ब्लॉग: जातिगत भेदभाव के खिलाफ अमेरिका में ठोस पहल, आखिर यहां कैसे पनपा जातिवाद का जहरीला पौधा?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 24, 2023 10:35 AM2023-02-24T10:35:24+5:302023-02-24T10:35:24+5:30
आप सोचते होंगे कि भारत में सदियों से चली आ रही यह जातिवादी भेदभाव की बीमारी अमेरिका में कैसे फैल गई है?

फाइल फोटो: (प्रतिकात्मक फोटो)
अमेरिका के सिएटल नामक शहर में जाति-आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध लग गया है। सिएटल के नगर निगम ने यह घोषणा उसकी एक सदस्य क्षमा सावंत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए की है। इस घोषणा ने सिएटल को अमेरिका का ऐसा पहला शहर बना दिया है, जहां जातिगत भेदभाव अब समाप्त हो जाएगा।
सिएटल अमेरिका के सुंदर शहरों में गिना जाता है। मैं उसमें रह चुका हूं, वहां के एक प्रसिद्ध बाजार में भारतीयों, पाकिस्तानियों और नेपालियों की कई दुकानें हैं। उस शहर में लगभग पौने दो लाख लोग ऐसे हैं, जो दक्षिण एशियाई मूल के हैं।
आप सोचते होंगे कि भारत में सदियों से चली आ रही यह जातिवादी भेदभाव की बीमारी अमेरिका में कैसे फैल गई है? अब से 50-55 साल पहले जब मैं अमेरिका में पढ़ता था, तब भारतीयों की संख्या वहां काफी कम थी। न्यूयॉर्क के बाजारों में दिन भर में एक-दो भारतीय दिख जाते थे तो उन्हें देखकर मन प्रसन्न हो जाता था लेकिन अब तो अमेरिका के छोटे शहरों और कस्बों में भी आपको भारतीय लोग अक्सर मिल जाते हैं।
उनमें अब आपसी प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या-द्वेष भी काफी बढ़ गया है। वे सभी क्षेत्रों में बड़े-बड़े पदों पर भी विराजमान हैं। वहां भी अब जातिवाद का जहरीला पौधा पनप रहा है। ‘इक्वेलिटी लेव’ नामक संस्था ने जो आंकड़े इकट्ठे किए हैं, वे चौंकानेवाले हैं।
उसके अनुसार, नौकरियों और शिक्षा में तो जातिगत भेदभाव होता ही है, सार्वजनिक शौचालयों, बसों, होटलों और अस्पतालों में भी यह फैल रहा है। सिएटल नगर निगम ने इस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनका कुछ प्रवासी संगठनों ने स्वागत किया है लेकिन लगभग सौ प्रवासी संगठनों ने इस पहल का विरोध किया है।
इसको उन्होंने बेबुनियाद कहा है। इसे दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत को बदनाम करने का हथकंडा भी माना जा रहा है। इस मामले में सबसे अच्छा तो यह होगा कि भेदभाव के ठोस आंकड़े और प्रमाण इकट्ठे किए जाएं और यदि वे प्रामाणिक हों तो उनके विरुद्ध प्रवासियों में इतनी जनजागृति पैदा की जाए कि कानूनी कार्रवाई की जरूरत ही न पड़े।