शोभना जैन का ब्लॉग: क्वाड को लेकर बौखलाए चीन की बांग्लादेश को धमकी
By शोभना जैन | Published: May 15, 2021 06:20 PM2021-05-15T18:20:17+5:302021-05-15T18:21:32+5:30
चीन को डर है कि बांग्लादेश अगर क्वाड में शामिल होता है तो ऐसी स्थिति में खास तौर पर हिंद महासागर पर वर्चस्व कायम करने के चीनी सपने को करारा झटका लगेगा।
अमेरिका के नेतृत्व वाले और भारत सहित दुनिया के चार शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं के सुरक्षा गठबंधन यानी ‘क्वाड’ के गठन को लेकर बौखलाए चीन ने इस सप्ताह इस गठबंधन को लेकर अपने उग्र तेवर या यूं कहें अपनी भड़ास बांग्लादेश को धमकी के रूप में निकाल डाली। लेकिन चीन के साथ गहरे कारोबारी, आर्थिक रिश्तों के बावजूद बांग्लादेश ने चीन की धमकी बर्दाश्त नहीं की और उस पर पलटवार कर दिया।
बांग्लादेश स्थित चीन के राजदूत ली जिमिंग ने इस सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश को खुली धमकी देते हुए कहा कि अगर बांग्लादेश चीन विरोधी इस ‘क्लब’ (क्वाड) में शामिल होता है तो दोनों देशों के रिश्तों को ‘काफी नुकसान’ होगा। बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ ए। के। अब्दुल मोमेन ने चीनी राजदूत की इस उकसाने वाली टिप्पणी का दो-टूक जवाब दिया। उन्होंने चीनी राजदूत के इस बयान को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘आक्रामक’ बताते हुए कहा कि ‘बांग्लादेश स्वतंत्र संप्रभुता सम्पन्न राष्ट्र है, हम अपनी विदेश नीति के बारे में खुद फैसला करते हैं।’
मामले के तूल पकड़ने के बाद, अपने विस्तारवादी एजेंडे और सामरिक हितों को देखते हुए हालांकि चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हू चुन्यिंग ने दबी सी जबान में कहा कि उन्होंने ऐसी टिप्पणी देखी नहीं है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा ‘चीन और बांग्लादेश गहरे मित्र और निकट पड़ोसी हैं। हम सदैव ही एक दूसरे को आपसी सम्मान की भावना देते रहे हैं और एक दूसरे के बुनियादी मुद्दों और प्रमुख सरोकारों पर एक दूसरे का दृढ़ता से समर्थन करते हैं।’ बहरहाल चीन की इस धमकी के मायने हैं।
भारत, अमेरिका, जापान और आॅस्ट्रेलिया यानी दुनिया की चार शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं का सुरक्षा गठबंधन यानी ‘क्वाड’ चीन को अपने विस्तारवादी एजेंडे के लिए खतरा लगता है। अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चुनौतियों को देखें तो हिंद प्रशांत क्षेत्र में इन चारों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग, संयुक्त सैन्याभ्यास जैसे सहयोग बढ़ने के साथ इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती चौधराहट और विस्तारवादी मंसूबों पर अंकुश लग ही सकता है।
अपने हितों विशेष तौर पर अपने सामरिक हितों को देखते हुए चीन पिछले काफी समय से अन्य कई देशों की तरह बांग्लादेश में भारी तादाद में निवेश कर रहा है। यह दूसरी बात है कि बांग्लादेश भारत को अपना खास मित्र मानता है और भारत-बांग्लादेश रिश्तों को चीन अच्छी तरह से समझता है। चीन ने हाल ही में बांग्लादेश से 24 अरब डॉलर की आर्थिक साझेदारी की घोषणा की है। देश की आर्थिक प्राथमिकताओं को समझते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री खालिदा जिया चीन के साथ संतुलन वाले रिश्ते कायम करने का प्रयास कर रही हैं लेकिन निश्चित तौर पर तेजी से प्रगति कर रहा बांग्लादेश चीन से धमकी की भाषा सुनने को तैयार नहीं है।
भारत के साथ बांग्लादेश के खास रिश्ते हैं। बांग्लादेश दूतावास में कार्य कर चुके पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत मानते हैं कि चीन ने अफ्रीका तथ कुछ अन्य देशों में भारी निवेश कर अपना विस्तारवादी एजेंडा बढ़ाने की कोशिश की। वही काम वह दक्षिण एशिया में भी कर रहा है। बांग्लादेश में भी उसने भारी निवेश किया है। अपने हितों, विशेष तौर पर सामरिक हितों के मद्देनजर बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे देशों के समुद्र तटीय इलाकों पर उसकी नजरें हैं।
लेकिन चीन और बांग्लादेश के रिश्तों की तुलना भारत-बांग्लादेश के रिश्तों से नहीं की जा सकती है। भारत और बांग्लादेश के रिश्ते जनता के बीच के रिश्ते रहे हैं। बांग्लादेश से उसके जन्म से ही भारत जुड़ा हैं या यूं कहें कि उसके जन्म में सहयोगी रहा है। भारत वहां बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं में मदद देता रहा है, कोविड से निबटने के लिए बड़ी तादाद में टीकों की खेप भेजी है। फिलहाल भारत के अपने तमाम पड़ोसियों के साथ सबसे सहज और शानदार रिश्ते बांग्लादेश के साथ ही हैं। ऐसे में चीन की बेचैनी समझी जा सकती है और उसका पूरा प्रयास है कि बांग्लादेश क्वाड जैसे किसी गठबंधन से दूर ही रहे।
भारत में जापानी राजदूत सतोशी सुजुकी ने कुछ समय पूर्व कहा था कि क्वाड सदस्य हिंद प्रशांत क्षेत्र में ‘सामरिक तालमेल’ के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि कैसे भारत और जापान ने बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव जैसे देशों में क्वाड ढांचे के तहत सहयोग किया। उन्होंने बताया कि दक्षिण एशियाई देशों में नई दिल्ली-टोक्यो की संयुक्त बुनियादी ढांचे और क्षमता-निर्माण की परियोजना कैसे काम कर रही है।
बांग्लादेश और मालदीव में, दोनों देश सड़क, पुल, रेल नेटवर्क और अस्पतालों के निर्माण में लगे हुए हैं। इन विकास कार्यक्रमों ने निश्चित रूप से चीन को परेशान किया है, जो अपने सामरिक हितों को लेकर बांग्लादेश के साथ मजबूत व्यापार व आर्थिक साझेदारी बनाए रखने के लिए बेचैन है।