ब्लॉग: भारत में हीरे की फीकी पड़ती चमक
By ऋषभ मिश्रा | Published: May 6, 2024 10:35 AM2024-05-06T10:35:17+5:302024-05-06T10:39:02+5:30
भारतीय हीरे का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। अमेरिका भारत के पॉलिश किए गए हीरों का सबसे बड़ा ग्राहक है। अमेरिका में लॉकडाउन के बाद से बाजार में हीरे की मांग में कमी के कारण कच्चे माल के दाम बढ़ रहे हैं।
आज भारत में प्राकृतिक हीरे का कारोबार सिकुड़ रहा है। उसमें भी सबसे ज्यादा बड़े आकार (एक कैरेट से ऊपर) वाले हीरे की मांग प्रभावित हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रयोगशाला में तैयार कृत्रिम हीरे की मांग बढ़ रही है। वैश्विक मांग में आई कमी से निर्यात में आई गिरावट के बाद 30 फीसदी तक सस्ते हुए हीरे के व्यापार पर अब चिंता के बादल मंडराने लगे हैं।
भारतीय हीरे का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। अमेरिका भारत के पॉलिश किए गए हीरों का सबसे बड़ा ग्राहक है। अमेरिका में लॉकडाउन के बाद से बाजार में हीरे की मांग में कमी के कारण कच्चे माल के दाम बढ़ रहे हैं। बड़े आकार के हीरे की मांग लगातार कम हो रही है। साथ ही हीरे की पॉलिशिंग भी कम हो रही है, जिसके कारण बड़े आकार के हीरे की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई है।
अमेरिका सहित अन्य देशों के लोगों ने कोरोना के दौरान भारत में हीरे और उससे जुड़े जेवरातों में बहुत निवेश किया है। नतीजतन सूरत के बाजार से 10 से 12 फीसदी ज्यादा हीरा निर्यात हुआ है। लेकिन, अमेरिका सहित अन्य देशों में आ रही वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में नरमी का असर भारत के हीरे के उद्योग पर भी दिखाई दे रहा है, जिसके कारण लोगों का रुझान प्राकृतिक हीरे से हटकर कृत्रिम हीरे की तरफ देखने को मिला है।
वस्तुतः रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारतीय हीरा उद्योग में अनिश्चितता कायम है। भारत में लगभग 40 फीसदी हीरे रूस से आपूर्ति किए जाते हैं। आज भी भुगतान के मुद्दे हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
दुनिया के लगभग 95 फीसदी हीरे भारत में कट और पॉलिश होते हैं। भारत में सूरत को ‘रफ डायमंड’ की कटिंग व पॉलिशिंग का ‘हब’ माना जाता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत से कट और पॉलिश किए गए हीरों का कुल सकल निर्यात 25.47 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। फरवरी 2021 तक भारत के गोल्ड व डायमंड ट्रेड की देश की जीडीपी में हिस्सेदारी 7.5 फीसदी थी।
वहीं कुल निर्यात में गोल्ड व डायमंड ट्रेड की हिस्सेदारी 14 फीसदी थी। लेकिन, वित्तीय वर्ष 2023-24 में देश का रत्न और आभूषण का निर्यात 14.94 फीसदी घटकर 32.02 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। जबकि, 2022-23 में यह निर्यात 37.6 अरब अमेरिकी डॉलर था। वस्तुतः इस प्रकार की वैश्विक मंदी में सरकार को भी कारोबारियों की मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है, जिसमें पर्याप्त बिजली आपूर्ति के साथ ही श्रमिकों को त्वरित भुगतान की भी सुविधा दी जानी चाहिए।