ब्लॉग: इस कड़वाहट के लिए पूरी तरह ट्रूडो जिम्मेदार

By राजेश बादल | Published: September 27, 2023 09:50 AM2023-09-27T09:50:54+5:302023-09-27T09:52:30+5:30

ट्रूडो बहामा के द्वीप पर अपने एक मुस्लिम अरबपति मित्र के न्यौते पर सपरिवार सैर सपाटे के लिए गए थे। इसका कनाडा में बड़ा विरोध हुआ था।

Canada pm Justin Trudeau is completely responsible for this bitterness | ब्लॉग: इस कड़वाहट के लिए पूरी तरह ट्रूडो जिम्मेदार

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

अब यह साफ हो गया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सत्ता में बने रहने के लिए अपने राष्ट्र के हितों और अंतरराष्ट्रीय मान्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ताक में रख दिया है। वे घोषित आतंकवादियों को बचाने के लिए अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई दे रहे हैं।

उन्हें एक लोकतांत्रिक देश की संप्रुभता, मानवीय मूल्य याद नहीं आते। यदि उनका यह व्यवहार उचित मान लिया जाए तो जब अमेरिकी कमांडो ने पाकिस्तान में खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारा, तब कनाडा ने अमेरिका का विरोध क्यों नहीं किया? अमेरिका के इस प्यारे पड़ोसी को पाकिस्तान की संप्रभुता की चिंता नहीं हुई।

यही नहीं, इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को जिस तरह मारा गया, वह क्या इराक की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं था? इराक के बारे में जो खुफिया सूचनाएं इन पांच देशों ने साझा की थीं, क्या वे गलत साबित नहीं हुईं ? क्या यह सच नहीं है कि खालिस्तान के लिए कनाडा और ब्रिटेन की धरती से पृथकतावादियों और उग्रवादियों को दशकों से प्रोत्साहन दिया जाता रहा और भारत के ढेरों विरोध पत्रों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया? जस्टिन ट्रूडो के पिता भी प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

उनके कार्यकाल में खालिस्तानी उग्रवादी संगठनों को पनाह दी जाती रही। इसका अर्थ यही है कि वर्तमान कनाडाई प्रधानमंत्री अपने पिता पियरे ट्रूडो की राह पर चल पड़े हैं और उग्रवादियों के दबाव में काम कर रहे हैं।

हालांकि पियरे उग्रवादियों के दबाव में नहीं थे, पर उन्हें संरक्षण प्रदान करते थे। उस दौर में अमेरिका, कनाडा और काफी हद तक ब्रिटेन का रुख पाकिस्तान के पक्ष में झुका था. सोलह साल तक प्रधानमंत्री रहते हुए पियरे ट्रूडो भारत विरोधी तत्वों को भरपूर समर्थन देते रहे।
दरअसल जस्टिन की सरकार खालिस्तान का खुल्लमखुल्ला समर्थन करने वाले न्यू डेमोक्रेटिक दल की बैसाखी पर टिकी हुई है।

यह दल जगमीत सिंह की अगुआई में चल रहा है। जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी अल्पमत में थी और इस न्यू डेमोक्रेटिक दल ने समर्थन दिया तो जस्टिन ने सरकार बनाई। कनाडा की संसद में 338 सीट है। पिछले चुनाव के बाद जस्टिन की पार्टी के पास केवल 157 सांसद हैं। उनके पास बहुमत नहीं होने से खालिस्तान समर्थक पार्टी के सांसदों से समर्थन लेने में उन्हें कोई संकोच नहीं हुआ।

कंजर्वेटिव पार्टी को केवल 121 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. अब अगले चुनाव 2025 में होने हैं और जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता में बेहद गिरावट आई है। बेशक पहला निर्वाचन उनके लिए बहुमत लेकर आया था, मगर बाद में वे चुनाव दर चुनाव जनाधार खोते गए। भारत के साथ रिश्तों में तल्खी के बाद तो वे मुल्क में अपनी छवि बिगाड़ बैठे हैं। ऐसे में खालिस्तान समर्थक सियासी पार्टी का साथ लेना उनकी मजबूरी भी है।

 यूं तो अमेरिका के साथ भी उनके कार्यकाल में रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। जब डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति थे तो ट्रम्प ने उन्हें बेईमान और कमजोर बताया था। कनाडा की संसद ने ट्रूडो पर निजी आक्रमण के लिए डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव भी पारित किया था। उन्हें कनाडा की नैतिकता आयुक्त ने अनैतिक कृत्य के लिए दोषी पाया था।

ट्रूडो बहामा के द्वीप पर अपने एक मुस्लिम अरबपति मित्र के न्यौते पर सपरिवार सैर सपाटे के लिए गए थे। इसका कनाडा में बड़ा विरोध हुआ था। वहां के कानून के मुताबिक कोई प्रधानमंत्री इस तरह का उपकार नहीं ले सकता। ट्रूडो इसके लिए अप्रत्यक्ष रूप से माफी मांग चुके हैं।

मौजूदा बरस कनाडा और भारत के लिए बेहद कड़वाहट भरा बीत रहा है। इसके लिए सिर्फ और सिर्फ जस्टिन ट्रूडो जिम्मेदार हैं। भारत के विरोध को उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया। इस साल की कुछ घटनाएं इसकी बानगी हैं। जून में ऑपरेशन ब्लू स्टार की तारीख को वहां भारतीय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी सड़कों पर निकाली गई।

इसी महीने में वहां के सुरक्षा सलाहकार ने साफ-साफ आरोप लगाया कि भारत उनके देश में हस्तक्षेप कर रहा है। जून में ही खालिस्तानी आतंकवादी और भगोड़े हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई। बताया जाता है दो गुटों की आपसी रंजिश के कारण हत्या हुई। लेकिन कनाडा ने इसके पीछे भारत का हाथ बताया।

भारत ने जुलाई में कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया और कहा कि अपने देश में भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियां रोकें। कनाडा ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद समूह-20 की बैठक के बाद जस्टिन ट्रूडो का रवैया किसी से छिपा नहीं रहा। बेहद आक्रामक मुद्रा में ट्रूडो नजर आए और भारत के साथ उन्मुक्त कारोबार की प्रक्रिया स्थगित कर दी।

ट्रूडो संसद में निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ बताते हैं और एक राजनयिक को अपने देश से निकाल देते हैं। जवाब में भारत ने भी यही उत्तर दिया। अब ट्रूडो सारे गोरे देशों से समर्थन मांग रहे हैं, पर उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही है। इस मामले में ब्रिटेन ने तो उलटे झटका दिया। उसने न केवल भारत के समर्थन में खुलकर बयान दिया, बल्कि 22 पाकिस्तानियों को भारत विरोधी हिंसा के लिए दोषी माना। अब उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है।

 ब्रिटेन के लेस्टर में अब घर-घर सर्वेक्षण हो रहा है और वहां रहने वालों के बारे में कड़ी जांच हो रही है। कभी टीवी और रेडियो के प्रस्तोता रहे जस्टिन ट्रूडो के लिए यह सबक है।

भारत के खिलाफ 1947 के बाद से कोई देश यह आरोप नहीं लगा सकता कि उसने उनके नागरिकों को मारा है, जबकि खुद कनाडा के खिलाफ अमेरिका से मिलकर ऐसी गतिविधियों में सहयोग का आरोप है।

Web Title: Canada pm Justin Trudeau is completely responsible for this bitterness

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