ब्लॉग: सफल कूटनीति है कतर से पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई

By आरके सिन्हा | Published: February 13, 2024 11:43 AM2024-02-13T11:43:31+5:302024-02-13T11:54:11+5:30

बेशक, इसे पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी सफलता ही माना जाएगा कि कतर से फांसी की सजा घोषित हुए नागरिकों की आज रिहाई हो गई। वे सभी सकुशल और सम्मानजनक तरीके से भारत की धरती पर वापस लौट आए।

Release of former Indian marines from Qatar is successful diplomacy | ब्लॉग: सफल कूटनीति है कतर से पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई

फाइल फोटो

Highlights18 महीने बाद जेल से रिहाई की सोमवार को जैसे ही खबर आई तो सारा देश ही झूम उठाअधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया थादेश यह भी प्रार्थना कर रहा था कि कतर की जेल में बंद भारतीय रिहा होकर सकुशल वापस आ जाएं

कतर की जेल में बंद भारतीय नौसैनिकों की 18 महीने बाद जेल से रिहाई की सोमवार को जैसे ही खबर आई तो सारा देश ही झूम उठा। कुछ समय पहले इन अधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। तब देश को कम से कम यह संतोष तो था कि चलो हमारे नागरिकों की जान तो बच गई, पर देश यह भी प्रार्थना कर रहा था कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिक रिहा होकर सकुशल देश वापस आ जाएं।

बेशक, इसे पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी सफलता ही माना जाएगा कि कतर से फांसी की सजा घोषित हुए नागरिकों की आज रिहाई हो गई। वे सभी सकुशल और सम्मानजनक तरीके से भारत की धरती पर वापस लौट आए। इस तरह से भारत की कुशल विदेश नीति को सारे संसार ने देखा और दांतों तले उंगलियां दबाकर आश्चर्य से देखते ही रह गए। अमूमन अरब देशों के शेख सामान्य तौर पर जासूसी के आरोप में सजा प्राप्त लोगों की सजा माफ नहीं करते।

भारत के अरब देशों के साथ संबंध लगातार सुधर रहे हैं। उसी के सार्थक परिणाम को भारतीय नौसैनिकों की रिहाई और घर वापसी के रूप में देखा जाना चाहिए।

दरअसल, कतर के दोहा के अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले भारतीय नौसेना के इन पूर्व जवानों को पिछले साल 28 दिसंबर को कतर की अपील अदालत ने राहत दी थी। अदालत ने तब अक्तूबर 2023 में इन्हें दी मौत की सजा को कम करते हुए 3 साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी।

 कतर की जेल में बंद भारतीयों की रिहाई से साफ है कि जहां पर भी भारतवंशी या भारतीय संकट में होते हैं तो भारत सरकार हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठती। रूस-यूक्रेन जंग के कारण हजारों भारतीय मेडिकल स्टूडेंट यूक्रेन में फंस गए थे। उन्हें भारत सरकार सुरक्षित स्वेदश लेकर आई।

पिछले साल अफ्रीकी देश सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच चल रहे भीषण गृहयुद्ध के चलते वहां हालात बद से बदतर हो गए थे। ऐसे में वहां फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने को लेकर सारा देश चिंतित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूडान में फंसे भारतीयों की जल्द से जल्द निकासी के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिए और कुछ ही हफ्तों में वहां से सारे के सारे भारतीय सुरक्षित वापस स्वदेश आ गए। अफगानिस्तान में गृह युद्ध के दिनों को याद कर लें. काबुल में जिस तरह के हालात बन गए थे। उसमें सारे भारतीयों को लेकर आना कोई छोटी बात नहीं थी।

Web Title: Release of former Indian marines from Qatar is successful diplomacy

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