कोरोना : भूटान नरेश से सीखें जागरूकता अभियान
By शोभना जैन | Updated: July 3, 2021 11:51 IST2021-07-03T11:38:10+5:302021-07-03T11:51:08+5:30
भूटान के 41 वर्षीय नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक अपने महल की सुख-सुविधाओं से निकल कर देश के दुर्गम सुदूरवर्ती क्षेत्रों में घूम-घूम कर कोरोना से निबटने, सावधानियां बरतने के बारे में जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक। (फाइल फोटो )
‘सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता’ की अवधारणा को दुनिया भर में सबसे पहले ‘सकल राष्ट्रीय उत्पाद’ से जोड़ने वाला भूटान इन दिनों कोरोना की मार के साथ-साथ इसके टीकों की किल्लत से भी जूझ रहा है। लेकिन अहम बात यह है कि टीके हासिल करने की जद्दोजहद के साथ-साथ भूटान के 41 वर्षीय नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक पिछले कुछ समय से अपने महल की सुख-सुविधाओं से निकल कर देश के दुर्गम सुदूरवर्ती क्षेत्रों में घूम-घूम कर कोरोना से निबटने, सावधानियां बरतने के बारे में जनता, सुरक्षा कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच जागरूकता अभियान चला रहे हैं और इन कार्यक्रमों की सीधे उन क्षेत्रों में जाकर समीक्षा कर रहे हैं। हालांकि कोरोना टीके की दूसरी डोज पाने के लिए दुनिया भर में जद्दोजहद में लगे भूटान को अब यूरोपीय संघ ने उसकी टीकों की जरूरत पूरी करने के लिए जल्द ही ये सप्लाई देने का फैसला किया है। भूटान के एक उच्च पदस्थ सूत्र के अनुसार उन्होंने यूरोपीय संघ सहित अनेक मित्र देशों से टीके दिए जाने का आग्रह किया है और उन्हें बहुत जल्द ही टीके मिलने की उम्मीद भी है।
भूटान को टीकों की पहली डोज बतौर साढ़े पांच लाख टीकों की सप्लाई भारत ने ही अपने ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के तहत मार्च तक दी थी। भूटान इस कार्यक्रम के तहत पड़ोसी देशों में भारत से टीके पाने वाला पहला देश भी था। तब उसने अपनी लगभग 95 प्रतिशत आबादी को टीकों की पहली डोज दे दी थी। भारत ने दूसरी डोज के लिए अपेक्षित टीके दिए जाने का आश्वासन भी दिया था लेकिन मार्च आते-आते भारत में कोरोना की मार भयावह रूप से बढ़ने और हमारे देश के टीकाकरण कार्यक्रम के लिए टीकों की भारी कमी के चलते ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम फिलहाल स्थगित करना पड़ा। वैसे एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार भारत भूटान का प्रगाढ़ मित्र रहा है और इस वक्त भी उसने मित्र देशों से भूटान को टीके दिए जाने में सहयोग करने का आग्रह किया है। भूटान 16 से अधिक देशों से टीके के लिए संपर्क साध रहा है।
एक तरफ भारत तथा दूसरी तरफ चीन के बीच स्थित भूटान के भारत से परंपरागत प्रगाढ़ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। इस क्षेत्र में अपने विस्तारवादी एजेंडे के चलते चीन की निगाहें भूटान पर हैं। भूटान के साकतेंग अभयारण्य को जब चीन ने अपना क्षेत्र बताया तो भूटान ने उस पर कड़ा विरोध पत्र जारी किया और चीन के उस कदम को अपनी अखंडता और संप्रभुता पर खतरा बताया। जाहिर है चीन भूटान से भारत की मित्रता और वहां अपना एजेंडा लागू नहीं कर पाने से कुपित है। भारत ने घरेलू टीका जरूरतों के चलते अभी तक भूटान सहित श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल को दूसरी खेप की टीका सप्लाई के आश्वासन के बाबत कुछ नहीं कहा है, लेकिन समझा जाता है कि एक बार देश में समुचित कोरोना टीका उत्पादन होने और सप्लाई सुचारु होने पर पड़ोसी देशों के लिए ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम दोबारा शुरू किया जा सकता है। तब भूटान को प्राथमिकता देने की बात कही जा रही है।
भूटान के युवा नरेश के दुर्गम अभियान की बात करें तो इस अभियान का गौर करने लायक एक पहलू यह भी है कि पिछले एक वर्ष से महलों से निकल दुर्गम क्षेत्रों में घूम घूम कर वे यह जन अभियान चला रहे हैं। इसमें वे अक्सर सुरक्षा कर्मियों से भी मिलते हैं। वे सभी से कोविड से बचने के लिए आवश्यक एहतियात बरतने के बारे में कहते हैं, लेकिन भूटान नरेश को अन्य भूटानी नागरिकों की तरह, महल में लौटने से पहले 21 दिनों तक ‘क्वारेंटाइन’ में रहना होता है। आम तौर पर यह अवधि चौदह दिन होती है लेकिन भूटान के उच्च पदस्थ सूत्र के अनुसार अतिरिक्त एहतियात बरतते हुए यह समयावधि बढ़ाई गई है। इसी क्रम में भूटान ने अप्रैल में अपनी सीमाएं भी बंद कर दी थीं। बेहद खराब मौसम और दुर्गम क्षेत्रों में भूटान नरेश यह अभियान घोड़ों, जीप और कार से पूरा करते रहे हैं। अक्सर इस दौरान वे जंगलों, सीमा क्षेत्रों में जाकर सुरक्षा बलों सहित सभी का हौसला बढ़ाते हैं, आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता आदि तमाम पहलुओं का जायजा लेते हैं। हाल ही में उन्होंने भारत की असम, अरुणाचल सीमा से जुड़ी देश की दक्षिणी और पूर्वी सीमाओं में ग्रामवासियों और सुरक्षा बलों के बीच जाकर उनका हौसला बढ़ाया। गत जून में ही भूटान नरेश ने प्रधान मंत्री त्शेरिंग के साथ पैदल पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों में चढ़ाई कर लोगों से खास तौर पर महामारी से बचने के लिए समुचित एहतियात बरतने को कहा।
भूटान में अभी तक कोरोना के लगभग 2057 मामले दर्ज किए गए हैं और एक व्यक्ति की मौत की खबर है। भूटान में नरेश को ‘धर्म राजा’ का दर्जा हासिल है। ऐसे में लोकतांत्रिक व्यवस्था को राजशाही में समाहित करने वाले और ‘सकल राष्ट्रीय खुशहाली’ वाले भूटान के नरेश सुशासन का एक उदाहरण तो माने ही जा सकते हैं। भारत भूटान का अभिन्न मित्र रहा है। प्रधानमंत्त्री नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा भी था कि भूटान जैसा मित्र और पड़ोसी भला कौन नहीं चाहेगा। उम्मीद है कि वह इस संकट से अपनी आंतरिक सुशासन व्यवस्था और मित्र देशों के सहयोग से पार उतरेगा।