ब्लॉग: जो बाइडेन की यूक्रेन यात्रा युद्ध को और भड़काने के लिए थी, यही है अमेरिकी नीति!
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 22, 2023 09:48 AM2023-02-22T09:48:05+5:302023-02-22T09:51:20+5:30
अमेरिका असल में चाहता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध चलता रहे. इससे अमेरिका का हथियारों का उद्योग भी खूब खुश रहता है. इस मौके पर भारत एक जोरदार भूमिका निभा सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की यूक्रेन-यात्रा ने सारी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है. वैसे पहले भी कई अमेरिकी राष्ट्रपति जैसे जॉर्ज बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प इराक और अफगानिस्तान में गए हैं लेकिन उस समय तक इन देशों में अमेरिकी फौजों का वर्चस्व कायम हो चुका था. लेकिन यूक्रेन में न तो अमेरिकी फौजें हैं और न ही वहां युद्ध बंद हुआ है. वहां अभी रूसी हमला जारी है.
दोनों देशों के डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिक मर चुके हैं. हजारों मकान ढह चुके हैं और लाखों लोग देश छोड़कर परदेश भागे चले जा रहे हैं. यूक्रेन फिर भी रूस के सामने डटा हुआ है. आत्मसमर्पण नहीं कर रहा है. इसका मूल कारण अमेरिका का यूक्रेन को खुला समर्थन है. अमेरिका के समर्थन का अर्थ यही नहीं है कि अमेरिका सिर्फ डॉलर और हथियार यूक्रेन को दे रहा है, उसकी पहल पर यूरोप के 27 नाटो राष्ट्र भी यूक्रेन की रक्षा के लिए कमर कसे हुए हैं.
राष्ट्रपति बाइडेन का कीव पहुंचना इसलिए भी आश्चर्यजनक रहा कि इस समय रूसी हमला बहुत जोरों पर है और बाइडेन के जीवन को खतरा हो सकता था. लेकिन बाइडेन ने वहां जाकर क्या किया? जेलेंस्की की पीठ ठोंकी और 500 मिलियन डॉलर के हथियार और सौंप दिए. इसके अलावा उन्होंने रूस और चीन को चेतावानियां दे डालीं.
अमेरिकी प्रवक्ता ने चीन पर आरोप लगाया कि वह रूस को हथियार सप्लाई कर रहा है.
चीन ने इस आरोप को रद्द कर दिया और अमेरिका से कहा कि वह यूक्रेन को भड़काने की बजाय समझाने का काम करे. मुझे संदेह है कि बाइडेन ने जेलेंस्की को कोई ऐसे सुझाव दिए होंगे, जिनसे यह युद्ध बंद हो सके. वास्तव में अमेरिका इस युद्ध को चलते रहना ही देखना चाहता है. इससे अमेरिका का शस्त्रास्त्र उद्योग भी परम प्रसन्न रहता है. इस मौके पर भारत की भूमिका बेजोड़ हो सकती है, अगर वह पहल करे.