ब्लॉग: भारत की फुर्ती और दरियादिली, सबकुछ भुलाकर तुर्की के लिए खोले मदद के सभी दरवाजे
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 10, 2023 09:49 AM2023-02-10T09:49:53+5:302023-02-10T09:50:33+5:30
तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. ऐसे भूकंपों ने ईरान, अफगानिस्तान और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में भी कई बार हड़कंप मचाया है लेकिन वर्तमान भूकंप में लगभग 16 हजार लोग मारे गए हैं और लाखों लोग घायल हो गए हैं. बेघरबार हुए लोगों की संख्या तो और भी बड़ी है. आशा करें कि अभी कोई और झटका न आ जाए.
इस वक्त दुनिया के कई देश तुर्की की मदद के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन भारत ने इस मामले में जितनी फुर्ती और दरियादिली दिखाई है, उसने उसे दुनिया के महान राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा कर दिया है.
तुर्की और भारत के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में बहुत अच्छे नहीं रहे. तुर्की ने भारत सरकार के उन कदमों का कड़ा विरोध किया था, जो उसने कश्मीर के बारे में उठाए थे. उसने कश्मीर के सवाल पर अन्य मुस्लिम राष्ट्रों को भड़काने का भी प्रयत्न किया था जबकि सऊदी अरब जैसे राष्ट्रों ने इस मुद्दे को भारत का आंतरिक मामला बताया था. लेकिन भारत सरकार ने इस वक्त तुर्की के लिए इंसानियत के दरवाजे खोल दिए हैं.
चार-चार चार्टर विमानों से उसने लगभग 100 डॉक्टरों और नर्सों को अंकारा और इस्तांबुल भेज दिया है. उसने ऐसे बचावकर्मियों को भी बड़ी संख्या में वहां भेजा है, जो मलबे में दबे लोगों की जान बचाने की कोशिश करेंगे. ऐसे ही हमारी सरकारों ने 2011 में जापान और 2015 में नेपाल में जब भूकंप आया था, तब तुरंत मदद भिजवाई थी.
भारत और तुर्की के प्रतिनिधियों की संयुक्त राष्ट्र में टक्कर होती रही है लेकिन पिछले साल सितंबर में समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में जब मोदी और एर्दोगान की भेंट हुई तो आपसी संबंधों में काफी नरमी पैदा हो गई. मैं इसीलिए बराबर तर्क देता रहता हूं कि यदि इस वक्त हम पाकिस्तान की संकटग्रस्त जनता की मदद के लिए हाथ बढ़ा दें तो दोनों देशों के संबंधों में अपूर्व सुधार हो सकता है.
दिल्ली स्थित तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल ने भारतीय मदद के बारे में क्या खूब कहा है कि ‘‘दोस्त वही होता है, जो आड़े वक्त काम आता है.’’ तुर्की को अगर जरूरत हो तो भारत अपनी मदद बढ़ा सकता है. अन्य संपन्न देशों को भी उसकी मदद के लिए वह प्रेरित कर सकता है.