ब्लॉग: पंजाब में कानून-व्यवस्था के लिए चिंताजनक स्थिति, अजनाला थाने पर हमले से उठे गंभीर सवाल
By अवधेश कुमार | Published: February 27, 2023 11:42 AM2023-02-27T11:42:24+5:302023-02-27T11:49:05+5:30
इसका पंजाब पुलिस प्रशासन के पास सही आकलन होना चाहिए था। इस दृष्टि से विचार करें तो यह पंजाब पुलिस की ऐसी विफलता है जिसका दुष्परिणाम प्रदेश को लगातार अलग-अलग रूपों में भुगतना पड़ सकता है।

(photo credit: ANI twitter)
पंजाब के अमृतसर में 23 फरवरी को अजनाला थाने के चारों ओर का दृश्य देखकर किसी के अंदर भी भय पैदा होगा। किसी आरोपी को पुलिस गिरफ्तार करे तो हाथों में तलवार-डंडे जैसे हथियार लिए हुए हजारों लोग रिहाई की मांग करते बैरिकेडिंग तोड़ते हुए थाने पर कब्जा कर लें, कानून के राज में ऐसी स्थिति की कल्पना मुश्किल है।
लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को मारपीट और अपहरण के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह ‘वारिस पंजाब दे’ का नेता है। अमृतपाल सिंह इसका प्रमुख है जो इन दिनों पंजाब के अंदर अपने आक्रामक भाषणों तथा प्रदर्शनों के लिए सुर्खियां पा रहा है। ऐसा लग रहा था जैसे पुलिस वाले निस्सहाय हैं। उन पर डंडे, ईंट, पत्थर चल रहे हैं और वे केवल अपना बचाव कर रहे थे।
इनके दबाव में पंजाब की सरकार झुकी, पहले स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित की तथा बाद में घोषणा की कि लवप्रीत को रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि, अंततः लवप्रीत सिंह अजनाला न्यायालय द्वारा ही जमानत पर रिहा हुआ। मगर साफ था कि पंजाब पुलिस ने न्यायालय में उसे जमानत न देने की मांग की ही नहीं इसलिए यह घटना कानून को ठेंगा दिखाने वालों के दबाव में आकर आरोपी को रिहा कर देने का ऐसा मामला है जिसमें तस्वीर ऐसी बन रही है कि पूरा पंजाब प्रशासन लाचार है।
निश्चित रूप से फरवरी के दोपहर के भयानक दृश्यों पर विश्वास करना मुश्किल था। यह मानने में तो कोई हर्ज नहीं है कि इतनी भारी संख्या पर पुलिस गोली चला कर अशांति का नया आधार पैदा नहीं कर सकती थी। किंतु पुलिस प्रशासन के पास इस बात की सूचना थी कि अमृतपाल सिंह भारी भीड़ के साथ अजनाला थाने पर हमला कर सकता है। साफ है कि जितनी भारी सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए उसमें काफी कमी रह गई।
हालांकि, पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला, कुछ लोगों को हिरासत में लिया भी था लेकिन यह सब टोकन कार्रवाई साबित हुई। जितनी संख्या में वे अजनाला पहुंचे उनके सामने पुलिस कमजोर पड़ गई। जब टकराव की आशंका देखते हुए व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दीं और सुबह से ही भीड़ जुटने लगी थी तो उसका ध्यान रखते हुए सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की जा सकती थी। लोगों को शहर में घुसने से रोका जा सकता था।
शहर के अंदर भी अलग-अलग उन्हें घेरा जा सकता था। क्या पुलिस के पास इस बात की सूचना नहीं हो पाई कि वह कितनी संख्या में आ सकते हैं? आखिर उनके पास कितना संख्या बल है और वे किस तरह का हिंसक व्यवहार कर सकते हैं, इसका पंजाब पुलिस प्रशासन के पास सही आकलन होना चाहिए था। इस दृष्टि से विचार करें तो यह पंजाब पुलिस की ऐसी विफलता है जिसका दुष्परिणाम प्रदेश को लगातार अलग-अलग रूपों में भुगतना पड़ सकता है।