भारत को तोड़ने का सपना देखने वाले बांग्लादेशी नेता उस्मान हादी की मौत पर जब पश्चिम के ज्यादातर देश संवेदनाएं प्रकट कर रहे हों लेकिन अल्पसंख्यकों की हत्या पर एक शब्द नहीं बोल रहे हों तो यह स्पष्ट है कि वो देश भारत के साथ नहीं हैं. उस्मान हादी को पिछले सप्ताह अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी. फिर उपचार के दौरान सिंगापुर में उसकी मौत हो गई. कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश में अफवाह फैलाई कि हमलावर भारत भाग गए हैं. फिर भारत के खिलाफ ऐसा माहौल बना कि ढाका स्थित भारतीय दूतावास भी खतरे में आ गया था.
ऐसे समय में रूस का भारत के साथ आना इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक परिदृश्य में हमारा सबसे पक्का दोस्त रूस ही है. भारत और बांग्लादेश के बीच तनातनी को लेकर रूस ने अभी तक कुछ खास नहीं बोला था और दुनिया की नजर इस बात पर लगी थी कि रूस का रुख क्या होगा? जब रूस ने मुंंह खोला तो पश्चिमी देशों को मिर्ची जरूर लगी होगी.
बांग्लादेश में रूसी राजदूत अलेक्जेंडर ग्रिगोरियेविच खोजिन ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बांग्लादेश जितनी जल्दी भारत के साथ तनाव कम करेगा, बांग्लादेश के लिए उतना ही बेहतर होगा. तनाव कम करना न केवल दोनों देशों बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने यह भी कहा कि 1971 में बांग्लादेश को आजादी मुख्य रूप से भारत की मदद से मिली थी और रूस ने भी समर्थन किया था. रूसी राजदूत की ओर से बांग्लादेश को उसकी आजादी के पीछे भारत की भूमिका की याद दिलाना इस बात का प्रमाण है कि रूस बांग्लादेश से कह रहा है कि एहसानफरामोश मत बनो!
उन्होंने पाकिस्तान या पश्चिमी देशों का नाम नहीं लिया लेकिन उनके कहने का आशय स्पष्ट है कि इसी पाकिस्तान ने बांग्लादेश का गला घोंट रखा था. भारत नहीं होता तो बांग्लादेश बनता ही नहीं. वह पूर्व पाकिस्तान ही बना रह जाता. रूस की इस स्पष्टवादिता से निश्चय ही भारत की ताकत का इजहार हुआ है.
आज अमेरिका से लेकर ज्यादातर पश्चिमी देश यह देख रहे हैं कि बांग्लादेश कट्टरपंथियों की गिरफ्त में जा रहा है लेकिन वे उन कट्टरपंथियों के लिए जमीन को उपजाऊ बना रहे हैं. वास्तव में पश्चिमी देशों ने तो बांग्लादेश के जन्म का भी विरोध किया था. वे तो पाकिस्तान के साथ खड़े थे. आज भी यही हो रहा है.
अमेरिका और पश्चिमी देशों की राजनीति ने बांग्लादेश को तबाह कर दिया है. ऐसे में भारत की चाहत है कि बांग्लादेश में ऐसा पारदर्शी चुनाव हो कि जनता जिसे सत्ता में लाना चाहे, लाए. कट्टरपंथी चाहते हैं कि सत्ता उनके पास हो. इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि क्या मो. यूनुस वास्तव में चुनाव कराना भी चाहते हैं या नहीं?
कहीं ऐसा तो नहीं कि वे बांग्लादेश को इस तरह जलने पर मजबूर कर देना चाहते हैं कि लोग ही कहें कि ऐसे हालात में चुनाव कैसे होंगे? और यूनुस सत्ता में बने रहें! राजनीति और कूटनीति में कुछ भी संभव है. इस बीच रूस के स्पष्ट रवैये ने यह तो साबित कर दिया हैै कि बांग्लादेश में शांति की चिंता को लेकर भारत अकेला नहीं है. भारत के साथ उसका पक्का दोस्त रूस पूरी ताकत से खड़ा है.