भारत में कैम्पस खोलने जा रहे ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालय?, विदेशी विवि कैम्पसों का स्वागत, पर हमारे शिक्षा संस्थान कहां हैं?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 11, 2025 05:13 IST2025-10-11T05:13:28+5:302025-10-11T05:13:28+5:30

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में 7.6 लाख से अधिक छात्र विदेश गए, जबकि वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 8.94 लाख से अधिक था.

Nine British universities going open their campuses in India Foreign university campuses welcome but where our educational institutions | भारत में कैम्पस खोलने जा रहे ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालय?, विदेशी विवि कैम्पसों का स्वागत, पर हमारे शिक्षा संस्थान कहां हैं?

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Highlights भारत में ब्रिटेन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी मौजूदगी वाला देश बन जाएगा.भारत से हर साल बड़ी संख्या में विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए विदेश जाते हैं. कुछ रिपोर्टों में 2024 में विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या 13.35 लाख से अधिक बताई गई है.

उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की चाह रखने वाले भारतीयों के लिए यह एक सुखद खबर है कि ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालय भारत में अपना कैम्पस खोलने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच गुरुवार को मुंबई में हुई मुलाकात के दौरान इस पर सहमति बनी. इस पहल के साथ भारत में ब्रिटेन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी मौजूदगी वाला देश बन जाएगा.

भारत से हर साल बड़ी संख्या में विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए विदेश जाते हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में 7.6 लाख से अधिक छात्र विदेश गए, जबकि वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 8.94 लाख से अधिक था. हालांकि कुछ रिपोर्टों में 2024 में विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या 13.35 लाख से अधिक बताई गई है.

इनमें से लगभग सवा लाख छात्र पिछले एक साल में उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन गए. जाहिर है कि भारत में ही वहां के विश्वविद्यालयों के कैम्पस खुलने से छात्रों का वीजा, हास्टल का खर्च बच जाएगा, स्थानीय विश्वविद्यालयों से थोड़ी ही ज्यादा फीस में ब्रिटिश गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी और वहां की डिग्री भी घर बैठे ही मिल जाएगी.

लेकिन यहां एक सवाल मन में यह भी उठता है कि अपने देश के विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को हम इस स्तर का कब बना पाएंगे कि विदेशी छात्र भी उनमें प्रवेश पाने के लिए लालायित हों? हालांकि आईआईटी मद्रास का जांजीबार और तंजानिया में तथा आईआईटी दिल्ली का अबुधाबी में कैम्पस है लेकिन दुनिया के बड़े देशों की तुलना में हमारे उच्च शिक्षा संस्थान कहां ठहरते हैं?

आंकड़े बताते हैं कि शिक्षा सत्र 2024-25 में 200 देशों से 72218 छात्र भारत आए, जबकि इसके पहले के वर्ष में यह संख्या 64000 के आसपास ही थी. इनमें भी करीब 15000 छात्र तो नेपाल के ही होते हैं क्योंकि उनके लिए भारत में उच्च शिक्षा हासिल करना सबसे आसान होता है.

तो क्या हम अपने उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता को अभी उस स्तर का नहीं बना पाए हैं कि जैसे हमारे देश से कई लाख विद्यार्थी बाहर जाते हैं, वैसे ही अन्य देशों से भी लाखों विद्यार्थी हमारे देश में आएं? प्राचीन काल में एक दौर ऐसा भी था जब हमारे नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा संस्थान पूरी दुनिया में सर्वोपरि माने जाते थे और उस जमाने में दुनिया के कोने-कोने से हजारों छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे.

अपनी उसी प्रतिष्ठा की बदौलत भारत दुनिया में विश्वगुरु कहलाता था. आज हालत यह है कि हाल ही में जारी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में टॉप 200 यूनिवर्सिटी में भारत की एक भी नहीं है. इसलिए विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पसों का भारत में आना तो अच्छी बात है लेकिन अपने शिक्षा संस्थानों को भी हमें उस स्तर का बनाना होगा जहां वे अग्रणी विदेशी विश्वविद्यालयों की बराबरी कर सकें.   

Web Title: Nine British universities going open their campuses in India Foreign university campuses welcome but where our educational institutions

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