आम आदमी पार्टी (AAP) ने बुधवार को राज्यसभा के लिए अपनी सभी तीन सीटों के उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी की। इसमें आप संस्थापक सदस्य संजय सिंह, दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेट अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (ICAI) के अध्यक्ष रह चुके नारायण दास गुप्ता और कई इंजीनियरिंग कॉलेज, इंटर कॉलेज व स्कूल चलाने वाले कांग्रेस की सीट पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके सुशील गुप्ता का नाम है। इस सूची के जारी होने के बाद आप की नीयत पर सवाल है।
आम आदमी पार्टी, नाम से उद्देश्य स्पष्ट है। वह राजनैतिक पार्टी जो आम लोगों की है। यही प्रचारित किया गया था करीब पांच साल पहले जब यह पार्टी अस्तित्व में आई। आम आदमी का चोला ओढ़े अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। लेकिन राज्यसभा में पहली बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला तो उन्होंने एक 160 करोड़ की संपत्ति वाले शख्स को चुना।
तीन नामों संजय सिंह, नारायण दास गुप्ता ओर सुशील गुप्ता में आप के संस्थापक सदस्य रहे संजय सिंह के नाम पर कोई भारी विवाद नहीं है। लेकिन आईसीएआई के अध्यक्ष रह चुके नरायण दास गुप्ता को राज्यसभा भेजने के लिए चुनने से यह जाहिर होतो है कि आप राज्यसभा में पार्टी की राजनैतिक समझ रखने वालों चेहरों के ऊपर आप के लिए पांच साल से फंडिंग काम देखने वाले चेहरे को तरजीह दी। राज्यसभा उच्च सदन है। राज्यसभा को बुद्धजीवियों का सदन भी कहा जाता है। यहां बैठे लोग देश के नीति नियंता होते हैं। इन पर जिम्मेदारी होती है कि देश के चुने हुए नेताओं की नीतियों को भी सही-गलत की कसौटी पर कसें। उत्साह या लोकलुभावन नीतियों या वोट बैंक राजनीति के लिए बनाए जा रहे नियमों की विवेचना कर उन्हें सही की ओर ले जाएं।
ऐसे में आम आदमी की प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली एक पार्टी ने तीसरा नाम सुशील गुप्ता का चुना है। सुशील गुप्ता के नाम की घोषणा होने पर कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने एक बयान जारी किया, '28 नवंबर को सुशील गुप्ता मेरे पास इस्तीफा लेकर आए। मैंने पूछा- क्यों? सर मुझे राज्यसभा का वादा किया, उनका जवाब था। संभव नहीं, मैं मुस्कुराया। सर आप नहीं जानते... वो मुस्कुराये। 40 दिन बाद। अब कुछ न ही कहा जाए। वैसे सुशील अच्छे इंसान हैं चैरिटी के लिए बहुत कुछ करते हैं।'
खुद केजरीवाल सुशील गुप्ता के खिलाफ प्रचार कर चुके हैं
सुशील बीते पांच साल से कांग्रेस पार्टी में थे। 2013 में आप की दिल्ली में ऐतिहासिक 28 सीट जीत वाले विधानसभा चुनाव में वह मोतीनगर से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। इनके विरोध में खुद केजरीवाल ने सभाएं की थी। उस वक्त नामांकान दाखिले के वक्त सुशील ने अपनी संपत्ति का विवरण दिया था। तब उन्होंने संपत्ति 160 करोड़ दर्शाई थी।
सुशील गुप्ता के दिल्ली में पांच स्कूल हैं। हरियाणा-पंजाब में उनके पांच-पांच स्कूल हैं। हरियाणा में उनके पांच इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि बीते पांच सालों में उनकी संपत्ति 160 करोड़ से और ज्यादा पहुंच गई होगी।
अब वह आम आदमी पार्टी के आम आदमी उम्मीदवार हैं। केजरीवाल के तर्क हो सकते हैं कि सुशील गुप्ता 15000 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दिलाई है। सांस्कृतिक-धार्मिक संगठनों के सदस्य हैं। ये सब सच हो संभव है। लेकिन यह तो सच नहीं कि सुशील आम आदमी हैं। ऐसे आम आदमी जो पहले अपने पैसों के बल पर ही कांग्रेस में था। सवा महीने पहले आप के आम आदमी हो गया।