वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले को लेकर नहीं छंट रही धुंध

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 17, 2022 03:35 PM2022-02-17T15:35:25+5:302022-02-17T15:35:25+5:30

पुतिन की घोषणा पर अमेरिका और कुछ नाटो सदस्यों को अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है लेकिन रूसी सरकार के प्रवक्ता ने आधिकारिक घोषणा की है कि रूस का इरादा हमला करने का बिल्कुल नहीं है।

ukraine crisis ved pratap vaidik blog | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले को लेकर नहीं छंट रही धुंध

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले को लेकर नहीं छंट रही धुंध

यूक्रेन का माहौल अभी तक कुछ ऐसा बना हुआ है कि वहां क्या होने वाला है, यह कोई भी निश्चित रूप से नहीं कह सकता। रूसी नेता व्लादीमीर पुतिन ने यह घोषणा तो कर दी है कि वे अपनी कुछ फौजों को यूक्रेन-सीमांत से हटा रहे हैं लेकिन उनकी बात पर कोई विश्वास नहीं कर रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में पढ़ रहे अपने 20 हजार छात्रों को सलाह दी है कि वे कुछ दिनों के लिए भारत चले आएं।

उधर ‘नाटो’ के महासचिव जेंस स्टोलटेनबर्ग ने रूसी फौजों की वापसी को अभी एक बयान भर बताया है। उन्होंने कहा है कि वे उनकी वापसी होते हुए देखेंगे, तभी पुतिन के बयान पर भरोसा करेंगे। यूक्रेन की सरकार ने दावा किया है कि उनके रक्षा मंत्रालय और दो बैंकों पर कल जो साइबर हमला हुआ है, वह रूसियों ने ही करवाया है।

पुतिन की घोषणा पर अमेरिका और कुछ नाटो सदस्यों को अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है लेकिन रूसी सरकार के प्रवक्ता ने आधिकारिक घोषणा की है कि रूस का इरादा हमला करने का बिल्कुल नहीं है। वह सिर्फ यह चाहता है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल न किया जाए। यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूक्रेन ने भी 2015 में एक समझौते के द्वारा सहमति जताई थी।

रूसी फौजों के आक्रामक तेवरों से यूरोप में हड़कंप मचा हुआ है। पहले फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रों ने पुतिन से बात की और अब जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज खुद पुतिन से मिलने मास्को गए। इसके पहले वे यूक्रेन की राजधानी कीव जाकर राष्ट्रपति व्लादीमीर जेलेंस्की से भी मिले। वे एक सच्चे मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। इसमें उनका राष्ट्रहित निहित है, क्योंकि युद्ध छिड़ गया तो और कुछ हो या न हो, जर्मनी को रूसी तेल और गैस की सप्लाई बंद हो जाएगी।

ऐसा लगता है कि शोल्ज की कोशिशों का असर पुतिन पर हुआ जरूर है। शोल्ज ने पुतिन को आश्वस्त किया होगा कि वे यूक्रेन को नाटो में मिलाने से मना करेंगे। यों भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पुतिन से चली अपनी बातचीत में भी कहा था कि नाटो की सदस्य-संख्या बढ़ाने का उनका कोई विचार नहीं है। लंदन में यूक्रे न के राजदूत ने भी कहा है कि यूक्रे न अब नाटो में शामिल होने के इरादे को छोड़नेवाला है।

राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी कहा है नाटो की सदस्यता उनके लिए ‘एक सपने की तरह है।’ यूरोप, अमेरिका और रूस तीनों को पता है कि यदि यूक्रे न को लेकर युद्ध छिड़ गया तो वह द्वितीय विश्वयुद्ध से भी अधिक भयंकर हो सकता है।

ऐसी स्थिति में अब यह मामला थोड़ा ठंडा पड़ता दिखाई पड़ रहा है लेकिन रूसी संसद ने अभी एक प्रस्ताव पारित करके कहा है कि यूक्रेन के जिन इलाकों में अलगाव की मांग हो रही है, उन्हें रूस अपने साथ मिला ले। रूस जबर्दस्त दबाव की कूटनीति कर रहा है।

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