ब्लॉग: भारत के कंधों पर टिकी है मालदीव की अर्थव्यवस्था

By ऋषभ मिश्रा | Published: January 19, 2024 11:09 AM2024-01-19T11:09:05+5:302024-01-19T11:14:48+5:30

मालदीव के साथ भारत के अटूट सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं। यही वजह है कि उसके प्रति भारत ने हमेशा उदार रवैया अपनाया है। चाहे वह 1988 में तख्तापलट की कोशिश हो, या 2004 में आई विनाशकारी सुनामी की आपदा।

Blog: Maldives' economy rests on India's shoulders | ब्लॉग: भारत के कंधों पर टिकी है मालदीव की अर्थव्यवस्था

ब्लॉग: भारत के कंधों पर टिकी है मालदीव की अर्थव्यवस्था

Highlightsहिंद महासागर में स्थित छोटा सा देश मालदीव सामरिक दृष्टि से काफी मायने रखता है मालदीव के साथ भारत के अटूट सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं1988 से ही भारत मालदीव को सुरक्षा सहायता उपलब्ध कराता आ रहा है

हिंद महासागर में स्थित छोटा सा देश मालदीव सामरिक दृष्टि से काफी मायने रखता है और यह बात भारत भी समझता है लेकिन बात सामरिक महत्व तक ही सीमित नहीं है। मालदीव के साथ भारत के अटूट सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं। यही वजह है कि उसके प्रति भारत ने हमेशा उदार रवैया अपनाया है। चाहे वह 1988 में तख्तापलट की कोशिश हो, या 2004 में आई विनाशकारी सुनामी की आपदा।

भारत ने बढ़-चढ़कर मालदीव की मदद की है। ऐसे में वहां के तीन मंत्रियों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई कटु टिप्पणी पर भारत सरकार द्वारा कड़ी आपत्ति लेना लाजमी ही था। इन तीनों मंत्रियों को तुरंत पद से हटा भी दिया गया लेकिन इसी बीच वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के अचानक चीन जाने से इस मामले में एक नया ट्विस्ट आ गया।

दरअसल मालदीव के सत्ताधारी नेताओं की यह परंपरा रही है कि वे सत्ता में आते ही सबसे पहले भारत आते हैं लेकिन मुइज्जू ने भारत के बजाय पहले तुर्की और अब चीन का दौरा कर यह जताने का प्रयास किया है कि भले ही उन्होंने भारत सरकार के दबाव में अपने तीन मंत्रियों को हटा दिया है, लेकिन उनकी प्राथमिकता में चीन ही सबसे आगे रहेगा।

वर्ष 1988 से ही भारत मालदीव को सुरक्षा सहायता उपलब्ध कराता आ रहा है। अप्रैल 2016 में भारत और मालदीव के बीच ‘एक्शन प्लान फॉर डिफेंस’ पर हस्ताक्षर के बाद सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग और भी पुख्ता हुआ है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत मालदीव नेशनल डिफेन्स फोर्स ‘एमएनडीएफ’ को रक्षा जरूरतों की 70 फीसदी सहायता उपलब्ध करवाता है।

मालदीव कई जरूरी चीजों जैसे कि चावल, गेहूं, शक्कर, आलू, प्याज, निर्माण सामग्री के लिए भारत पर निर्भर है। 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भारत मालदीव के बीच व्यापार में तीन गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। मालदीव में रिजॉर्ट्स के निर्माण और अन्य व्यापारिक गतिविधियों के लिए लोन प्रदान करने वाले बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक तीसरे स्थान पर है।

भारत ने ‘इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल’ के विकास के लिए मालदीव को 52 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं। आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, जिनसे विभिन्न द्वीपों पर 150 से अधिक स्वास्थ्य केंद्र जुड़ेंगे, उसके लिए भी भारत ने मालदीव को सहयोग दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने मालदीव के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए ‘वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोजेक्ट’ शुरू किया है।

भारत ने मालदीव को 2022-23 में 400 करोड़ रुपए का अनुदान दिया है। बीते पांच साल में इसमें चार गुना की बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन इसके बावजूद मालदीव की नई सरकार ने शुरू से ही भारत विरोधी रुख अपना रखा है।

Web Title: Blog: Maldives' economy rests on India's shoulders

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