ब्लॉग: गुरु अर्जुन देव जी की मानवता को अमूल्य देन है गुरू ग्रंथ साहिब

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: May 23, 2023 10:21 AM2023-05-23T10:21:12+5:302023-05-23T10:28:05+5:30

गुरु ग्रंथ साहिब समग्र मानवता के लिए है. यह ग्रंथ केवल धार्मिक ज्ञान ही नहीं देता बल्कि उत्तर भारत के पांच सौ साल के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक पहलुओं पर भी रोशनी डालता है.

Guru Granth Sahib is an invaluable gift of Guru Arjun Dev Ji to humanity | ब्लॉग: गुरु अर्जुन देव जी की मानवता को अमूल्य देन है गुरू ग्रंथ साहिब

ब्लॉग: गुरु अर्जुन देव जी की मानवता को अमूल्य देन है गुरू ग्रंथ साहिब

गुरु ग्रंथ साहिब केवल सिखों का धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि समूची मानवता को जीवन जीने की कला सिखाने वाला महान ग्रंथ है. ऐसे महान ग्रंथ को स्वरूप प्रदान करने वाले सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल  1563 को गुरु रामदास जी के घर हुआ था.

बचपन से ही गुरुजी बड़े शांत स्वभाव के थे. उन्हें गुरबाणी, कीर्तन का बड़ा शौक था. उनके अंदर के श्रेष्ठ गुणों को उजागर होते देख पिता रामदास जी ने उन्हें गुरु गद्दी केवल 18 वर्ष की आयु में सौंप दी. गुरु गद्दी पर बैठते ही गुरु जी ने यह अनुभव किया कि किसी भी धर्म को जीवित रहने के लिए दो बातें जरूरी हैं- धर्म ग्रंथ और धार्मिक केंद्र.

गुरु पद संभालते ही वे सिख मत की उन्नति में जुट गए. सन्‌ 1589 में उन्होंने अमृत सरोवर के मध्य में हरमंदिर साहिब जैसे अद्वितीय आध्यात्मिक स्थल की स्थापना कराई. इसकी नींव मुस्लिम फकीर मियां मीर से रखवाकर उन्होंने सिद्ध कर दिया कि उनकी नजर में सभी धर्म समान महत्व रखते हैं. सन्‌ 1590 में गुरुजी ने तरनतारन साहिब और 1594 में करतारपुर साहिब नगर बसाए. जब हरमंदिर साहिब की इमारत पूरी हो गई तो 1604 में गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश यहां किया गया.  

गुरु ग्रंथ साहिब की विषयवस्तु समग्र मानवता के लिए है. यह ग्रंथ केवल धार्मिक ज्ञान ही नहीं देता बल्कि उत्तर भारत के पांच सौ साल के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक पहलुओं पर भी रोशनी डालता है. समूचे ग्रंथ साहिब में सत्य की ही व्याख्या है क्योंकि इस महान ग्रंथ का मुख्य विषय ही सत्य है. ईश्वर एक है उसने ही सारी सृष्टि की रचना की है. उसकी प्राप्ति के लिए संसार का त्याग करके जंगलों में जाने की जरूरत नहीं.

गुरु ग्रंथ साहिब में निराकार परमात्मा की याद भक्ति का प्रचार है. इस महान ग्रंथ में 3384 शब्द हैं तथा 15575 बंद हैं. इनमें से 6204 बंद गुरु अर्जुन देव जी के हैं. इस ग्रंथ में गुरु जी ने 15 भक्तों की चुनी हुई वाणी को भी शामिल किया. सुखमनी साहिब गुरु अर्जुन देव जी की बड़ी रचना है.  

गुरुजी के उपदेश, शांत विनम्र व्यवहार, वचनों से प्रभावित होकर अनेक हिंदू व मुस्लिम उनके शिष्य बनने लगे. इससे तत्कालीन बादशाह जहांगीर बहुत क्रोधित हुआ. उसके दरबारियों ने भी गुरुजी के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाने शुरू कर दिए.

गुरुजी की बढ़ती साख जहांगीर से सहन नहीं हुई. उसने उन्हें गिरफ्तार करके आदेश दिया. उन्हें अनेक तरह की यातनाएं दी गईं तथा 30 मई 1606 को वे धर्म की रक्षा की खातिर शहीद हो गए. जीवन के अंतिम क्षण तक यातनाएं सहते हुए भी वे शांत चित्त, प्रभु स्मरण में लीन रहे इसलिए उन्हें शांतिपुंज कहा जाता है.

Web Title: Guru Granth Sahib is an invaluable gift of Guru Arjun Dev Ji to humanity

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