ब्लॉग: पेशावर में आत्मघाती हमला, आखिर कब सबक सीखेगा पाकिस्तान ?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 1, 2023 03:55 PM2023-02-01T15:55:32+5:302023-02-01T15:55:49+5:30
पेशाव के मस्जिद में हुए हमले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि पाकिस्तान अपने ही जाल में फंस चुका है. भारत से युद्धों में हार के बाद उसने आतंकवाद को अपना हथियार बनाया लेकिन अब ये पाकिस्तान पर भारी पड़ रहे हैं.
पाकिस्तान के शहर पेशावर में हुए विस्फोट ने पूरे देश और सरकार को हिलाकर रख दिया है. शाहबाज सरकार आर्थिक संकट से पहले ही जूझ रही है, अब इस विस्फोट ने जले पर नमक छिड़क दिया है. इस विस्फोट में हताहतों की संख्या बढ़ती जा रही है. लगभग 100 लोग तो मर चुके हैं और डेढ़ सौ लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं.
यह विस्फोट भी कहां हुआ है? पेशावर की एक मस्जिद में. पाकिस्तान इस घटना से कोई सबक सीखेगा या नहीं? उसने आतंकवाद को इसलिए बढ़ावा दिया कि वह भारत से कश्मीर छीन सकेगा. उसने भारत से लड़े युद्धों में विफल होने के बाद आतंकवाद को ही अपना हथियार बनाया लेकिन दहशतगर्दी के चलते जितने लोग भारत में मरते रहे हैं, उनसे कहीं ज्यादा पाकिस्तान में मर रहे हैं.
इसी पेशावर में 2016 में हुए हमले के कारण लगभग डेढ़ सौ मासूम बच्चे मारे गए थे. वे बच्चे एक फौजी स्कूल में पढ़ रहे थे. इस मस्जिद में अभी मृतकों में ज्यादातर पुलिस के अफसर और जवान ही हैं. इस हमले की जिम्मेदारी ‘तहरीके-तालिबान पाकिस्तान’ के कमांडर ने ली है. उसने कहा है कि यह हमला उस हत्या का बदला है, जो पिछले साल अगस्त में टीटीपी के कमांडर उमर खालिद खुरासानी की काबुल में की गई थी.
‘तहरीक’ यों तो पाकिस्तानियों का संगठन है लेकिन यह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है. अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार और पाकिस्तानी सरकार के बीच भी लगातार खटपट चल रही है. ‘तहरीक’ के नेता पठान हैं और तालिबान भी पठान हैं. दोनों पंजाबी वर्चस्व के खिलाफ कटिबद्ध हैं. इसीलिए डूरेन्ड लाइन पर भी फिर से विवाद छिड़ गया है. कितने आश्चर्य की बात है कि काबुल की तालिबान सरकार को अभी तक पाकिस्तान सरकार ने औपचारिक मान्यता भी नहीं दी है.