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ब्लॉग: पाकिस्तान में चुनाव लड़ने वालों का भारत से रहा है रिश्ता

By विवेक शुक्ला | Updated: February 9, 2024 11:32 IST

पाकिस्तान में अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) का गांधी से संबंध रहा है। गांधी से मतलब सीमांत गांधी से है।

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पाकिस्तान में हिंसा की घटनाओं के बीच संसद के लिए आज 8 फरवरी को चुनाव हुए। अजीब इत्तेफाक है कि किसी भी दल ने अपनी सभाओं में भारत से संबंध सुधारने के बारे में कोई बात नहीं कही, पर भारत वहां के सभी प्रमुख दलों में किसी न किसी रूप में मौजूद है। नवाज शरीफ (मुस्लिम लीग, एन), बिलावल भुट्टो (पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, पीपीपी) और जेल में बंद तहरीके इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के नेता इमरान खान का भारत से पारिवारिक संबंध है। इनके अलावा, अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और मुत्ताहिदा कौमी पार्टी (एमक्यूएम) का भी भारत या भारत के कुछ शहरों से भावनात्मक संबंध है।

नवाज शरीफ के पुरखे मूल रूप से अमृतसर के करीब स्थित जट्टी उमरा गांव से हैं। उनका अब भी जट्टी उमरा से संबंध बना हुआ है। नवाज शरीफ के छोटे भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ 2013 में भारत यात्रा के दौरान अपने पुरखों के गांव भी गए थे। वे उस कब्रिस्तान में भी गए थे जहां उनके कई बुजुर्ग चिर निद्रा में लीन हैं। नवाज शरीफ जब पहली बार पाकिस्तान के 1990 में प्रधानमंत्री बने तो जट्टी उमरा में जश्न मना था।

चुनाव के बाद अपने देश का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले बिलावल भुट्टो ने मुंबई के कैथेड्रल स्कूल का नाम सुना होगा। जब पाकिस्तान 1947 में बना तो बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो इस स्कूल से निकल चुके थे। भुट्टो परिवार पाकिस्तान 1947 में नहीं, 1950 में गया था। जुल्फिकार भुट्टो का कई अर्थों में भारत से करीबी संबंध था। वे मुम्बई के कैथेड्रल स्कूल में पढ़े। भुट्टो के पिता शाहनवाज भुट्टो देश के विभाजन से पहले जूनागढ़ रियासत के प्रधानमंत्री थे।

इमरान खान इस चुनाव से बाहर हैं। उन्हें अलग-अलग केसों में लंबी सजा हो चुकी है। उनकी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में जरूर हैं। इमरान खान की ननिहाल भारत के जालंधर शहर में थी। उनके नाना डॉ. इकरामउल्ला खान शहर के सम्मानित शिक्षाविद् थे। उनका घर था बस्ती दानिशमंदा में उन्होंने ही जालंधर में इस्लामिया कॉलेज की स्थापना की थी।

पाकिस्तान में अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) का गांधी से संबंध रहा है। गांधी से मतलब सीमांत गांधी से है। सीमांत गांधी के पुत्र खान अब्दुल वली खान ने इसकी स्थापना की थी। अपने दादा वली खान और पिता की तरह इसके वर्तमान नेता असफंदयार वली खान भारत के मित्र हैं। असफंदयार के दादा और पिता ने देश के बंटवारे का कड़ा विरोध किया था। एएनपी को इस चुनाव में खैबरपख्तूनख्वा प्रांत में बड़ी सफलता की उम्मीद है। चुनावों में एएनपी को अगर बड़ी कामयाबी मिलती है तो उससे दोनों मुल्कों के संबंध बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।   आखिर यह सीमांत गांधी की पार्टी है।  

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