ब्लॉग: मुशाल, मलिक और मोहब्बत का जाल!

By विकास मिश्रा | Published: August 22, 2023 10:31 AM2023-08-22T10:31:14+5:302023-08-22T10:33:44+5:30

ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के पास छोटी-मोटी हरकतें करने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है।  जंग की तो वह सोच भी नहीं सकता।  हर बार पिटता है और कभी जुर्रत की तो और पिटेगा।  

Yasin Malik wife Mushaal Hussein Mullick Mushal Malik and the web of love | ब्लॉग: मुशाल, मलिक और मोहब्बत का जाल!

फोटो क्रेडिट- ट्विटर

न केवल भारत बल्कि दुनिया के लिए यह बड़ा सवाल है कि यासीन मलिक की पत्नी मुशाल को पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर का विशेष सलाहकार क्यों बनाया गया?

इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि ये मुशाल आखिर है क्या बला? ....और वह यासीन मलिक की बीवी आखिर बनी कैसे? यासीन की तो दुनिया ही अलग थी जहां केवल मौत का तांडव पसरा हुआ था। शादी की बात से ही वह बिफर जाता था।

यासीन जब कश्मीर घाटी को रक्तरंजित करने में जुटा हुआ था, तब किसी ने उससे पूछा था कि शादी के बारे में क्या खयाल है? उसने अपने टेढ़े अंदाज में जवाब दिया कि निकाहनामा पढ़ने से बेहतर है कि संयुक्त राष्ट्र का कोई भाषण पढ़ लिया जाए।

कमाल देखिए कि कुछ ही साल बाद किस्मत ने ऐसी पलटी खाई कि यासीन मलिक ने एक खूबसूरत पाकिस्तानी बाला मुशाल को ‘आई लव यू’ कह दिया और निकाहनामा भी पढ़ा. केवल 14 साल की उम्र में हथियार उठाने वाले और एक स्कूल बस ड्रायवर के बेटे यासीन ने ठीक से स्कूल की पढ़ाई भी नहीं की है जबकि मुशाल पाकिस्तान के अमीर घराने से है, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक है और बेहतरीन पेंटर भी है।

तो ये बेमेल शादी हुई कैसे? कोई पुख्ता प्रमाण तो मिलना संभव नहीं है लेकिन आतंकवाद और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की कार्यप्रणाली पर गहरी नजर रखने वाले विशेषज्ञ मानते रहे हैं कि इस निकाहनामे का जाल आईएसआई ने बिछाया था।

दोनों के मिलन की कहानी भी कुछ ऐसे ही संकेत देती है। यासीन मलिक 2005 में कश्मीर के लिए समर्थन जुटाने पाकिस्तान गया था। एक कार्यक्रम में मुशाल ने यासीन मलिक को भाषण के दौरान फैज अहमद फैज की शायरी पढ़ते सुना और फैन हो गई. यासीन के पास पहुंचकर उसने हाथ मिलाया और भाषण की तारीफ की. मुशाल की मां रेहाना हुसैन भी साथ में थीं। वे पाकिस्तान की राजनीति में दखल रखती हैं।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग की महासचिव रह चुकी हैं। दोनों के बीच फोन नंबर का आदान प्रदान हुआ। माना जाता है कि इस पहली मुलाकात में ही यासीन खुद से 20 साल छोटी मुशाल की अदाओं का दीवाना हो गया और दिल दे बैठा लेकिन उसने तत्काल मोहब्बत का इजहार नहीं किया।

पाकिस्तान से लौटने के एक दिन पहले यासीन ने मुशाल की मां को कॉल किया और कश्मीर के लिए दुआ मांगी। इसके बाद उसने मुशाल से बातें कीं और इसी दौरान उसकी तारीफ करते हुए उसने ‘आई लव यू’ कह दिया। मुशाल तो जैसे उम्मीद लगाए ही बैठी थी। उसने भी यासीन को संकेत दे दिया कि वह उसके प्यार में डूब चुकी है। फिर ऐसा संयोग बनाया गया कि हज यात्रा के दौरान यासीन और मुशाल की माएं मिलीं और शादी पक्की हो गई।

22 फरवरी 2009 को 43 साल के यासीन मलिक ने 24 साल की मुशाल के साथ पाकिस्तान जाकर शादी कर ली। उसके बाद मुशाल अपने पूरे परिवार के साथ कश्मीर आई और कुछ दिन रही भी। 2014 तक उसने भारत की कई यात्राएं कीं। दोनों की मोहब्बत की निशानी 11 साल की रजिया सुल्ताना है। उसके बाद वह भारत नहीं आ पाई।  2019 में धारा 370 हटने के ठीक एक दिन पहले दोनों के बीच आखिरी बातचीत हुई थी।

यासीन मलिक जेल की सलाखों में है। अब दोनों शायद कभी मिल भी न पाएं लेकिन मुशाल कश्मीर को लेकर आग उगलती रहती है. यहां दिलचस्प बात यह है कि कश्मीर को लेकर दोनों के नजरिये में बहुत बड़ा अंतर है।  

यासीन हमेशा कहता रहा है कि वह कश्मीर को आजाद मुल्क के रूप में देखना चाहता है जबकि मुशाल चाहती है कि कश्मीर पाकिस्तान में शामिल हो।  विशेषज्ञों का मानना है कि यासीन की जिंदगी में मुशाल को भेजा ही इसलिए गया कि वह उसका नजरिया बदले लेकिन किस्मत ने दोनों का ही साथ नहीं दिया।  शादी तो हुई लेकिन दोनों की जिंदगी के पन्ने ज्यादा दिन तक एक साथ खुले न रह सके। 

अब इस सवाल पर आएं कि मुशाल को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के मामलों का विशेष सलाहकार क्यों बनाया गया है? दरअसल कश्मीर को लेकर पाक की सारी फितरत फेल हो चुकी है।  भारत ने धारा 370 हटाकर सारी दुनिया को संदेश दे दिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था है और रहेगा।  बल्कि बातें तो पाक अधिकृत कश्मीर को भी खुद में मिलाने की हो रही हैं और किसी दिन यह हो जाए तो आश्चर्य भी नहीं।  

ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के पास छोटी-मोटी हरकतें करने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है।  जंग की तो वह सोच भी नहीं सकता।  हर बार पिटता है और कभी जुर्रत की तो और पिटेगा।  मुशाल की नियुक्ति केवल इस बात का प्रतीक है कि वह दुनिया को बताना चाहता है कि कश्मीर का मुद्दा उसने छोड़ा नहीं है।

 वैसे यह भी ध्यान रखिए कि जिस प्रधानमंत्री की वह सलाहकार बनी है वह केवल चुनाव तक के लिए प्रधानमंत्री है। उसकी खुद की कोई हैसियत नहीं तो मुशाल की क्या हैसियत होगी? हां, यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के बाद आईएसआई उसे पाकिस्तानी राजनीति में किस भूमिका में रखती है।  इतना तय है कि इससे भारत को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। 

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