निरंकार सिंह का ब्लॉग: वैक्सीन परीक्षण पर टिकी निगाहें
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 10, 2020 04:22 PM2020-04-10T16:22:54+5:302020-04-10T16:22:54+5:30
पिछले महीने अमेरिका में पहली बार इंसानों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जा चुका है. लेकिन उस वक्त जानवरों पर परीक्षण करने वाला चरण छोड़ दिया गया था.
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के दो संभावित वैक्सीन को लेकर टेस्ट शुरू कर चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी व अमेरिकी कंपनी इनोविओ फार्मास्युटिकल्स के बनाए वैक्सीन का जानवरों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है. अगर ये वैक्सीन इंसानों पर परीक्षण में सफल पाए जाते हैं तो ऑस्ट्रेलिया की साइंस एजेंसी इसका आगे मूल्यांकन करेगी. पिछले महीने अमेरिका में पहली बार इंसानों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जा चुका है. लेकिन उस वक्त जानवरों पर परीक्षण करने वाला चरण छोड़ दिया गया था.
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के वैक्सीन पर तेजी से काम चल रहा है. ऑस्ट्रेलिया के कामनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च आर्गेनाइजेशन (सीएसआईआरओ) का कहना है कि यह परीक्षण पहला पूरी तरह से जानवरों पर आजमाया गया प्री-क्लिनिकल ट्रायल होगा. आर्गेनाइजेशन (सीएसआईआरओ) के डॉक्टर रब ग्रेनफेल का कहना है, ‘आमतौर पर इस स्टेज तक पहुंचने में एक से दो साल तक का वक्त लगता है.
लेकिन हम सिर्फ दो महीने में यहां तक पहुंच गए हैं’ पिछले कुछ दिनों में सीएसआईआरओ की टीम ने इस वैक्सीन को गंधबिलाव (नेवले की जाति का एक जानवर) पर टेस्ट किया है. यह साबित हो चुका है कि गंधबिलाव में इंसानों की तरह ही कोरोना वायरस का संक्रमण होता है. पूरी दुनिया में कम से कम 20 वैक्सीन पर अभी काम चल रहा है.
सीएसआईआरओ की टीम दो वैक्सीन पर काम कर रही है. पहला वेक्टर वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित किया गया है. दूसरा वैक्सीन अमेरिकी कंपनी इनोविओ फर्मास्युटिकल्स ने तैयार किया है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि जानवरों पर होने वाले परीक्षण के नतीजे जून की शुरुआत में आ सकते हैं. अगर नतीजे सही आते हैं तो वैक्सीन को क्लिनिकल परीक्षण के लिए भेजा जा सकता है़ इसके बाद से मार्केट में इसके आने की प्रक्रिया तेज हो सकती है लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि कम से कम 18 महीने का वक्त इसके बाद भी दूसरी प्रक्रियाओं में लग सकता है.