Russia Ukraine Crisis: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने भारत सहित पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. इससे विश्व व्यवस्था के बदलने का खतरा पैदा हो गया है. इसकी उत्पत्ति और नतीजों को समझने के लिए, लोकमत ग्रुप के सीनियर एडिटर शरद गुप्ता ने भारतीय विदेश सेवा के 1966 बैच के अधिकारी पद्मश्री कंवल सिब्बल से बात की, जिन्होंने 2004 से 2007 तक रूस में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया. उन्होंने देश के विदेश सचिव के रूप में भी कार्य किया है.
पढ़िए साक्षात्कार के प्रमुख अंश -
रूस ने यूक्रेन पर हमला क्यों किया? क्या इसे जायज ठहराया जा सकता है?
इस संकट का स्नोत सोवियत संघ का पतन और यूक्रेन के स्वतंत्र राज्य के रूप में निर्माण में है. रूसी सीमाओं की ओर नाटो के निरंतर विस्तार के कारण समस्या शुरू हुई. रूस ने विरोध किया लेकिन तब कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं था. 2009 में जॉर्जिया और यूक्रेन को भी नाटो सदस्यता की पेशकश की गई थी और रूस ने जॉर्जिया को नाटो का सदस्य बनने से रोकने के लिए सैन्य हस्तक्षेप किया था.
यह पश्चिम के लिए एक चेतावनी थी कि अब और आगे नहीं. नाटो ने अगर सोवियत संघ के तत्कालीन राज्यों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो रूस विरोध करेगा. बाल्टिक देशों की स्थिति अलग थी इसलिए यूक्रेन ने जब नाटो में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की तो रूस ने इसे क्षेत्र में अपनी संप्रभुता और आधिपत्य के लिए खतरा मानते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की.
2014 में, फ्रांस और जर्मनी ने पूर्वी यूक्रेन क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच समझौते के लिए मध्यस्थता की. लेकिन समझौते को कभी भी लागू नहीं किया जा सका क्योंकि यूक्रेन में गहरी रूस विरोधी ताकतें किसी भी क्षेत्र को जाने नहीं देना चाहती थीं और उन क्षेत्रों पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया था.
क्या इसके भू-राजनीतिक कारण भी हैं?
काला सागर रूस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसके बिना उनके पास एक प्रभावी नौसेना नहीं हो सकती है और वे सीरिया में दो ठिकानों की रक्षा नहीं कर सकते हैं. नाटो में शामिल होने के लिए यूक्रेन के कदम से खतरे में पड़ रहा था. यूक्रेन से अमेरिका में कई चरणों में, बड़ी संख्या में पलायन हुआ है और उनमें से कुछ निर्णय लेने में बहुत प्रभावशाली हैं. इनमें विदेश विभाग में वर्तमान अवर सचिव विक्टोरिया न्यूलैंडशामिल हैं.
यूक्रेन गुटनिरपेक्ष क्यों नहीं रह सकता - न तो नाटो के साथ और न ही रूस के साथ?
जी हां, बिल्कुल. स्विट्जरलैंड और फिनलैंड की तरह, जो नाटो से बाहर हैं. यही सबके हित में है. जैसे ऑस्ट्रिया ने 1956 में अपनी तटस्थता का लिखित वचन दिया था, वैसे ही यूक्रेन भी यह वचन दे सकता है कि वह नाटो में शामिल नहीं होगा और इससे समस्या का समाधान हो जाएगा.
फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की नाटो में शामिल होने के लिए क्यों उतावले हैं?
वे एक सुलझे हुए व्यक्ति नहीं हैं. वे कॉमेडियन रह चुके हैं. यह कुछ ऐसा है जैसे कल कोई टीवी एंकर भारत का प्रधानमंत्री बन जाए. यूक्रेन एक अत्यधिक भ्रष्ट समाज है. लोग अपने राजनेताओं से तंग आ चुके थे इसलिए उन्होंने इस आदमी को चुना. वे यूक्रेन में चरम-राष्ट्रवादी ताकतों के हाथों की कठपुतली हैं जो पोलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका से गहराई से जुड़े हुए हैं.
क्या इस युद्ध से विश्व व्यवस्था में बदलाव आएगा या यथास्थिति बनी रहेगी?
वैसे तो दुनिया में पहले से ही बहुत अव्यवस्था है. भारत के लिए इसका क्या अर्थ है? हम इसमें कोई भूमिका नहीं निभा रहे हैं. हमें बाहर कर दिया गया है. सभी वैश्विक एजेंडों में पश्चिम का वर्चस्व है. वे संयुक्त राष्ट्र में सुधार नहीं करने दे रहे हैं. हम एक लंबे शीत युद्ध में प्रवेश कर रहे हैं. उन्होंने आरटी जैसे रूसी मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है. वे एक अलग दृष्टिकोण को स्वीकार क्यों नहीं कर सकते? रूस को दंडित किया जा रहा है लेकिन यह सरासर अराजकता है.
अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली स्विफ्ट से रूस को बाहर करने का क्या प्रभाव होगा?
माना जाता है कि रूसियों ने अपने स्वयं के भुगतान गेटवे विकसित कर लिए हैं. इसके अलावा, वे हमेशा चीनी भुगतान प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं.
क्या रूस अपनी गैस पाइपलाइनों को यूरोप में बंद करके जवाबी कार्रवाई कर सकता है?
नहीं, मुझे नहीं लगता कि रूस कभी ऐसा करेगा. यह रूस के लिए एक आकर्षक कदम हो सकता है. लेकिन अगर ऐसा होता है, तो बाल्टिक राज्यों के अलावा जर्मनी और इटली पर अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा.
युद्ध कब तक चलेगा?
लंबा नहीं, क्योंकि रूस पहले ही यूक्रेन के सैन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट कर चुका है. लेकिन रूस यूक्रेनियन को शारीरिक नुकसान पहुंचाना पसंद नहीं करेगा क्योंकि वे भाई के समान हैं. जैसा कि पुतिन ने कहा कि यूक्रेन कभी भी एक देश नहीं था जब तक कि लेनिन ने इसे नहीं बनाया. यूक्रेन का अर्थ है सीमावर्ती क्षेत्र (रूस का). वे सिर्फ यूक्रेन में एक दोस्ताना सरकार चाहते हैं.
क्या पश्चिम यूक्रेन में रूस की कठपुतली सरकार को स्वीकार करेगा?
अगर यूक्रेन की सेना नई सरकार का समर्थन करने और चरम दक्षिणपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला करती है, तो स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन, पश्चिम यूक्रेन को रूस के लिए एक और अफगानिस्तान बनाना जारी रखेगा. यह एक गंदा खेल है.