सारंग थत्ते का ब्लॉग: चीन के रक्षा बजट से चिंतित दुनिया
By सारंग थत्ते | Published: March 12, 2019 07:44 AM2019-03-12T07:44:17+5:302019-03-12T07:44:17+5:30
विश्व रक्षा बाजार में सबकी निगाहें विगत सप्ताह चीन के रक्षा बजट के आंकड़ों पर केंद्रित रही थीं. पिछले मंगलवार को की गई घोषणा में कुछ हद तक चीन ने अपने रक्षा बजट में कटौती की है. आधिकारिक तौर पर दिए गए वक्तव्य के अनुसार चीन अपने रक्षा खर्च में जरूरत के मुताबिक बढ़ोत्तरी कर रहा है, जिसकी बनिस्बत वह राष्ट्रीय स्तर पर देश की सीमाओं की हिफाजत और सैन्य सुधार में सही समीकरण लाने में सफल हो रहा है.
पिछले कुछ वर्षो से पश्चिमी देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत और मध्य पूर्व के देश तथा पूरब में जापान, ताइवान, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया चीन के रक्षा बजट के आंकड़ों का बड़ी बारीकी से मंथन करते रहे हैं. पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के प्रीमियर ने इस बात की पुष्टि की है कि चीन का रक्षा बजट 177.61 बिलियन डॉलर रहेगा. चीन ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत पर अपने रक्षा बजट की नकेल कसी है.
इस वित्त वर्ष के लिए चीन का रक्षा बजट पिछले वर्ष की तुलना में महज 7.5 प्रतिशत बढ़ा है. जबकि 2018 में उसने अपने रक्षा बजट में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि की थी. 2013 के मुकाबले अब तक सभी वर्षो में चीन ने अपने बजट में कटौती ही की है. चीन के रक्षा बजट की एक खासियत है कि इसमें विदेश से खरीदे जाने वाले हथियारों, अनुसंधान और सैन्य विकास तथा सैनिकों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन का आवंटन नहीं होता है. रक्षा मंत्नालय के अलावा अन्य मंत्नालय इस देनदारी के लिए पैसा मुहैया करते हैं.
विश्व की दूसरी सबसे शक्तिशाली सेना की रणनीति और उसके लिए किए जा रहे सालाना उतार-चढ़ाव को सभी देश बड़ी उत्सुकता से देखते हैं. दरअसल, चीन की आर्थिक मंदी के चलते पिछले 30 वर्षो में चीन का आर्थिक सर्वेक्षण कमजोरी को बयान कर रहा है. पिछले दो वर्षो से चीन का सकल घरेलू उत्पाद 6 और 6.5 के मध्य में अटका है. पिछले वित्त वर्ष में चीन ने अपने रक्षा बजट को 165 बिलियन डॉलर पर रोक रखा था और यह उससे पिछले वर्ष की तुलना में 8.1 प्रतिशत ज्यादा था. इस वर्ष उम्मीद थी कि चीन अपने रक्षा बजट में और इजाफा करेगा, लेकिन बाजार में मंदी से यह हो न सका.
चीन का रक्षा बजट भारत की तुलना में तीन गुना ज्यादा है. दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी सेना के साथ उसके इरादे भी संशय के घेरे में आते हैं जैसे उसका बजट महज कागज पर संख्या मात्न रह गया है - खर्चे और भी हैं जिसे चीनी सरकार दुनिया के सामने कभी नहीं रखेगी!