नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: महान योद्धा और कवि गुरु गोबिंद सिंह जी

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: January 2, 2020 08:31 AM2020-01-02T08:31:28+5:302020-01-02T08:31:28+5:30

गुरु गोबिंद सिंहजी समग्र मानवता के कवि थे. उनकी कविता में ज्ञान, भक्ति, सेवाभाव, वीरधर्म, प्रेम, प्रकृति और मानव सौंदर्य सभी को स्थान प्राप्त है. वे भक्त भी थे बादशाह भी थे. संत भी थे, योद्धा भी थे. कवि भी थे, परदु:ख कातर भी थे. उनका दृढ़ विश्वास था कि प्रेम द्वारा ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है.

Narendra Kaur Chhabra Blog: Guru Gobind Singh Ji, the great warrior and poet | नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: महान योद्धा और कवि गुरु गोबिंद सिंह जी

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

गुरु गोबिंद सिंहजी के योद्धा रूप से तो सभी परिचित हैं. देश व धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवनकाल में उन्होंने सात युद्ध लड़े जिनमें से प्रमुख हैं भंगाणी का युद्ध, आनंदपुर, मुक्तसर, नदीन तथा चमकौर घाटी का युद्ध. चमकौर घाटी के युद्ध में उनके दो बड़े पुत्र अजीत सिंह, जुझार सिंह भी अन्य 40 सिखों के साथ शहीद हो गए थे. पांच प्यारों में से एक भाई मोहकम सिंह भी इस युद्ध में शहीद हुए.

गुरुजी एक महान कवि भी थे. उनके कवि रूप से लोग बहुत कम परिचित हैं. उनकी अपूर्व सफलता का महत्वपूर्ण रहस्य उनका कवि हृदय था. गुरुजी पूर्ण पुरुष अर्थात ज्ञान, कर्म, प्रेम, भक्ति का संतुलित व्यक्तित्व थे.

उनमें लाखों को प्रभावित कर सकने वाली आध्यात्मिक शक्ति तो थी ही, उसके साथ ही हृदय का वह महान धर्म भी था जो हर व्यक्ति के दु:ख-सुख, आशा-आकांक्षा, राग-विराग की धड़कन सुन सकता हो.

वे मानव संवेदना के महान चुंबक थे. वे मनुष्य को उसके बाहरी आवरण को भेदकर देख सकते थे. कई बार प्रतिपक्षियों के प्रति भी उन्होंने सहृदयता का उसी प्रकार व्यवहार किया जो अपने निकटतम स्वजनों से किया करते थे.

दल, संप्रदाय, जाति, उपजाति के द्वारा परिचय देना साधारण लोगों का ढंग है, इन ऊपरी आवरणों के तत्व में मनुष्य का एक ही प्रकार का हृदय विद्यमान है. एक ही प्रकार की आशा-आकांक्षाएं तरंगित हो रही हैं, यह समझने वाला कोई कवि हृदय ही हो सकता है. गुरुजी को ऐसा ही कवि हृदय प्राप्त था.

गुरु गोबिंद सिंहजी समग्र मानवता के कवि थे. उनकी कविता में ज्ञान, भक्ति, सेवाभाव, वीरधर्म, प्रेम, प्रकृति और मानव सौंदर्य सभी को स्थान प्राप्त है. वे भक्त भी थे बादशाह भी थे. संत भी थे, योद्धा भी थे. कवि भी थे, परदु:ख कातर भी थे. उनका दृढ़ विश्वास था कि प्रेम द्वारा ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है.

गुरुजी की काव्य साधना भी उनकी प्रभु भक्ति के समान पवित्र और गंभीर थी. उन्होंने काव्य साधना को बड़ी गंभीरता से अपनाया था. छंदों के तो वे बादशाह थे. बहुत  कम कवियों ने इतने विविध और विचित्र छंदों का प्रयोग किया होगा. कुछ स्थानों पर उन्होंने हिंदी, पंजाबी, संस्कृत भाषाओं को मिलाकर चमत्कारी प्रभाव उत्पन्न किया है.    उन्होंने अपने दरबार में 52 कवि विद्वानों को बुलाया और अपनी निगरानी में संस्कृत तथा फारसी की वीर रस से भरी रचनाओं का अनुवाद करवाया तथा नई रचनाओं का सृजन भी किया. उनके कवि रूप की तारीफ गैर सिख विद्वानों ने भी की है तथा उन्हें संसार के श्रेष्ठ महाकवि, महापुरुष, विद्वान आदि उपाधियों से नवाजा है.

गुरुजी मानवता को सच्चाई, प्रेम, पवित्रता, भाईचारे का पाठ पढ़ाने के लिए परमात्मा के भेजे अवतार थे. न केवल वे तलवार के धनी थे बल्कि अपनी कलम से भी उन्होंने इतिहास के पन्नों पर अमिट छाप छोड़ी है.

Web Title: Narendra Kaur Chhabra Blog: Guru Gobind Singh Ji, the great warrior and poet

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