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Valentine Day 2025: परमात्मा का वरदान होता है पवित्र प्रेम?, वैलेंटाइन दिवस विशेष...

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: February 14, 2025 05:54 IST

Valentine Day 2025: मानव का केवल अपने जीवन से प्रेम करना प्रेम का संकीर्ण रूप है और दैहिक अस्तित्व से ऊपर उठकर संसार के सभी प्राणियों के प्रति करुणा, कल्याण की भावना, शुभ भावना रखना प्रेम का व्यापक रूप है.

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ठळक मुद्देत्याग, सहनशीलता, शुभ भावना, दया, ममता आदि.प्रेम का सेवा से निकट का संबंध है प्रेमरहित सेवा फलीभूत नहीं होती. करुणा, कल्याण की भावना, शुभ भावना रखना प्रेम का व्यापक रूप है.

Valentine Day 2025: प्रेम को समर्पित वैलेंटाइन दिवस विश्वभर में 14 फरवरी को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह पर्व संदेश देता है कि प्रेम एक सुगंध है जो चित्त को प्रसन्न रखता है. प्रेम इंद्रधनुष है जो संसार के प्राणियों के गुणों को बहुरंगी करके देखता है. प्रेम एक मिठास है जिसका जितना भी स्वाद लो, बढ़ता ही जाता है. प्रेम एक पूजा है जो परमात्मा के करीब लाता है. प्रेम में अनेक गुण समाए हुए हैं जैसे त्याग, सहनशीलता, शुभ भावना, दया, ममता आदि. प्रेम का सेवा से निकट का संबंध है प्रेमरहित सेवा फलीभूत नहीं होती. मानव का केवल अपने जीवन से प्रेम करना प्रेम का संकीर्ण रूप है और दैहिक अस्तित्व से ऊपर उठकर संसार के सभी प्राणियों के प्रति करुणा, कल्याण की भावना, शुभ भावना रखना प्रेम का व्यापक रूप है.

यह तभी संभव है जब अपने भीतर के अहंकार और देह अभिमान को मिटा दिया जाए. प्रेम हृदय की श्रेष्ठतम शक्ति है. सच्चा प्रेम अपने को समर्पित करता है. जब दिया जलता है तो वह यह नहीं देखता कि किस-किसको प्रकाश देना है. जब फूल खिलता है तो वह भी नहीं देखता कि किसको खुशबू देनी है. उसी प्रकार जब प्रेम सच्चा होता है तो यह नहीं देखता किससे प्रेम करना है और किससे नहीं.

प्रेम है ही प्रेम तब, जब यह सब के प्रति हो. आज हर चीज का बाजारीकरण होने के कारण प्रेम का स्वरूप भी विकृत होता जा रहा है. स्वार्थ, लालच, भोग वासना, आडंबर, देह आकर्षण आधुनिक प्रेम के पर्याय बन गए हैं. इसीलिए वैलेंटाइन डे पर महंगे उपहार, चॉकलेट्स, फूल, दिखावटी सामान लेने-देने की होड़ सी लगी रहती है.

वास्तविकता तो यह है कि प्रेम प्रदर्शन की चीज ही नहीं, यह तो मनुष्य को परमात्मा द्वारा दिया बहुत खूबसूरत उपहार है जो उसके अंतरमन में बसता है. इस निर्मल प्रेम को जब वह अपने परिवारजनों, मित्रों, संबंधियों आदि में प्रेम पूर्ण व्यवहार के रूप में बांटता है तो उसे आंतरिक प्रसन्नता, आनंद प्राप्त होते हैं.

कुछ लोग प्रेम पाकर नहीं बल्कि देकर खुश होते हैं. कई ऐसे भी हैं जिन्हें कभी किसी का प्यार नहीं मिला परंतु वे अपने बच्चों को, साथियों को, मित्रों को,  वृद्धजनों को प्रेम देकर आनंद और खुशी महसूस करते हैं. प्रेम पाने में जो अनुभव है उससे अधिक सुखद अनुभव प्रेम देने में है.

सच्चे प्रेम से मनुष्य के कर्म सुंदर हो जाते हैं. कहा जाता है यदि सुख में कोई याद आए तो समझो हम उनसे प्रेम करते हैं और दुख में कोई याद आए तो वह हमसे प्रेम करते हैं. हम सभी को दुख में परमात्मा ही याद आते हैं क्योंकि वह ही हमसे सही मायने में प्रेम करते हैं.

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