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इजराइल से सीखें कोरोना पर काबू पाने का मंत्र, नवीन जैन का ब्लॉग

By नवीन जैन | Updated: April 23, 2021 14:34 IST

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कोविड-19 से लगभग जीती हुई जंग के बारे में घोषणा की है कि इजराइल अब कोरोना के खिलाफ लड़ाई में विश्व का नेतृत्व करने की स्थिति में  पहुंच रहा है.

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ठळक मुद्देइजराइल कहने के लिए नहीं बल्कि  करके दिखाने के लिए मशहूर है.सरकार अपने सामान्य नागरिक के जीवन, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहती है. इजराइल ने कोरोनामुक्त देश होने का चमत्कार लगभग 81 फीसदी लोगों के सफल टीकाकरण के माध्यम से हासिल किया है.

करीब डेढ़ महीने पहले की बात है. भारत ने अपने विश्वस्त दोस्त इजराइल से सफल मित्रता की तीसवीं वर्षगांठ मनाई थी.

नई  दिल्ली में इसका जश्न भी मना था, मगर यह विडंबना ही है कि इजराइल से हम कुछ भी नहीं सीख पाए, विशेषकर कोविड-19 के दौर में. लगभग प्रत्येक असंभव कार्य को संभव कर दिखाने में सदा प्रतिबद्ध उक्त देश के संबंध में एक खुशनुमा खबर आई है. इस खबर के अनुसार इजराइल कदाचित दुनिया का पहला कोरोना मुक्त देश बन गया है.

वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कोविड-19 से लगभग जीती हुई जंग के बारे में घोषणा की है कि इजराइल अब कोरोना के खिलाफ लड़ाई में विश्व का नेतृत्व करने की स्थिति में  पहुंच रहा है. यह अनोखा देश सबसे पहले अपनी  राष्ट्रभक्ति के लिए जाना जाता है. कई देशों के नेता जहां डींगें हांकने में अपना सानी नहीं रखते, वहीं इजराइल कहने के लिए नहीं बल्कि  करके दिखाने के लिए मशहूर है.

वहां की सरकार अपने सामान्य नागरिक के जीवन, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहती है. सामान्य नागरिक की सुरक्षा का भी इस देश को उतना ही ध्यान रहता है जितना अपने प्रधानमंत्री की सुरक्षा का. इजराइल ने कोरोनामुक्त देश होने का चमत्कार लगभग 81 फीसदी लोगों के सफल टीकाकरण के माध्यम से हासिल किया है.

बुरा समय आने के पहले  वहां की सरकार और संबंधित विभागों  ने कोई नरमी नहीं बरती. वहां 16 बरस के ऊपर की  करीब 81 प्रतिशत आबादी के सफल टीकाकरण के बाद मास्क  लगाने का सख्त अनुशासन समाप्त किया जा चुका है. वहां के लगभग सभी स्कूल खोल दिए गए हैं और प्रशासन ने मास्क लगाना जरूरी नहीं होने के आदेश जारी कर दिए हैं.

कहा जाता है कि वहां सामान्य कानूनों में भी रेजीमेंटेशन उर्फ सैन्य कानून चलता है और नागरिक अपनी सरकार का हर कदम पर पूरा साथ देते हैं. महामारी के खात्मे में भी वहां के नागरिकों ने अपनी सरकार का पूरा साथ दिया है और इस कामयाबी के आधार पर उक्त देश के प्रधानमंत्री घोषणा कर रहे हैं कि कोरोना महामारी के विरुद्ध लड़ाई में अब हम विश्व नायक बनने की स्थिति में आ गए हैं.

भारत को चाहिए कि वह उसकी न सिर्फ पीठ थपथपाए, बल्कि देश में महाभयावह रूप ले चुकी महामारी के खात्मे के लिए इजराइल के साथ मिलकर नया रोड मैप तैयार करे. यह सही है कि इजराइल बेहद छोटा देश है, सो वहां की जनसंख्या भी बहुत कम है और इसीलिए हालात पर समय रहते काबू पा लिया गया.

लेकिन हालात देखकर पहले से हमें अपने लोगों की जान बचाने की व्यापक योजना बना लेनी चाहिए थी. रेगिस्तान की सदियों से बंजर पड़ी जमीन में इजराइल के किसान जब हरियाली के गलीचे बिछा सकते हैं तो कोरोना जैसी महामारी पर भी वहां की सरकार काबू पा सकती हैै, यह उसने दिखा दिया है.

इजराइल ही नहीं अब तो ब्रिटेन भी कोविड-19 के सबसे ज्यादा घातक माने गए स्ट्रेन से मुक्त होने की ओर बढ़ रहा है. याद रहे कि उक्त स्ट्रेन ने करीब तीन माह पहले भारत के विभिन्न हवाई अड्डों के मार्फत भारतीयों के शरीर में भी प्रवेश कर लिया था. इस संबंध में भारत के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपने दायित्वों का लगभग पूर्ण निर्वहन किया, मगर शासन-प्रशासन इसे रोक पाने में कामयाब नहीं हुए. इस बीच हालात इतने बेकाबू हो गए कि अब संभाले नहीं संभल रहे.

सवाल है कि आखिर इजराइल और ब्रिटेन ने ऐसा क्या जादू कर दिया कि कोरोना वायरस को पराजित होना पड़ रहा है? इजराइल मॉडल अपनाने की सलाह पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह  समय रहते केंद्र सरकार को दे चुके थे. लेकिन इसमें भी राजनीति की गई और देश के दस साल प्रधानमंत्री रहे डॉक्टर मनमोहन सिंह की सलाह की अनदेखी की गई.

इजराइल ने कोई जादू जैसी बात नहीं की. यह सही है कि टेक्नोलॉजी में यह देश अतिउन्नत है लेकिन वहां सबसे पहले कुल 96 लाख की आबादी में से ज्यादा से ज्यादा को पहले डोज से वेक्सिनाइज करने का लक्ष्य रखा गया. यह लक्ष्य सौ दिनों में पूरा करना था.

वहां की मास्क फ्री  35 वर्षीय महिला एली ब्लीच ने  कहा कि मास्क से मुक्त होकर अब हम बेहद खुश हैं लेकिन मास्क लगाकर भी हमें सामान्य रूप से कोई  ऊब नहीं हुई. युवाओं का तो यहां तक कहना है कि मास्क अब हमारी जीवन शैली में अनिवार्य रूप से शामिल हो गया है क्योंकि इससे हम एलर्जी से बचे रहेंगे.

पिछले साल जब चीन से भारत की लंबी तनातनी हो गई थी तो इजराइल सबसे ताकतवर या दबंग देश था जो खुलेआम भारत मे समर्थन में खड़ा था. क्षेत्रफल और जनसंख्या के मामले में भले ही यह देश छोटा हो लेकिन वैज्ञानिक तरक्की और देशभक्ति के मामले में बहुत आगे है और हम उससे बहुत कुछ सीख ले सकते हैैं.

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