महिला समानता दिवस विशेषः स्त्री को कानूनन समान अधिकार मिला है, समाज में अभी भी दोयम दर्जा...

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 26, 2021 16:45 IST2021-08-26T16:43:15+5:302021-08-26T16:45:13+5:30

न्यूजीलैंड विश्व का पहला देश है जहां 1893 में महिला समानता दिवस की शुरुआत हुई. इसके बाद अन्य देशों का ध्यान ‘स्त्री समानता’ की ओर गया.

Women's Equality Day celebrated world on 26 August New Zealand 1893 equal rights legally still second status in society | महिला समानता दिवस विशेषः स्त्री को कानूनन समान अधिकार मिला है, समाज में अभी भी दोयम दर्जा...

अमेरिका वकील बेला सावित्स्की अब्जुग के प्रयासों से 26 अगस्त 1971 से महिला समानता दिवस मनाया जाने लगा.

Highlightsअमेरिका में 1853 में विवाहित महिलाओं ने संपत्ति अधिकार मांगना शुरू किया था.महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी नहीं था.50 साल लड़ाई लड़ने के बाद 26 अगस्त 1920 को 19 वें संविधान संशोधन के जरिये पहली बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ.

महिलाओं की आजादी और समानता के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए 26 अगस्त को महिला समानता दिवस विश्वभर में मनाया जाता है. परिवार का केंद्रबिंदु समझी जानेवाली स्त्री को कानूनन भले ही समान अधिकार मिला है लेकिन समाज में अभी भी दोयम दर्जा ही प्राप्त है.

न्यूजीलैंड विश्व का पहला देश है जहां 1893 में महिला समानता दिवस की शुरुआत हुई. इसके बाद अन्य देशों का ध्यान ‘स्त्री समानता’ की ओर गया. अमेरिका में 1853 में विवाहित महिलाओं ने संपत्ति अधिकार मांगना शुरू किया था. वहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी नहीं था.

इसके लिए 50 साल लड़ाई लड़ने के बाद 26 अगस्त 1920 को 19 वें संविधान संशोधन के जरिये पहली बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ और इसी के साथ उन्हें द्वितीय श्रेणी नागरिकता का दर्जा भी मिला. महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़नेवाली अमेरिका वकील बेला सावित्स्की अब्जुग के प्रयासों से 26 अगस्त 1971 से महिला समानता दिवस मनाया जाने लगा.

 भारतीय संस्कृति हमें सिखाती है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता:’ अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है. लेकिन व्यवहार में भारतीय समाज में भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा हासिल नहीं है. वैसे पिछले दो-तीन दशकों से स्त्री शिक्षा का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ रहा है जिससे स्त्री समानता के बारे में जागरूकता भी बढ़ रही है.

महिलाओं में आई चेतना का असर भी अब दिखने लगा है. अब सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभा रही हैं. कभी पुरुषों का जिस क्षेत्र में एकछत्र राज था, वहां भी उनकी मौजूदगी प्रभावी रूप से बढ़ रही है. लेकिन इतना सब होने के बावजूद अब भी उनके साथ भेदभाव और अत्याचार हो रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 194 देशों में से 184 देशों ने 2016 तक अपने संविधान में स्त्री-पुरुष समान अधिकार सुनिश्चित किया है. परंतु आज भी सही मायने में महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिला है. उनको पुरुषों पर आश्रित रहना पड़ता है.

लैंगिक समानता की दिशा में हाल ही में भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पात्र महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल होने की अनुमति दे दी है और दूसरी खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति के लिए तीन महिला जस्टिस के नामों की सिफारिश की है. निश्चित रूप से अब महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव समाप्त होने चाहिए. उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अधिक से अधिक अवसर मिलना चाहिए.

Web Title: Women's Equality Day celebrated world on 26 August New Zealand 1893 equal rights legally still second status in society

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