेप में कहें तो रिपोर्ट कहती है कि पहलगाम में जो आतंकवादी हमला हुआ था, वह विद्रोही हमला था और इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में जो सैन्य संघर्ष हुआ था, उसमें पाकिस्तान का पलड़ा भारी रहा. पाकिस्तान ने चीनी हथियारों और चीनी खुफिया जानकारियों का उपयोग किया. स्वाभाविक तौर पर विपक्ष ने यह सवाल पूछा है कि इस रिपोर्ट को लेकर हमारी सरकार क्या कर रही है?
कायदे से अमेरिका के सामने बहुत स्पष्ट तौर पर भारत को कहना चाहिए कि बहुत हुआ झूठ का सिलसिला, भारत इस तरह की खुराफात बर्दाश्त नहीं करेगा. लेकिन इस तरह की तीखी टिप्पणी सरकार की तरफ से नहीं आई है. संभव है कि कूटनीतिक कारणों से भारत ने तीखा रवैया नहीं अपनाया है या हो सकता है भारत सरकार सोच रही हो कि अमेरिका के इस बकवास पर प्रतिक्रिया क्यों व्यक्त करना? कुछ हद तक यह नीति ठीक भी रहती है क्योंकि सामने वाला खीझता रहता है कि कोई टिप्पणी क्यों नहीं आ रही है? लेकिन सवाल है कि हम कब तक शालीनता बरतते रहें और अमेरिका हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचता रहे!
अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट निश्चित रूप से भारत के खिलाफ गहरी साजिश का हिस्सा लगती है. यह दुनिया में भारत की ताकत को कम करके आंकने का माहौल बनाने की कोशिश है. इस तरह के झूठ इसीलिए फैलाए जाते हैं कि दबाव बनाया जा सके. क्या अमेरिका ने फायरपावर इंडेक्स 2025 का अवलोकन नहीं किया है? इस ताजा इंडेक्स के अनुसार भारतीय सेना दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है जबकि पाकिस्तान बारहवें नंबर पर है! भारतीय रणबांकुरों ने हर जंग में पाकिस्तान को धूल चटाया है.
दुनिया में सबसे बड़ा सैन्य सरेंडर कराने का श्रेय भी भारत के ही नाम है. दुनिया से यह बात छिपी नहीं है कि गजवा ए हिंद का सपना देखने वाला पाकिस्तान हर बार पिटा है. ऑपरेशन सिंदूर में भी पाकिस्तान की जबर्दस्त पिटाई हुई लेकिन अमेरिका कह रहा है कि पाकिस्तान का पलड़ा भारी था! सवाल है कि अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? इसका जवाब भी सबके सामने है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चाहते थे कि भारत उनका झूठ स्वीकार कर ले कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच की जंग रुकवाई! भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया तो वे बिफर गए क्योंकि भारत के इस रवैये ने शांति के नोबल पुरस्कार के उनके अभियान में पलीता लगा दिया. उसके बाद से उन्होंने भारत को सबक सिखाने की ठान ली है. लेकिन ट्रम्प को आगे-पीछे एहसास होगा कि भारत कभी भी अमेरिका के दबाव में नहीं आया है और न कभी आएगा. ट्रम्प शायद इंदिरा गांधी का जमाना भूल गए जब अमेरिका की धमकी के बावजूद वो नहीं मानी थीं और भारतीय फौज ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया था.
मगर फिलहाल भारत को इस बात के लिए सतर्क रहना होगा कि अमेरिका की हर चाल को कैसे नाकाम किया जाए. अमेरिका का इतिहास रहा है कि किसी देश की सरकार उसकी बात नहीं मानती है तो वह तख्ता-पलट जैसे षड्यंत्र भी रचता है. अब तक वह 70 से ज्यादा देशों की सरकार गिरा चुका है. भारत में उसकी चाल कामयाब नहीं हो पा रही है क्योंकि भारतीय मतदाता सब कुछ समझता है.
बहरहाल भारत सरकार को बहुत स्पष्ट शब्दों में अमेरिका को बता देना चाहिए कि पाकिस्तान को चीनी सहायता के बावजूद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने किस तरह से पाकिस्तान की पिटाई की है! अमेरिका को अपनी हद में रहने की चेतावनी भी हमें देनी ही चाहिए अन्यथा उसकी हरकतें इसी तरह से बढ़ती जाएंगी.