लाइव न्यूज़ :

प्रदीप द्विवेदी का ब्लॉग: राहुल गांधी के पास खोने के लिए कुछ नहीं, असंतुष्टों के लिए पाने को कुछ नहीं!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: February 28, 2021 12:12 IST

जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं की मीटिंग में जो नेता जमा हुए थे, उन्हें लेकर सवाल बनता है कि कितने अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं?

Open in App

आपातकाल के बाद एक समय ऐसा आया था जब लगने लगा था कि कांग्रेस से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की विदाई हो जाएगी. कांग्रेस में बगावत भी हुई, उस समय के बड़े-बड़े नेता इंदिरा गांधी के विरोध में चले गए, लेकिन नतीजा क्या रहा? केवल इंदिरा कांग्रेस का अस्तित्व रहा!

कारण? उस वक्त भी इंदिरा गांधी के विरोध में बड़े-बड़े नाम जरूर थे, लेकिन जमीन पर उन तमाम नेताओं की पकड़ बेहद कमजोर थी. इंदिरा गांधी के अलावा ऐसा कोई नेता नहीं था जो पूरे देश में सक्रिय हो और हर राज्य में पकड़ और पहचान रखता हो.

दरअसल, कांग्रेस की सबसे बड़ी सियासी ताकत ही गांधी परिवार है और यही वजह है कि बीजेपी नेतृत्व ने पूरी शक्ति गांधी परिवार के खिलाफ लगा रखी है. आज भी कांग्रेस की पहचान गांधी परिवार ही है. लिहाजा, राहुल गांधी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, तो असंतुष्टों के लिए पाने को कुछ नही है!

जम्मू में कांग्रेस के जो असंतुष्ट नेता इकट्ठा हुए थे, उनमें से कितने नेता अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं? कांग्रेस के लिए गांधी परिवार का महत्व सबको पता है, यही वजह है कि असंतुष्टों के इस कार्यक्रम में कांग्रेस के मंत्री, मुख्यमंत्री नजर नहीं आए.

उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी राज्य तमिलनाडु के दौरा पर हैं, तो इधर, जम्मू में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता इकट्ठा हुए. इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कांग्रेस के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस उन्हें कमजोर होती नजर आ रही है. 

यही नहीं, उन्होंने गुलाम नबी आजाद को फिर से राज्यसभा के लिए नामित न किए जाने पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता जम्मू के शांति सम्मेलन में पहुंचे जिसे गांधी ग्लोबल फैमिली नामक एक एनजीओ ने आयोजित किया था. 

मजेदार बात यह है कि इस दौरान कांग्रेस के सभी नेता भगवा साफे में नजर आए. इस मौके पर कपिल सिब्बल ने कहा कि- सच बोलने का मौका है और आज सच ही बोलेंगे. हम क्यों यहां इकट्ठा हुए हैं. सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिख रही है. इसलिए हम यहां इकट्ठा हुए हैं. पहले भी इकट्ठा हुए थे. हमें इकट्ठा होकर इसे मजबूत करना है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा का कहना था कि- हम में से कोई ऊपर से नहीं आया. खिड़की रोशनदान से नहीं आया. छात्र आंदोलन से आए हैं.

इस कार्यक्रम के केन्द्र में रहे नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले 5-6 साल से इन सभी दोस्तों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर, यहां की बेरोजगारी, राज्य का दर्जा छीनने, इंडस्ट्री को खत्म करने, शिक्षा और जीएसटी लागू करने के मुद्दे लेकर संसद में मुझसे कम नहीं बोला है. 

चाहे जम्मू हो या कश्मीर या लद्दाख, हम सभी धर्म, लोगों और जाति का सम्मान करते हैं. हर एक समान रूप से सभी का आदर करते हैं. यह हमारी ताकत है और इसे हम आगे भी जारी रखेंगे.

सियासी सयानों का कहना है कि राहुल गांधी तो लगातार केन्द्र सरकार के खिलाफ सक्रिय हैं, बड़ा सवाल यह है कि कितने असंतुष्ट नेता इस अभियान में उनका साथ देते रहे हैं? ऐसे कार्यक्रमों के दम पर खबरों में तो असंतुष्ट छा जाएंगे, लेकिन हकीकत में उन्हें क्या हांसिल होगा?

टॅग्स :कांग्रेसराहुल गांधीगुलाम नबी आजादकपिल सिब्बलजम्मू कश्मीरइंदिरा गाँधी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र शीतकालीन सत्र: चाय पार्टी का बहिष्कार, सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति करने में विफल रही सरकार

भारतकांग्रेस के मनीष तिवारी चाहते हैं कि सांसदों को संसद में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर वोट देने की आजादी मिले, पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

राजनीति अधिक खबरें

राजनीतिDUSU Election 2025: आर्यन मान को हरियाणा-दिल्ली की खाप पंचायतों ने दिया समर्थन

राजनीतिबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मिलीं पाखी हेगड़े, भाजपा में शामिल होने की अटकलें

राजनीतिBihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

राजनीतिगोवा विधानसभा बजट सत्रः 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर बवाल, विपक्ष का हंगामा