शोभना जैन का ब्लॉग: बड़ी और गंभीर चुनौतियों से घिरे है नए पीएम ऋषि सुनक, भारत-ब्रिटेन संबंधों में नई ऊंचाई की भी है उम्मीद

By शोभना जैन | Published: October 29, 2022 10:04 AM2022-10-29T10:04:53+5:302022-10-29T10:18:20+5:30

आपको बता दें कि ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल में भारत ब्रिटिश संबंधों को ले कर भारत और ब्रिटेन में बसे भारतवंशियों और विश्व में रहने वाले भारतवंशियों के बीच खास उत्सुकता और दिलचस्पी देखने को मिल रही है।

New PM Rishi Sunak surrounded by big serious challenges hope for new heights India-UK relations | शोभना जैन का ब्लॉग: बड़ी और गंभीर चुनौतियों से घिरे है नए पीएम ऋषि सुनक, भारत-ब्रिटेन संबंधों में नई ऊंचाई की भी है उम्मीद

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsब्रिटेन के नए पीएम बनने के बाद ऋषि सुनक के सामने बड़ी और गंभीर चुनौतियां है। ऋषि सुनक के सामने ब्रिटेन के विकास दर को बढ़ाने और उसमें रफ्तार लाने भी जिम्मेदारी है। ऐसे में भारत-ब्रिटेन के संबंधों पर भी सबकी नजर रहेगी।

लंदन: इसी सप्ताह 42 वर्षीय ऋषि सुनकब्रिटेन के पहले भारतवंशी और पिछले 210 बरसों में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बन गए. उनके प्रधानमंत्री बनने के चार दिन बाद ही सुनक की टीम के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवर्ली शुक्रवार को भारत के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुनक को फोन कर कार्यभार संभालने पर बधाई दी है, जिस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने पर जोर दिया गया. 

व्यापक और संतुलित मुक्त व्यापार समझौते पर राजी है दोनों नेता

दोनों ही नेता इस दौरान एक व्यापक और संतुलित मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र होने के महत्व पर भी सहमत थे. दो दिन पूर्व ही जयशंकर और क्लेवर्ली के बीच भी फोन पर बातचीत हुई थी जिसमें दोनों ने उभयपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के साथ ही आतंकरोधी सहयोग और यूक्रेन युद्ध पर चर्चा की. 

यहां यह बात अहम है कि क्लेवर्ली भारत के साथ अधिक मजबूत व्यापारिक संबंधों के समर्थक रहे हैं. ऐसे में पर्यवेक्षक क्लेवर्ली की भारत यात्रा को खास नजरिये से देख रहे हैं. 

ऋषि सुनक के पीएम बनने से पूरे विश्व में भारतवंशी है उत्साहित

ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल में भारत ब्रिटिश संबंधों को ले कर भारत और ब्रिटेन में बसे भारतवंशियों और विश्व में रहने वाले भारतवंशियों के बीच खास उत्सुकता और दिलचस्पी है. सुनक के लिए उनका यह कार्यकाल बेहद चुनौती भरा है जिसमें उनकी पहली प्राथमिकता देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने की होगी. 

अहम बात यह है कि पिछले महीने हुए पार्टी चुनाव में वे सदस्यों और सांसदों का बहुमत हासिल नहीं कर सके थे. लेकिन तब उन्हें हरा कर प्रधानमंत्री बनीं लिज ट्रस आर्थिक तंगी के समय जोखिम भरी कर कटौतियों और पिछली सरकार की अनेक नीतियों में उलटफेर संबंधी अपने ‘मिनी बजट’ को लेकर न तो जनप्रिय नीतियां ला पाईं और न ही इस अहम मसले पर अपनी पार्टी के सांसदों का समर्थन जुटा पाईं. 

दिवाली के दिन ही ऋषि सुनक को पीएम बनने का मिला था जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री बनने के मात्र 44 दिन बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और दिवाली वाले दिन ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री पद की जिम्मेवारी आखिर मिल ही गई जो कि कांटे के संघर्ष में एक माह पूर्व उन्हें नहीं मिल पाई थी. 

बहरहाल, सुनक ने बेहद चुनौतीपूर्ण ऐसे वक्त में ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली है जब देश न केवल गहन आर्थिक संकट से जूझ रहा है बल्कि राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. 

ब्रिटेन का विकास दर काफी सुस्त है

वे दस डाउनिंग में ऐसे वक्त में प्रवेश कर रहे हैं जब ब्रिटेन में विकास दर बेहद धीमी हो गई है, महंगाई अभूतपूर्व है, यूक्रेन युद्ध के चलते गैस की कीमत अभूतपूर्व ढंग से बढ़ी है और आम ब्रिटिश परेशानी ही नहीं भुगत रहा है, बल्कि एक जमाने में दुनिया की ताकतवर आर्थिक शक्ति रहे ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वित्तीय विश्वसनीयता को लेकर सवालिया निशान लग गए हैं. 

ब्रिटेन की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता को इस तथ्य से आसानी से समझा जा सकता है कि पिछले सात सप्ताह में बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस के बाद उन्हें देश के हालात सुधारने की मंशा से पार्टी ने देश का प्रधानमंत्री बनाया है और अब उनके सम्मुख देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के साथ ही 2025 के अगले आम चुनाव में लेबर पार्टी का मुकाबला करने के लिए अपनी विभाजित पार्टी को एकजुट करने की भी बड़ी जिम्मेदारी है. निश्चित तौर पर उनके पास भी करों में वृ्द्धि करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है ताकि खर्चों पर अंकुश लगाया जा सके.

ऋषि सुनक के खेमें में इन लोगों को मिली है जगह 

सुनक की सरकार का कार्यकाल कैसा होगा, इसकी एक झलक इस बात से समझी जा सकती है कि आर्थिक नीतियों में स्थिरता बनाए रखने की दृष्टि से जेरेमी हंट वित्त मंत्री बने रहेंगे, जबकि अपनी आव्रजन संबंधी नीतियों को लेकर विवाद का विषय बनी और सरकारी जानकारियां लीक हो जाने पर इस्तीफा देने वाली सुएला ब्रेवरमैन को उन्होंने इस्तीफा देने के छह दिन बाद दोबारा देश का गृह मंत्री बनाया है. ये दोनों ही ब्रेग्जिट के मुद्दे पर सुनक के कट्टर समर्थक रहे हैं. 

इसके साथ ही उन्होंने जेम्स क्लेवर्ली को विदेश मंत्री के रूप में अपनी टीम में शामिल किया है जो कि भारत के साथ अधिक मजबूत व्यापारिक संबंधों के समर्थक रहे हैं. बहरहाल, दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में प्रगाढ़ आपसी संबंध हैं. 

जलवायु परिवर्तन संबंधी गंभीर मुद्दे सहित अनेक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों की कमोबेश एक राय है. चर्चा का केंद्र रहा मुक्त व्यापार समझौता काफी समय से लटका है. हालांकि पहले इसके दिवाली से पहले होने की बात कही गई थी.
 
सोशल मीडिया पर ऋषि सुनक संबंधि टिप्पणियां और फोटो भी वायरल है

सोशल मीडिया इन दिनों सुनक के भारतीय कनेक्ट संबंधी दिलचस्प टिप्पणियों और फोटो से भरा हुआ है. सुनक की हिंदू धर्म में गहरी आस्था है और वे उसका विधि विधान से पालन करते हैं. उनके कार्यकाल में भारत के साथ उभयपक्षीय संबंधों के स्वरूप को लेकर लोगों में उत्सुकता है. 

भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्तों पर अब होगी सबकी नजर

वे हाल ही में कह भी चुके हैं कि वे भारत ब्रिटेन संबंधों के स्वरूप को बदल कर उन्हें अधिक आपसी आदान-प्रदान का रूप देना चाहते हैं जिससे ब्रिटिश छात्रों और कंपनियों को भारत में आसानी से प्रवेश मिल सके. 

सुनक सरकार की विदेश नीति में भारत के साथ रिश्तों पर नजर रहेगी. साथ ही उम्मीद यह भी की जानी चाहिए कि इस नए दौर में भावनात्मक रिश्ते के साथ व्यावाहरिक रूप में भी आपसी समझबूझ से सहयोग और बढ़ेगा.
 

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