विजय दर्डा का ब्लॉग: बगावत की इस कहानी में कई पेंच हैं...!

By विजय दर्डा | Updated: July 3, 2023 07:55 IST2023-07-03T07:50:48+5:302023-07-03T07:55:57+5:30

रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह और फिर ताबड़तोड़ समझौते के पीछे कहानी केवल उतनी नहीं है जितनी दिख रही है! सवाल है कि 'पुतिन का रसोइया' कहे जाने वाले येवगेनी ने विद्रोह क्यों किया?

Russia Vladimir Putin vs wagner, There are many screws in this story | विजय दर्डा का ब्लॉग: बगावत की इस कहानी में कई पेंच हैं...!

विजय दर्डा का ब्लॉग: बगावत की इस कहानी में कई पेंच हैं...!

जो निजी सेना वर्षों से दुनिया भर में रूस के लिए लड़ती फिर रही थी उसकी राइफल और उसके टैंक अचानक मास्को की ओर क्यों मुड़ गए? रूस के लड़ाकू हेलिकॉप्टर और विमानों को उन्होंने क्यों मार गिराया? पहले पुतिन की चेतावनी और फिर सबको माफ करने की घोषणा जैसे घटनाक्रमों में सवाल ज्यादा हैं और जवाब कम! 

हैरतभरी इस कहानी में बहुत से पेंच नजर आते हैं. किसी को लगता है कि खेल अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने किया तो किसी को लगता है कि कहीं ये सारा खेल पुतिन ने ही तो नहीं रचा? सामान्य तौर पर इससे पुतिन को कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है लेकिन पुतिन के दिमाग का क्या भरोसा? वे कुछ भी कर सकते हैं...!

यह कहानी हैरतभरी इसलिए है क्योंकि निजी सेना वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन पुतिन के बहुत करीबी रहे हैं. क्रेमलिन की कैटरिंग का काम कभी उनके पास था इसलिए उन्हें ‘पुतिन का शेफ’ यानी पुतिन का रसोइया भी कहा जाता रहा है. ऐसा माना जाता है कि पुतिन रूस की सेना से जो काम सीधे तौर पर नहीं करा सकते थे उसके लिए उन्हें किसी निजी सेना की जरूरत थी. 

इसी बात को ध्यान में रखकर रूस की मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसी के एक आला अधिकारी दिमित्री यूट्किन और बिजनेसमैन येवगेनी प्रीगोझिन ने मिलकर अत्यंत गोपनीय तौर पर इस निजी सेना का गठन किया जिसमें रूस के एलीट फोर्स के रिटायर्ड अधिकारियों के अलावा जेल में बंद खूंखार अपराधियों की भर्ती की गई. चेचन्या में दिमित्री का रेडियो कॉल सिग्नल ‘वैगनर’ था इसलिए उन्होंने इस ग्रुप का नाम वैगनर रखा. 

इसकी पहचान पहली बार तब सार्वजनिक हुई जब यह निजी सेना यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादियों का साथ दे रही थी. रूस ने तब भी चुप्पी साधे रखी लेकिन यूक्रेन पर हमले के बाद वैगनर ग्रुप खुलकर सामने आ गया. उसके चीफ येवगेनी प्रीगोझिन तो खुलकर बोलने भी लगे. ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने इसी साल एक खुफिया रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि वैगनर ग्रुप में सैनिकों की संख्या 50 हजार के आसपास है.

माना जा रहा था कि 1800 किलोमीटर सीमा क्षेत्र में चल रहे  यूक्रेन युद्ध में वैगनर ग्रुप ने रूस को बहुत मजबूती दी है लेकिन येवगेनी तो अचानक बगावती हो गए! उन्होंने अपने लड़ाकों की मौत के लिए रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और चीफ ऑफ स्टाफ जनरल वैलेरी गेरासिमोव को सबक सिखाने की घोषणा कर दी और कुछ ही घंटों में उनके लड़ाके मास्को की ओर कूच कर गए! मास्को में इमरजेंसी लगा दी गई. 

मुकाबले के लिए रूसी सेना भी निकल गई. वैगनर ग्रुप पर हमले हुए लेकिन उन्होंने भी रूस के कई लड़ाकू हेलिकॉप्टर और विमान गिरा दिए! पुतिन ने इसे पीठ में छुरा घोंपना कहा और चेतावनी दी कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा. दुनिया हैरान हो गई कि ये क्या हो गया? अचानक पूरे प्रसंग का पटाक्षेप हो गया. दुनिया फिर हैरत में पड़ गई! येवगेनी फिलहाल बेलारूस में हैं. उन्होंने कह दिया है कि वे रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और चीफ ऑफ स्टाफ जनरल वैलेरी गेरासिमोव को हटाना चाहते थे. पुतिन से कोई बैर नहीं है.

अब सवाल यह है कि क्या यह कहानी उतनी ही थी जितनी हमें मंच पर दिखी? या फिर पर्दे के पीछे की भी कुछ कहानी है? मुझे लगता है कि असली कहानी पर्दे के पीछे ही है. हम दो तरह से इस पूरे प्रसंग का आकलन कर सकते हैं. पहला मामला तो यह है कि वैगनर ग्रुप के मैदान से हट जाने का घाटा रूस को होना है इसलिए रूस की विरोधी ताकतें ऐसा जरूर चाहती थीं. तो क्या येवगेनी ऐसी ही किसी चाल में फंस गए? क्या उन्हें यह लालच दिया गया कि यदि पुतिन सत्ता से हटते हैं तो उन्हें मौका मिल सकता है. 

हो सकता है कि येवगेनी को रूस विरोधी ताकतों ने कहा हो कि आप विद्रोह करो, हम साथ देंगे और उन्होंने वादाखिलाफी कर दी हो! कूटनीति में कुछ भी संभव है. उन्हें अंदाजा न रहा हो कि पुतिन इतनी जल्दी वैगनर ग्रुप के लड़ाकों के काफिले पर हवाई हमला बोल देंगे! यह भी हो सकता है कि रूस विरोधी खुफिया एजेंसी ने मैदान से केवल येवगेनी की सेना को हटाने के लिए ही यह चाल चली हो.

इस पूरे प्रसंग को पुतिन की चाल के रूप में भी देखने वालों की कमी नहीं है और इसके पीछे भी तर्क वाजिब है. यूक्रेन के मोर्चे पर पुतिन को वह सफलता नहीं मिली है जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे. उनका आकलन तो एक सप्ताह से भी कम समय में यूक्रेन पर कब्जा कर लेने का था लेकिन जंग शुरू हुए आज सोलह महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं. रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और चीफ ऑफ स्टाफ जनरल वैलेरी गेरासिमोव की अक्षम रणनीति को लेकर भी चर्चा काफी दिनों से चल रही है. 

संभव है कि पुतिन इन दोनों को या इनमें से किसी एक को हटाना चाह रहे हों. इसके लिए यह प्रपंच रचा गया हो. इसके साथ ही पुतिन यह भी चाहत रखते हों कि वैगनर ग्रुप उनके लिए लड़े लेकिन सार्वजनिक तौर पर नहीं. जिस तरह से अफ्रीका और दूसरे देशों में वह रूस के लिए लड़ता रहा था.

तीसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि येवगेनी प्रीगोझिन रूसी पायजामे से बाहर होने लगे थे. भविष्य में वे पुतिन के लिए भी खतरा न बन जाएं इसलिए उन्हें मैदान से बाहर करने की योजना बनी हो. इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि रूसी सेना ने कहा है कि सैनिकों को नए कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने होंगे लेकिन येवगेनी ने कहा है कि उनके लड़ाके हस्ताक्षर नहीं करेंगे. वे रूसी सेना के साथ नहीं जाएंगे. 

इस बीच खबर यह भी आ रही है कि वैगनर ग्रुप में भर्तियां फिर से तेजी से शुरू हो गई हैं. इसका सीधा सा मतलब है कि कहानी में बहुत सारे पेंच हैं..! कई दृश्य पर्दे के पीछे हैं. सबकुछ जानने के लिए हमें अभी और इंतजार करना होगा.

Web Title: Russia Vladimir Putin vs wagner, There are many screws in this story

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