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बुल्गारिया का मारतेनीत्सा: स्वास्थ्य और ख़ुशी का त्यौहार 

By डॉ मौना कौशिक | Updated: February 24, 2020 15:57 IST

मारतेनीत्सा (Martenitsa) बुल्गारिया का एक खास सेलिब्रेशन है। इसमें ऊन के दो गुड्डे बनाए जाते हैं और गिफ्ट में दिए जाते हैं।

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सफ़ेद और लाल रंग ,यदि आपको  बर्फ से ढकी सड़कों पर दिखना शुरू हो जाए तो ,समझ लीजिए ,मौसम बदलने वाला है। 

सफ़ेद और लाल ऊन से विभिन्न  आकारों में इसे बनाया जाता है. सफेद रंग पुरुष अर्थात साहस और पराक्रम का प्रतीक और लाल रंग स्त्री अर्थात पवित्रता,स्वास्थ्य  और भाग्य - दोनों के मेल से स्वास्थ्य  और ख़ुशी का प्रतीक है - मारतेनीत्सा। 

इसे जीवन  और मरण ,अच्छाई  और बुराई ,सुख और दुःख के प्रतीक रूप में भी माना जाता है। 

बल्गारिया में पहली मार्च को इसे आपस में उपहार के रूप में  दिया जाता है. "चेस्तिता बाबा मारता" कह कर एक दूसरे का अभिवादन किआ जाता है।

बल्गेरियन भाषा में बाबा का अर्थ दादी होता है। मार्च का महीना "दादी मार्च" कहा जाता है. कहते हैं कि  इस महीने में कभी बहुत ठण्ड हो सकती है और कभी बारिश।

इस महीने के मिजाज का पता लगाना बड़ा मुश्किल है - दादी गुस्सा है तो ठण्ड बढ़  जाएगी ,वे मुस्कुराती हैं तो मौसम खुश मिजाज होगा।

उनकी कृपा दृष्टि बनी रहे ,इसलिए लाल और सफ़ेद रंग के बने मारतेनीत्सा पहन कर उन्हें खुश रखा जाता है ताकि सर्दी जल्दी जाए और बसंत समय से आये।

कृषि प्रधान देश होने के कारण , आशा की जाती है कि  मौसम गर्म होना शुरू हो जाए. जब आप पहला पल्लवित पेड़ देखते हैं या किसी सारस को देख लेते हैं तो आप इस मारतेनीत्सा को उतर कर किसी पेड़ पर बांध देते हैं.

मार्च के महीने में  इस लाल और सफ़ेद धागे के बने बैंड या माला  को सभी पहने रहते हैं। देश के अलग अलग हिस्सों में  इस त्यौहार से जुड़ी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं।

पीजो और पेंनडा नाम की दो गुड़ियाँ बनाई जाती है - पीजो -पुरुष और पेन्डा -महिला का प्रतीक  है। 

यह परम्पर मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में   2017 से  यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में  शामिल है। 

 इस समय सड़कों पर ,पटरियों पर ,दुकानों पर बिकते मारतेनीत्सा  भारत की राखियों  की याद दिला जाते हैं। 

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