शोभना जैन का ब्लॉग: रूस में भारत की ‘एक्ट फार ईस्ट’ नीति की दस्तक से बढ़ेगा सहयोग
By शोभना जैन | Published: September 8, 2019 07:12 AM2019-09-08T07:12:49+5:302019-09-08T12:47:36+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की चर्चित रूस यात्ना के सिलसिले में रूस के पूर्वी साइबेरियाई तथा आर्कटिक पोल क्षेत्न में स्थित व्लादिवोस्तोक की यात्ना से इस शहर का बरसों पुराना पूरा मंजर आंखों के सामने फिर से आ गया.
रूस के दुर्गम सुदूर पूर्वी क्षेत्न में बसा व्लादिवोस्तोक! कुछ बरस पूर्व वहां विदेश मंत्रियों के एक सम्मेलन को कवर करने के दौरान वहां हीरा कारोबार में लगे एक भारतीय व्यवसायी से मिलने का मौका मिला. लगा ऐसी दुरूह जलवायु में और अत्यंत कठिन, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारतीय कैसे पहुंचे? बर्फ से ढंके, बिना सूरज की रोशनी के दिन में भी अंधेरा सा बिखेर देने वाले मौसम में, हाड़ कंपाती ठंड में सीमेंट की ऊंची ऊंची दीवारों वाला हीरा कारखाना और वहां तैनात चौकस हृष्ट-पुष्ट रूसी सुरक्षा कर्मियों के बीच कुशलता से सफल कारोबार संभालता भारतीय व्यापारी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की चर्चित रूस यात्ना के सिलसिले में रूस के पूर्वी साइबेरियाई तथा आर्कटिक पोल क्षेत्न में स्थित व्लादिवोस्तोक की यात्ना से इस शहर का बरसों पुराना पूरा मंजर आंखों के सामने फिर से आ गया. भरोसे और समय की कसौटी पर खरे उतरे रूस के साथ जहां इस यात्ना से मौजूदा भूराजनैतिक माहौल में दोनों देशों के उभयपक्षीय संबंधों को नई तो गति तो मिली ही, साथ ही भारत ने अब इस सुदूर पूर्वी क्षेत्न में पस्पर सहयोग को ‘एक्ट फार ईस्ट’ नीति नाम दिया है.
इस सुदूर पूर्वी क्षेत्न की यात्रा की अहमियत इसी बात से पता लगती है कि किसी भारतीय प्रधानमंत्नी की इस क्षेत्र की यह पहली यात्ना थी. इस दौरान प्रधानमंत्नी ने वहां आयोजित पूर्वी आर्थिक शिखर सम्मेलन में मुख्य अतिथि बतौर हिस्सा लिया. शिखर सम्मेलन में भारत ने पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपए) के 50 समझौते किए हैं.
प्रधानमंत्नी मोदी ने रूस के पेट्रोलियम, गैस और अन्य खनिजों से परिपूर्ण सुदूर पूर्व क्षेत्र के लिए भारत सरकार की ‘एक्ट फार ईस्ट’ नीति को स्पष्ट करते हुए कहा, मुझे पूरी उम्मीद है कि इस कदम से विकास की आर्थिक कूटनीति को नई ऊर्जा मिलेगी. इससे दोनों मित्र देशों के आपसी संबंध और मजबूत होंगे. उन्होंने रूस को एक अरब डॉलर कर्ज देने को भारत की ओर से किसी अन्य देश में किसी क्षेत्न के लिए विशेष रूप से ऋण देने का अनूठा मामला बताते हुए कहा कि सहायता राशि क्षेत्न में भारत का लांचिंग पैड है. गौरतलब है कि भारत पहला देश था जिसने 1992 में व्लादिवोस्तोक में अपना वाणिज्य दूतावास खोला.
दरअसल रूस के इस सुदूर पूर्वी क्षेत्र में परस्पर सहयोग भारत और रूस दोनों के लिए पूरक हैं. इस क्षेत्र की पीएम की यात्ना न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामरिक दृष्टि से भी खासी अहम है. यह पूर्वी साइबेरिया और पैसिफिक महासागर में दुनिया की सबसे बड़ी ताजा जल झील बैकाल झील के बीच का क्षेत्न है.
मंगोलिया, चीन और उत्तर कोरिया के साथ इसकी सीमाएं लगती हैं. इसके अलावा इस क्षेत्न की जापान के साथ दक्षिण-पूर्व में, जबकि अमेरिका के साथ उत्तर-पूर्व में समुद्री सीमाएं भी लगती हैं. इस यात्रा की अहमियत के विभिन्न पहलू अगर देखें तो खास बात यह भी है कि इस सहयोग से भारत-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक भागीदारी और मजबूत हो सकती है.
इस क्षेत्र के विकास में विदेशी सहयोग के अंतर्राष्ट्रीय समीकरण अगर देखें तो सीमा विवाद में उलझे होने के बावजूद जापान भी इस क्षेत्र में निवेश में कुछ दिलचस्पी दिखा रहा है. सबसे अहम बात, चीन की इस क्षेत्र में निवेश को लेकर मौजूदगी बहुत मजबूत है. रूस और चीन के बीच बढ़ती समझबूझ के बीच यह तथ्य गौर करने लायक है कि यहां हुए कुल विदेशी निवेश का 71 प्रतिशत चीन का ही है. ऐसे में जब लग रहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से रूस की दुनिया में सीमित होती भूमिका के साथ उसकी चीन के प्रति निर्भरता बढ़ती जा रही है, वहां निश्चय ही भारत की इस क्षेत्न में मौजूदगी अपनेपारंपरिक मित्र के लिए संतुलन का काम कर सकती है. और उसके खुद के आर्थिक, सामरिक हित में तो यह है ही.