ब्लॉग: ड्रैगन की छाया से परे भारत-नेपाल रिश्तों को नई गति

By शोभना जैन | Published: January 8, 2024 11:00 AM2024-01-08T11:00:28+5:302024-01-08T11:02:06+5:30

पिछले वर्षों की घटनाओं से भारत और नेपाल के बीच दूरियां बढ़ीं, ऐसे में चीन ने आगे बढ़कर नेपाल में अपनी रणनीतिक और राजनैतिक पैठ और मजबूत करनी शुरू की, नेपाल में निवेश बढ़ाया, आधारभूत क्षेत्र, पनबिजली बनाने जैसी अनेक परियोजनाओं के जरिये वहां अपनी मौजूदगी बढ़ाई।

New momentum to India-Nepal relations beyond China's shadow | ब्लॉग: ड्रैगन की छाया से परे भारत-नेपाल रिश्तों को नई गति

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने नेपाल की यात्रा की

Highlightsगत सप्ताह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने नेपाल की यात्रा की दोनों देशों के संबंधों को एक नई गति देने की मुहिम माना जा रहा हैभारत अगले दस साल के अंदर नेपाल से 10 हजार मेगावाट बिजली का आयात करेगा

नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों में नेपाल और चीन के एक-दूसरे की तरफ बढ़ते झुकाव और भारतनेपाल संबंधों के उतार-चढ़ाव भरे असहज दौर के बाद गत सप्ताह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने नेपाल की यात्रा की, जिसे दोनों देशों के संबंधों को एक नई गति देने की मुहिम माना जा रहा है। इस पृष्ठभूमि में जयशंकर की यह टिप्पणी अहम है जिसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने पड़ोसी साझीदारों के साथ रिश्तों को नये सिरे से परिभाषित करना जारी रखे हुए है। 

जयशंकर की यह यात्रा इसलिए भी खास है कि मोदी सरकार की ‘पड़ोसी सर्वप्रथम’ की नीति का नेपाल खास साझीदार रहा है। वैसे नेपाल की 2015 की कथित नाकेबंदी, नक्शा विवाद जैसी कुछ पिछले वर्षों की घटनाओं से भारत और नेपाल के बीच दूरियां बढ़ीं, ऐसे में चीन ने आगे बढ़कर नेपाल में अपनी रणनीतिक और राजनैतिक पैठ और मजबूत करनी शुरू की, नेपाल में निवेश बढ़ाया, आधारभूत क्षेत्र, पनबिजली बनाने जैसी अनेक परियोजनाओं के जरिये वहां अपनी मौजूदगी बढ़ाई। 

रोटी-बेटी के संबंधों की डोर से बंधे भारत के लिए स्वाभाविक तौर पर यह असहज स्थिति थी। भले ही चीन की यह हरकतें भारत-नेपाल संबंधों के बीच समय-समय पर उथल-पुथल तो खड़ी करती रहीं, लेकिन भारत ने आपसी समझबूझ और भागीदारी और मजबूत किए जाने का रास्ता बनाए रखा. जयशंकर की यह यात्रा इसी दिशा में कदम माना रहा है। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए. एक समझौते की चर्चा सबसे ज्यादा है। इसके तहत भारत अगले दस साल के अंदर नेपाल से 10 हजार मेगावाट बिजली का आयात करेगा और नेपाल के अंदर जलविद्युत यानी हाइड्रो पाॅवर इलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में बड़ा निवेश करेगा।

इसके लिए दोनों देशों द्वारा मिलकर बिजली को ट्रांसमिट करने के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का महत्वाकांक्षी प्रस्ताव है। इसके लिए दोनों देशों को मिलकर बिजली को ट्रांसमिट करने के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना होगा। इसके साथ ही भारतीय रॉकेट से नेपाली सैटेलाइट मुनाल को लॉन्च करना, क्रॉस बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनें और भूकंप के बाद राहत आपूर्ति के लिए एक हजार करोड़ रुपए देने की बात कही गई. यह समझौता सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि माना जा रहा है कि इनके राजनीतिक और रणनीतिक अर्थ भी हैं।
निश्चित तौर पर चीन की छाया से परे भारत और नेपाल के बीच संबंधों को नई गति देने की मुहिम के अहम रणनीतिक और राजनैतिक मायने तो हैं ही, लेकिन दोनों देशों के बीच ‘रोटी-बेटी’ वाले पौराणिक सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध परंपरागत द्विपक्षीय संबंधों से हट कर हैं।

Web Title: New momentum to India-Nepal relations beyond China's shadow

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