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ब्लॉग: शिंजो आबे की हत्या पूरी दुनिया के लिए है बहुत बड़ी क्षति

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 9, 2022 14:10 IST

2020 में उन्होंने गद्दी छोड़ी भी तो फिर से अपने स्वास्थ्य कारणों से ही और अब तबीयत सुधरने के बाद जब वे फिर से राजनीति में सक्रिय हुए तो चुनाव प्रचार के दौरान ही एक सिरफिरे की गोली ने उनकी जान ले ली।

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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के गहरे मित्र शिंजो आबे की हत्या सिर्फ जापान या भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी क्षति है। जापान में सर्वाधिक समय तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले शिंजो आबे ने जिस तरह से अपनी वैश्विक छाप छोड़ी है, उससे उन्हें सरलता से भुलाया नहीं जा सकेगा। सन् 2006 में वे दूसरे विश्वयुद्ध के बाद देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि उस समय उन्होंने बीमारी की वजह से जल्दी ही अपना पद छोड़ दिया था, लेकिन 2012 में जब वे दोबारा प्रधानमंत्री की गद्दी पर लौटे तो पूरे आठ साल तक एक लोकप्रिय शासक बने रहे। 

2020 में उन्होंने गद्दी छोड़ी भी तो फिर से अपने स्वास्थ्य कारणों से ही और अब तबीयत सुधरने के बाद जब वे फिर से राजनीति में सक्रिय हुए तो चुनाव प्रचार के दौरान ही एक सिरफिरे की गोली ने उनकी जान ले ली। दुनिया के अनेक हिस्सों में इस समय भले ही हिंसा का तांडव चल रहा हो लेकिन जापान में ऐसी आपराधिक घटनाएं कम ही देखने में आती रही हैं और आबे ऐसे नेताओं की सूची में तो बिल्कुल नहीं थे जिनकी सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को खतरे की आशंका रही हो। इसीलिए उनकी सुरक्षा को लेकर कोई बहुत तामझाम भी नहीं था। 

अमेरिका के विपरीत, जापान में हथियार खरीदने या रखने को लेकर बहुत कड़े नियम हैं और आम आदमी के लिए उन्हें हासिल कर पाना आसान नहीं है। हमलावर ने शायद इसीलिए हैंडमेड गन का इस्तेमाल किया। हालांकि अभी उसके इतना क्रूर कदम उठाने का कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन यह हकीकत डराती है कि दुनिया के शांतिप्रिय देशों में भी क्रूरता का खौफ फैलता जा रहा है। 

निश्चित रूप से यह पूरी दुनिया के लिए एक गहरी चिंता का विषय है। जहां तक भारत के साथ संबंधों का सवाल है, शिंजो आबे योग, सिनेमा, खानपान के साथ भारतीय संस्कृति की खुलकर सराहना करते थे। उन्होंने कई बार बताया कि जापान में भारतीय संस्कृति और खानपान किस कदर लोकप्रिय है। शिंजो के कार्यकाल में ही भारत के साथ जापान के रिश्ते शिखर पर पहुंचे। 

उन्होंने चार बार भारत का दौरा किया था। इसीलिए भारत ने आबे के निधन पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। शिंजो आबे ने चीन के आक्रामक विस्तारवादी रुख के कारण ही अपने देश को एक मजबूत सैन्य शक्ति बनाने और परमाणु हथियार नहीं बनाने के निर्णय पर पुनर्विचार की वकालत की थी। 

भारत में भी उन्होंने चीन के विरोध को दरकिनार करते हुए पूर्वोत्तर की कई परियोजनाओं में मदद की। उनके कार्यकाल में ही भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट शुरू हुआ। भारत और जापान के संबंधों को उन्होंने दो सागरों का मिलन कहा था। निश्चय ही उनका जाना भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति है जिसकी भरपाई आसानी से नहीं हो सकेगी।

टॅग्स :शिंजो अबेजापान
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