ब्लॉग: ग्लोबल होते यूपीआई से दुनिया में बढ़ता भारत का दबदबा
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: February 14, 2024 11:15 AM2024-02-14T11:15:10+5:302024-02-14T11:17:51+5:30
भारत की यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवाओं की शुरुआत सोमवार को श्रीलंका और मॉरीशस में हो गई। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा विकसित यूपीआई मोबाइल फोन के माध्यम से अंतर-बैंक लेनदेन की सुविधा के लिए त्वरित वास्तविक समय भुगतान प्रणाली है।
आजादी के पहले क्या कोई कल्पना कर सकता था कि एक दिन भारत का डंका पूरी दुनिया में बजने लगेगा? आज हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं और शीघ्र ही तीसरे स्थान पर काबिज होने वाले हैं। पूरी दुनिया भारत का लोहा मान रही है और अब हमारा यूपीआई भी ग्लोबल हो गया है।
भारत की यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवाओं की शुरुआत सोमवार को श्रीलंका और मॉरीशस में हो गई। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा विकसित यूपीआई मोबाइल फोन के माध्यम से अंतर-बैंक लेनदेन की सुविधा के लिए त्वरित वास्तविक समय भुगतान प्रणाली है।
रुपे भारत का वैश्विक कार्ड भुगतान नेटवर्क है, जिसकी दुकानों, एटीएम और ऑनलाइन पर व्यापक स्वीकृति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा है कि हम इन देशों के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक डिजिटल तकनीक के साथ जोड़ रहे हैं। हकीकत तो यह है कि प्राचीनकाल से ही दुनिया के कई देशों के साथ हमारे देश के संबंध रहे हैं और भारत का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। बीच में गुलामी के काल में विदेशी आक्रांताओं ने इसे लूटा-खसोटा, लेकिन अब फिर से हमारा देश दुनिया में अपना सम्मानजनक स्थान बना रहा है। पिछले हफ्ते ही फ्रांस ने घोषणा की थी कि एफिल टावर देखने आने वाले भारतीय पर्यटक यूपीआई पेमेंट कर टिकट खरीद पाएंगे।
भारत के यूपीआई प्लेटफॉर्म को अपनाने का समझौता सबसे पहले नेपाल के साथ हुआ था, जब एनपीसीआई की इंटरनेशनल ब्रांच एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड ने नेपाल में फरवरी, 2022 से सेवाएं देने के लिए गेटवे पेमेंट्स सर्विस और मनम इन्फोटेक के साथ हाथ मिलाया।
अब मॉरीशस और श्रीलंका में यूपीआई को लॉन्च किए जाने के बाद ऐसे देशों की संख्या 10 को पार कर गई है, जहां यूपीआई का इस्तेमाल किया जा सकता है। रूस के साथ भारत सरकार यूपीआई के इस्तेमाल को लेकर करार कर चुकी है और इंडोनेशिया, लैटिन अमेरिका तथा अफ्रीका के साथ इसको लेकर बातचीत चल रही है।
भारत में यूपीआई की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी और कुछ ही वर्षों में इसने जितनी सफलता हासिल कर ली है, वह निश्चित रूप से हर भारतीय के लिए गर्व करने योग्य है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि डिजिटल बैंकिंग के मामले में भारत की बुनियादी संरचना कई विकसित देशों से भी बेहतर है। इसीलिए कई विकासशील देश भारत की तरफ अग्रसर हो रहे हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा भी कि यूपीआई को लेकर कई अन्य देशों ने रुचि दिखाई है और उनके साथ बातचीत जारी है। निश्चित रूप से इस सफलता से दुनिया में भारत की छवि और सुदृढ़ होगी और हम दुनिया में और भी शक्तिशाली होकर उभरेंगे।