India-Russia relationship: रूस के साथ प्रगाढ़ संबंधों पर फिर लगी मुहर...

By शोभना जैन | Updated: July 12, 2024 11:30 IST2024-07-12T11:29:40+5:302024-07-12T11:30:35+5:30

India-Russia relationship: भारत का यही स्टैंड रहा है कि बातचीत के जरिये समस्या का  शांतिपूर्ण समाधान  किया जाए और युद्ध बंद किया जाए.

India-Russia relationship Message from Moscow Sealed again close Russia blog Shobhana Jain US State Department expressed concern Modi's visit | India-Russia relationship: रूस के साथ प्रगाढ़ संबंधों पर फिर लगी मुहर...

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Highlightsअमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोदी की रूस यात्रा को लेकर चिंता जताई है.चिंताओं के बावजूद भारत अमेरिका का रणनीतिक साझीदार बना रहेगा. दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा कितना बड़ा है.

India-Russia relationship: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली द्विपक्षीय यात्रा के लिए रूस को चुना जाना एक तरफ जहां द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाना रहा, वहीं दो ध्रुवों में बंटी दुनिया में भारत ने तटस्थ रह कर संतुलन बनाए रखने का संदेश दिया है. इसके अलावा चीन फैक्टर जैसे जटिल  मुद्दे को साधने की कोशिश भी इसका एक अहम पहलू है. हालांकि प्रधानमंत्री ने वहां साफ तौर पर भारत के पुराने स्टैंड को दोहराते हुए कहा कि युद्ध भारत को कतई स्वीकार्य नहीं है. भारत का यही स्टैंड रहा है कि बातचीत के जरिये समस्या का  शांतिपूर्ण समाधान  किया जाए और युद्ध बंद किया जाए.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोदी की रूस यात्रा को लेकर चिंता जताई है. हालांकि अमेरिका रक्षा विभाग ने कहा कि इन चिंताओं के बावजूद भारत अमेरिका का रणनीतिक साझीदार बना रहेगा और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए न्यायपूर्ण शांति के प्रयासों का समर्थन करेगा.

अमेरिका ने यह भी कहा कि ‘भारत और रूस के लंबे और घनिष्ठ संबंध भारत को यह क्षमता देते हैं कि वह रूस से बिना वजह छेड़े गए इस क्रूर युद्ध को खत्म करने का आग्रह कर सके.’ रूस ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को ‘ऐतिहासिक और गेम चेंजर’ बताया है. एक तर्क यह भी है कि रूस ने  मोदी की यात्रा के जरिये दुनिया को यह संकेत दिया है कि वह इस युद्ध की वजह से अलग-थलग नहीं पड़ा है.

बहरहाल,  भारत ने मोदी की इस यात्रा को सफल बताया है. रूस यात्रा पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया है, ‘‘रूस के राष्ट्रपति पुतिन से काफी सकारात्मक चर्चा हुई. इसमें आपसी व्यापार, सुरक्षा, कृषि, प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर भारत-रूस सहयोग में विविधता लाने पर चर्चा हुई.’’ रूस ने भी कहा कि दोनों नेताओं ने  व्यापार और आर्थिक संबंध और बढ़ाए जाने पर जोर दिया.

साथ ही अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के जरिये द्विपक्षीय भुगतान प्रणाली जारी रखने का भी फैसला किया. गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच सालाना करीब 65 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें भारत का निर्यात करीब 5 बिलियन डॉलर है, जो बताता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा कितना बड़ा है.

ये भारत के लिए चिंता का विषय है और अगर दोनों देशों के बीच  सामरिक साझेदारी की बात करें तो विदेशी मामले के एक विशेषज्ञ के अनुसार यह भारत की तरफ से पश्चिमी देशों को एक संकेत है कि वह अपनी रक्षा और अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं कर सकता और अपने पुराने साथी और सामरिक सहयोगी रूस को पूरी तरह छोड़ नहीं सकता.

भारत में रूस रक्षा उपकरणों के उत्पादन को लेकर सहमत हुआ है. मोदी और पुतिन की मुलाकात इस मायने में भी खास है कि भारत अपने हथियारों की बड़ी जरूरत के लिए भले ही अमेरिका, इजराइल, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों पर निर्भर करता है, लेकिन वह इस मामले में रूस से दूर नहीं जाना चाहता है.

यात्रा से जुड़े अहम चीन फैक्टर की बात करें तो यह यात्रा रूस की चीन के साथ बढ़ती निकटता से भी जुड़ी हुई है. भारत और रूस के बीच प्रगाढ़ संबंधों से रूस व चीन के बीच मेलमिलाप को कम किया जा सकता है.

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