ब्लॉग: सारे पड़ोसियों से पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्ते

By राजेश बादल | Published: December 20, 2023 10:02 AM2023-12-20T10:02:09+5:302023-12-20T10:02:18+5:30

पाकिस्तानी संसद के चुनाव होने वाले हैं। इसलिए वहां के संविधान के मुताबिक एक कामचलाऊ प्रधानमंत्री चुनाव तक मुल्क का बोझ खींचता है।

Pakistan's deteriorating relations with all its neighbors | ब्लॉग: सारे पड़ोसियों से पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्ते

ब्लॉग: सारे पड़ोसियों से पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्ते

पाकिस्तान अब चीन की राह पर चल पड़ा है। हम मान लें कि भारत के साथ उसके संबंध अब सुधरने वाले नहीं हैं। बाकी दो पड़ोसी अफगानिस्तान और ईरान भी इन दिनों उससे आगबबूला हैं। खौफ का कारोबार करने वाले लश्करों ने अपनी पनाहगाह पाकिस्तान को तो पहले से ही निशाने पर ले लिया था।

अब उनसे ईरान निपट रहा है। ताजा वारदात ने ईरान को इस बात के लिए मजबूर कर दिया है कि वह पाकिस्तान को अब तक की सबसे सख्त धमकी दे। उसने पाकिस्तान से दो-टूक कहा है कि उसका अपनी सीमाओं पर नियंत्रण नहीं रह गया है। वह अपराधियों को संरक्षण देने वाला मुजरिम मुल्क है। वहां दहशतगर्द बहुत सुरक्षित रहते हैं। उन पर काबू पाने में पाकिस्तान सरकार नाकाम रही है। अब ईरान इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।

ताजा वारदात ईरान के सिस्तान - बलूचिस्तान में हुई है. यह प्रांत पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान से सटा हुआ है। पाक के कब्जे की बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यह प्रदेश हिंदुस्तान से अलग होते समय अंग्रेजों ने पाकिस्तान को नहीं सौंपा था। बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश था और अंग्रेज जब 1947 में अपने देश वापस गए तो बलूचिस्तान को आजाद कर गए थे। बाद में षडयंत्रपूर्वक पाकिस्तान ने इस स्वतंत्र देश पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से ही वहां की अवाम पाकिस्तान से मुक्त होने के लिए छटपटा रही है। अनेक संगठन अपनी आजादी के लिए दशकों से वहां काम कर रहे हैं। इन संगठनों से लड़ने के लिए पाकिस्तान के अपने पैदा किए हुए भी कुछ गिरोह हैं, जो ईरान भी जाकर मार करते हैं।

इनमें से एक जैश अल अदल है। यह संगठन दक्षिण पूर्व ईरान में सक्रिय है।ईरान ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है, लेकिन पाकिस्तान उसके विरुद्ध कार्रवाई से बचता रहा है। इस उग्रवादी गैंग ने हाल ही में रास्क के पुलिस मुख्यालय पर हमला किया था। इसमें ईरान के ग्यारह सुरक्षा अधिकारियों की मौत हो गई थी। अरसे बाद ईरान में इतना बड़ा आतंकवादी हमला हुआ है। इसके बाद ईरान ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और उसकी भर्त्सना की। ईरान शिया बाहुल्य मुल्क है और पाकिस्तान में सुन्नियों का बोलबाला है। जैश अल अदल भी सुन्नी गिरोह है।

उसने ईरान में बीते दिनों ईरानी सुरक्षा दलों पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। यह तथ्य छिपा नहीं है कि पाकिस्तान में शियाओं की दुर्गति है। पाकिस्तान ने आतंकवादी गिरोहों को रोकने के लिए आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है।

ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने रास्क से जारी बयान में पाकिस्तान को खुली चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ईरान चाहेगा कि पाकिस्तान अपनी सीमा पर ऐसे उग्रवादियों का सफाया करे और उन्हें ईरान में नहीं घुसने दे। उन्होंने जोड़ा कि दुश्मन ने भारी हमले की तैयारी की थी। ईरानी गार्ड्स ने उसे विफल कर दिया। उन्होंने तो यह भी कहा कि शिया होने के कारण ही पाकिस्तान ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से बचता है। यही कारण है कि तीन-चार महीने पहले इस संगठन ने चार पुलिस अधिकारियों को मार डाला था। उससे पहले मुठभेड़ में भी ईरान के छह वरिष्ठ पुलिस अफसर मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच वार्ताओं के दौर चले। मगर उनका नतीजा नहीं निकला।

पाकिस्तान के रक्षा सचिव हमूद उज जमां खान ने ईरान के उप रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल मेहदी फराही से मिलकर सफाई दी पर, ईरान का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है।

इस भीषण हमले के बाद पाकिस्तान बचाव की मुद्रा में है। उसके विदेश विभाग ने कहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है। लेकिन उसके पास इस आरोप का उत्तर नहीं है कि पाकिस्तान सुन्नी गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करता। इसके पीछे एक ठोस कारण और है। पाकिस्तानी फौज ही इन गिरोहों को संरक्षण देती आई है। फौज के आला अधिकारी सेना की नौकरी करने के साथ-साथ कई धंधे भी करते हैं। इनमें अफीम और हेरोइन की तस्करी, अवैध हथियारों का निर्माण और उनकी उग्रवादी संगठनों को तस्करी जैसे काली कमाई के स्रोत हैं। दशकों से यह सिलसिला चल रहा है। इसलिए पाकिस्तान की ओर से कार्रवाई तो होती है, लेकिन वह सिर्फ दिखावे के लिए होती है। उसका कभी परिणाम देखने को नहीं मिला।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज तालिबान सरकार के साथ भी पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़े हुए हैं। अफगानिस्तान अपनी सीमा पर अशांति और तनाव के लिए भी लगातार पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराता रहा है। पाकिस्तान के अनेक नागरिक और सैनिक अफगानी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं।

इसके पीछे भी अफीम और उसके सह उत्पादों की तस्करी है। पाक सेना इसमें शामिल है क्योंकि अफगानिस्तान अफीम के अवैध उत्पादन के लिए कुख्यात है। तीन महीने पहले अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों और पाकिस्तानी रेंजरों के बीच भीषण गोलीबारी हुई थी। इसके बाद तोरखम सीमा को एकदम सील कर दिया गया है।

भारत के साथ पाकिस्तान के बिगड़े संबंध तो जगजाहिर हैं। आम तौर पर कहीं भी कार्यवाहक प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कोई नीति विषयक बयान या निर्णय करता क्योंकि वह निर्वाचित नहीं होता। पाकिस्तानी संसद के चुनाव होने वाले हैं। इसलिए वहां के संविधान के मुताबिक एक कामचलाऊ प्रधानमंत्री चुनाव तक मुल्क का बोझ खींचता है। हाल ही में वहां के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर ने अपने कब्जे वाले कश्मीर की विधानसभा में भारत के बारे में ऊटपटांग बातें कहीं।

साफ है कि पाकिस्तान अपने सारे पड़ोसियों को नाराज कर चुका है। हम चीन को उसका पड़ोसी इसलिए नहीं मान सकते क्योंकि उसकी जो सीमा चीन से लगती है, वह भारतीय क्षेत्र है और पाकिस्तान उस पर जबरन कब्जा करके बैठा है।

Web Title: Pakistan's deteriorating relations with all its neighbors

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