ब्लॉगः चीन में सुस्ती के बीच भारत में नए अवसर

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: August 24, 2023 01:58 PM2023-08-24T13:58:22+5:302023-08-24T13:58:52+5:30

यदि हम चीन की अर्थव्यवस्था को देखें तो पाते हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 की डगर पर चीन की अर्थव्यवस्था निराशाओं और मुश्किलों से घिरी हुई है। विश्व बैंक के मुताबिक चीन की विकास दर करीब 5.6 फीसदी रह सकती है।

New Opportunities in India Amid Slowdown in China | ब्लॉगः चीन में सुस्ती के बीच भारत में नए अवसर

ब्लॉगः चीन में सुस्ती के बीच भारत में नए अवसर

इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक-वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में दो महत्वपूर्ण बातें उभरकर दिखाई दे रही हैं। एक वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की सुस्ती का दौर है और भारत की विकास दर चीन की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। दो, चीन की बढ़ती हुई आर्थिक समस्याओं और आपदाओं के बीच भारत के लिए आर्थिक अवसरों का नया दौर आकार ग्रहण करते हुए दिखाई दे रहा है। चीन-ताइवान के बीच चरम पर पहुंची तनातनी और चीन के द्वारा अपनाई जा रही अमेरिका विरोध की रणनीति के कारण चीन से निकलकर कई बड़ी कंपनियां भारत में काम शुरू कर चुकी है।

हाल ही में 3 अगस्त को दुनिया की दिग्गज आर्थिक शोध व बाजार पर नजर रखने वाली ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 6.2 फीसदी के साथ चीन से अधिक है। इस दशक के अंत तक जहां भारत की विकास दर 6.5 प्रतिशत पर रहेगी, वहीं चीन 3.9 प्रतिशत की सुस्त दर से विकास करेगा यानी भारत की विकास दर की रफ्तार चीन से दो तिहाई ज्यादा रहेगी। खास बात यह है कि मॉर्गन स्टेनली ने भारत की इकोनॉमिक आउटलुक रेटिंग बढ़ाकर ओवरवेट, तो चीन की घटाकर इक्वलवेट की है। ओवरवेट रेटिंग का मतलब बाजार दूसरों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है और आगे भी प्रगति की पूरी संभावनाएं है। भारत की इकोनॉमी अपनी श्रेणी के दूसरे देशों से बेहतर करेगी, जिसकी वजह से इसका शेयर बाजार भी बेहतर प्रदर्शन करेगा। चीन की रेटिंग का इक्वलवेट होना बताता है कि चीन के प्रति वैश्विक निवेशकों की भावना नकारात्मक है।

यदि हम चीन की अर्थव्यवस्था को देखें तो पाते हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 की डगर पर चीन की अर्थव्यवस्था निराशाओं और मुश्किलों से घिरी हुई है। विश्व बैंक के मुताबिक चीन की विकास दर करीब 5.6 फीसदी रह सकती है। चीन के बाजार में सुस्त उपभोक्ता खर्च, निर्यात में गिरावट, संकटग्रस्त संपत्ति बाजार, बढ़ती बेरोजगारी, भारी स्थानीय सरकारी ऋण, घरेलू मांग में कमी, कमोडिटी की कीमतों से लेकर इक्विटी बाजारों तक गिरावट, कर्मचारियों की छंटनी जैसी आर्थिक मुश्किलों और आपदाओं का परिवेश दिखाई दे रहा है। कुछ साल पहले बार-बार यह कहा जा रहा था कि चीन तेजी से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अमेरिका से आगे निकल जाएगा और वर्ष 2028 तक दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। लेकिन अब अमेरिका की आर्थिक स्थिति तक पहुंचने में चीन को निश्चित रूप से अधिक समय लगेगा। अर्थविशेषज्ञों का मत है कि चीन 30 वर्षों की अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि के बाद जापान शैली की धीमी विकास की स्थिति की तरह दिखाई दे रहा है।अमेरिका की इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के मुताबिक चीन को अमेरिका से आगे निकलने के लिए 2040 के दशक तक इंतजार करना होगा। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार के पास आर्थिक चुनौतियों के समाधान के लिए आसान विकल्प नहीं हैं।

दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में भारत को एशिया के सबसे उभरते बाजारों की लिस्ट में पहले नंबर पर रखा है। भारत में ढांचागत विकास की तेजी, बढ़ते विदेशी निवेश, बढ़ते शेयर बाजार, मजबूत राजनीतिक नेतृत्व, मध्यम वर्ग की ऊंची क्रय शक्ति, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम तथा बढ़ते हुए कामकाजी उम्र वाले लोग अर्थव्यवस्था की ताकत बढ़ा रहे हैं। एसएंडपी ग्लोबल ने अपनी ‘लुक फॉरवर्ड : इंडियाज मोमेंट’ रिपोर्ट 2023 में कहा है-वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2031-32 तक भारत औसतन 6.7 फीसदी सालाना दर से आगे बढ़ेगा। इस समयावधि में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 6.7 लाख करोड़ डॉलर यानी लगभग दोगुना हो जाएगा।

यह कोई छोटी बात नहीं है कि एक वर्ष पहले दुनिया के प्रमुख आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा रखने वाला भारत वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में दिखाई देगा, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली जैसे कई वैश्विक संगठनों की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि भारत 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर सामने आएगा। इसी तरह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की शोध इकाई इकोरैप की रिपोर्ट में भी कहा किया गया है कि भारत वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल से जून की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 8 फीसदी से ज्यादा रहने वाली है। इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान सालाना विकास दर के 6.5 फीसदी रहने की संभावना बन गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2027 तक अमेरिकी इकोनॉमी का आकार 31.09 ट्रिलियन डॉलर का होगा और यह पहले स्थान पर होगी। दूसरे स्थान पर चीन 25.72 ट्रिलियन डॉलर के साथ होगा। तीसरे स्थान पर भारत 5.15 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में दिखाई देगा।

Web Title: New Opportunities in India Amid Slowdown in China

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