जब आरएसएस ने किया था तिरंगे का विरोध, क्यों अलग है इसका झण्डा?

By मोहित सिंह | Published: May 9, 2018 03:46 PM2018-05-09T15:46:31+5:302018-05-11T15:53:56+5:30

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप लगते रहे हैं कि वो आजादी के कई साल बाद तक अपने नागपुर स्थित मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराता था।

Why Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS is against the Indian Tricolor Hoisting | जब आरएसएस ने किया था तिरंगे का विरोध, क्यों अलग है इसका झण्डा?

Why Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS is against the Indian Tricolor Hoisting

कुछ दिनों पहले एक चर्चा चली कि अब हमें हर विश्वविद्यालय प्रांगण में तिरंगा फहराना चाहिये, सुनकर बहुत ही अच्छा लगा कि लोगों को अपने देश की शान तिरंगे के सम्मान का ध्यान आया, सुनकर अच्छा लगा कि अब तिरंगा सिर्फ सरकारी विभागों, राष्ट्रीय पर्वों और शहीदों के सम्मान में लपेटा गया एक वस्त्र भर नहीं रहेगा, युवाओं के बीच एक ट्रेंडिंग या सिर्फ एक स्टाइल आइकॉन ही नहीं रहेगा। आवश्यकता है इसको हर एक घर, हर एक जगह फहराने की जहां इसे उचित सम्मान मिले।

ये सब बातें चल ही रही थीं दिमाग में फिर अचानक से एक जिज्ञासा सी उमड़ी कि देश के सम्मान के लिए लड़ाई लड़ रहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही क्यों नहीं देता अपने तिरंगे को सम्मान? क्यों उनका ध्वज तिरंगा ना होकर भगवा है? क्यों नहीं उनके संस्थानों पर तिरंगा ना फहर कर सिर्फ भगवा ध्वज फहरता है?

जिस तरह देश का एक राष्ट्रगान, एक राष्ट्रगीत है और किसी को भी अधिकार नहीं है अपना खुद का राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत बनाने का उसी प्रकार देश का एक ही राष्ट्र ध्वज है और हर संस्था को उसी का सम्मान करना अनिवार्य है, कोई भी संस्था इस अनिवार्यता से इतर कैसे हो सकती है?

अगर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का इतिहास देखा जाए तो इसकी स्थापना 27 सितम्बर 1925 में Keshav Baliram Hedgewar ने की थी और तब से पूरे देश में हर जगह अनेकों शाखाएं और अनुयायी हैं.

अगर इतिहास में झाँकें तो पता चलेगा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कभी भी तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज का दर्जा नहीं दिया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 17 जुलाई 1947 को तिरंगे की जगह भगवा को ही राष्ट्रीय ध्वज बनाने की डिमांड की थी और जब 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय ध्वज की उपाधि दी गयी तो सबसे पहले निंदा करने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ थी.

14 अगस्त 1947 को इन्होंने अपनी पत्रिका में एक कालम भी छापा – “Mystery behind the Bhagwa Dhwaj”

“The people who have come to power by the kick of fate may give in our hands the Tricolor but it never be respected and owned by Hindus.The word three is in itself an evil, and a flag having three colours will certainly produce a very bad psychological effect and is injurious to a country”

“Our leaders have set up a new flag for the country. Why did they do so? It just is a case of drifting and imitating…Ours is an ancient and great nation with a glorious past. Then, had we no flag of our own? had we no national emblem at all these thousands of years? Undoubtedly we had. Then why this utter void, this utter vacuum in our minds”

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 14 अगस्त 1947 को अपने नागपुर ब्रांच में और 26 जनवरी 1950 को तिरंगा फहराया था उसके बाद 15 अगस्त  2017 में आरएसएस द्वारा फहराया गया तिरंगा.

एक सच्चे देशभक्त की तरह ये हम सभी का कर्तव्य है कि देश के साथ मिलकर, देश की उन्नति के लिए कर्म करें, अपनी मनमर्जी से नहीं। अगर हम चाहते हैं कि पूरा विश्व देश का सम्मान करें, तिरंगे का सम्मान करें तो पहले ये काम तो हमें करना चाहिए। सम्मान की शुरुआत तो घर से होनी चाहिए।

अंत में फिर से वही सवाल, देश के लिए लड़ने वाले आखिर क्यों नहीं करते देश की शान का सम्मान?

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English summary :
Why Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS is against the Indian Tricolor Hoisting


Web Title: Why Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS is against the Indian Tricolor Hoisting

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