ब्लॉग: खुशहाली का प्रतीक पर्व है बसंत पंचमी
By योगेश कुमार गोयल | Published: January 26, 2023 02:35 PM2023-01-26T14:35:31+5:302023-01-26T14:36:07+5:30
बसंत ऋतु तथा पंचमी का अर्थ है शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी या फरवरी माह में तथा हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह में मनाया जाता है.
हिंदुओं का प्रसिद्ध त्यौहार ‘बसंत पंचमी’ माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल माघ शुक्ल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. इसीलिए उदया तिथि के अनुसार ‘बसंत पंचमी’ 26 जनवरी को मनाई जाएगी.
इस दिन विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. विभिन्न ग्रंथों में वाग्देवी सरस्वती को ब्रह्मस्वरूपा, कामधेनु, अमित तेजस्विनी, अनंत गुणशालिनी तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि बताया गया है. देवी के रूप में दूध के समान श्वेत रंग वाली सरस्वती को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.
बसंत ऋतु तथा पंचमी का अर्थ है शुक्ल पक्ष का पांचवां दिन. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी या फरवरी माह में तथा हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह में मनाया जाता है. माघ माह का धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व माना गया है. चूंकि इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है, इसलिए यह विशेष रूप से विद्यार्थियों का दिन भी माना जाता है.
बसंत पंचमी को देवी सरस्वती का ‘आविर्भाव दिवस’ भी माना जाता है और इस पर्व को ‘वागीश्वरी जयंती’ व ‘श्रीपंचमी’ के नाम से भी जाना जाता है.
भारतीय समाज में मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर मां सरस्वती की कृपा होती है, वह ज्ञानी और विद्या का धनी होता है. कहा भी जाता है कि जिसकी जिव्हा पर देवी सरस्वती का वास होता है, वह विद्वान और कुशाग्र बुद्धि का स्वामी होता है. मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन और व्रत करने से स्मरण शक्ति तीव्र होती है, वाणी मधुर होती है, विद्या में कुशलता तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है.