जनरल असीम मुनीर के तलवे क्यों चाट रहे हैं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 22, 2025 05:30 IST2025-05-22T05:30:10+5:302025-05-22T05:30:10+5:30

अब सवाल उठता है कि शाहबाज शरीफ ने भारत से बुरी तरह पिटे हुए मुनीर को फील्ड मार्शल का पद खुद दिया या मुनीर ने कहा कि ये सम्मान मुझे चाहिए, आप दीजिए!

pak ind war Why Pakistani Prime Minister Shahbaz Sharif licking feet of General Asim Munir | जनरल असीम मुनीर के तलवे क्यों चाट रहे हैं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ

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Highlightsशरीफ ने खुद पहल की तो इसे खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारना कहा जाएगा.1959 में जनरल मोहम्मद अयूब खान ने खुद ही यह पद ले लिया था.भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह धोया है फिर भी वह जीत की शेखी बघार रहा है.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने जब सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल का पद देने की घोषणा की तो पूरी दुनिया ने यह महसूस किया कि शरीफ दरअसल मुनीर के तलवे चाट रहे हैं. ये पाकिस्तान की बदकिस्मती है कि वहां के चुने हुए राजनेता सेना और आईएसआई के गठजोड़ का सामना करने की कभी हिम्मत नहीं कर पाते. इमरान खान जैसे कुछ लोगों ने हिम्मत की तो वे कालकोठरी में पड़े हैं. शाहबाज शरीफ ऐसी कोई हरकत कैसे कर सकते हैं जो उन्हें जेल के सींखचों में पहुंचा दे. हिंदू और मुसलमान के साथ न रहने का बयान देकर मुनीर ने जो विष-राग छेड़ा है उसने उन्हें आतंकवादियों का पसंदीदा बना दिया है. मुनीर खुलकर आतंकवादियों के साथ हैं. आपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में जिस तरह से पाकिस्तान की सेना ने शिरकत की, उससे ज्यादा प्रमाण और क्या चाहिए? अब सवाल उठता है कि शाहबाज शरीफ ने भारत से बुरी तरह पिटे हुए मुनीर को फील्ड मार्शल का पद खुद दिया या मुनीर ने कहा कि ये सम्मान मुझे चाहिए, आप दीजिए!

यदि शरीफ ने खुद पहल की तो इसे खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारना कहा जाएगा और मुनीर के कहने पर दिया तो पाकिस्तान के इतिहास में वे भी एक डरपोक प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज हो गए हैं. मुनीर दूसरे व्यक्ति हैं जो फील्ड मार्शल के साथ पांच सितारा हो गए हैं. इससे पहले 1959 में जनरल मोहम्मद अयूब खान ने खुद ही यह पद ले लिया था.

तब उन्होंने एक हास्यास्पद बयान दिया था कि नागरिकों के निरंतर अनुरोध के कारण उन्हें फील्ड मार्शल का पद लेना पड़ा. फील्ड मार्शल का पद अमूमन युद्ध काल में असाधारण नेतृत्व के लिए दिया जाता है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह धोया है फिर भी वह जीत की शेखी बघार रहा है. जीत का जश्न मना रहा है.

इस झूठ को जनता की नजर में पुख्ता बनाने के लिए ही मुनीर के खाते में फील्ड मार्शल का सम्मान टपका दिया गया है. अब सवाल यह है कि इससे क्या फर्क पड़ेगा? पाकिस्तानी सेना और आईएसआई वहां के मदरसों के माध्यम से यह सुनिश्चित करती है कि जो सूचना वह अवाम तक पहुंचाना चाहती है, उतनी ही बात पहुंचे.

आप देखिए कि पूरी दुनिया जानती है कि भारत के साथ जंग में पाकिस्तान चार बार हार चुका है. 1971 में तो 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने सरेंडर किया था लेकिन ये बातें वहां बताई ही नहीं जाती है. पूरी कौम को सूचना के अंधेरे में रखने की कोशिश की जाती है.

ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से फील्ड मार्शल के इस अलंकारिक ओहदे ने जनरल मुनीर की शक्ति को काफी बढ़ा दिया है और शाहबाज शरीफ को और ज्यादा कमजोर कर दिया है. सभी जानते हैं कि  शाहबाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के रहमोकरम पर ही चुनाव जीती और शाहबाज प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए. उनके भाई नवाज शरीफ भी सेना के रहमोकरम पर ही हैं. ऐसे में शरीफ लोकतंत्र के हित में कोई शराफत दिखाने की हिम्मत कर ही नहीं सकते हैं.

वे सत्ता में तभी तक हैं जब तक सेना और आईएसआई चाहेगी. यदि मुनीर के मन में यह बात जम जाती है कि पाकिस्तान का भला केवल वही कर सकते हैं तो फिर यह मान कर चलिए कि सेना सत्ता पर कब्जा कर लेगी. पाकिस्तान फिर से मार्शल लॉ की चपेट में चला जाएगा. भारत के लिए यह स्थिति निश्चय ही और भी चुनौतीपूर्ण होने वाली है.

Web Title: pak ind war Why Pakistani Prime Minister Shahbaz Sharif licking feet of General Asim Munir

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