World Elephant Day: हाथियों को बचाने के लिए बचाने होंगे जंगल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 12, 2021 12:35 PM2021-08-12T12:35:39+5:302021-08-12T12:35:39+5:30

12 अगस्त को पूरी दुनिया हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका मकसद हाथियों के संरक्षण को बढ़ावा देना और जागरूकता फैलाना है.

World Elephant Day 2021: To save elephants we need to save forest also | World Elephant Day: हाथियों को बचाने के लिए बचाने होंगे जंगल

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlights 12 अगस्त को पूरी दुनिया हाथी दिवस के रूप में मनाती हैभारत में साल 1992 में प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत की गई थीविश्व हाथी दिवस हाथियों के संरक्षण, संख्या बढ़ाने, उनकी बेहतरी और प्रबंधन के बारे में जागरूकता के लिए मनाया जाता है

पृथ्वी पर हर प्राणी को रहने का अधिकार है लेकिन मानव अपना वर्चस्व कायम करने के लिए प्रकृति के नियमों को अनदेखा करता है. भारतीय संस्कृति में प्रकृति की पूजा की जाती है. इसके पीछे की यही भावना है कि प्रकृति का संरक्षण हो. भारत वर्ष में हाथी को गणेश का रूप मानते हैं. 12 अगस्त को पूरी दुनिया हाथी दिवस के रूप में मनाती है.

हाथियों के संरक्षण के लिए गैरकानूनी शिकार और तस्करी रोकने, उनके बेहतर इलाज और पकड़े गए हाथियों को अभयारण्यों में भेजे जाने के लिए आम लोगों में जागरूकता लाने तथा जंगली हाथियों की संख्या बढ़ाने, उनकी बेहतरी और प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है. 

इस दिन की शुरुआत कनाडा की फिल्म निर्माता पेक्ट्रिका सिम्स और केनाज वेस्ट पिक्चर्स के माइकल क्लार्क, थाईलैंड के एलिफेंट की इंट्रोडक्शन फाउंडेशन के महासचिव सिवापॉर्न पिक्चर्स ददारेंडा द्वारा वर्ष 2011 में की गई थी.

अधिकारिक रूप से इसका शुभारंभ 12 अगस्त 2012 को किया गया. हाथियों के संरक्षण के लिए भारत में साल 1992 में प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत की गई थी. देश में एशियाई हाथी की महत्ता रेखांकित करने के लिए वर्ष 2010 में हाथी को ‘राष्ट्रीय विरासत प्राणी’ का दर्जा प्रदान किया गया था.

2017 में हाथियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान ‘गज यात्र’ का शुभारंभ किया था. यह अभियान हाथियों की बहुलता वाले 12 राज्यों में चलाया गया. वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार एशियाई हाथियों की कुल आबादी 30000 थी और विश्व के 60 प्रतिशत एशियाई हाथी भारत में हैं. वर्तमान में भारत में लगभग 27000 हाथियों की आबादी कर्नाटक में है. इसके पश्चात असम तथा केरल का स्थान है.

हाथियों की आबादी कम होने का कारण हाथियों के क्षेत्र में मानव दखल का बढ़ना है. हाथी गांवों में घुस रहे हैं. अब कई जगह हाथी और इंसान के बीच संघर्ष की स्थिति है. इस समस्या पर रोक लगाने के लिए अधिक से अधिक संरक्षित वन क्षेत्र विकसित करना होगा. भारत में हाथियों के हमलों के कारण हर साल लगभग 500 लोग मारे जाते हैं. 2015 से 2020 तक हाथियों के हमलों में लगभग 2500 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

इनमें से अकेले कर्नाटक में 170 मानवीय मौत हुई है. मानव एवं हाथियों का टकराव रोकने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने ‘मधुमक्खी-बाड़’ योजना शुरू की है. इस योजना के तहत शहद वाली मधुमक्खियों का उपयोग कर मानव बस्तियों में हाथियों के हमलों को रोकने की कोशिश की जा रही है. कर्नाटक के कोडागु जिले के कुछ गांवों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है, जिससे जनहानि और हाथियों को बचाया जाएगा.

Web Title: World Elephant Day 2021: To save elephants we need to save forest also

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