दक्षिण भारत में राहुल गांधी पीएम के तौर पर पहली पसंद! फिर उत्तर भारत क्यों है मोदीमय?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 3, 2020 08:42 AM2020-02-03T08:42:38+5:302020-02-03T08:42:38+5:30

एक सर्वे की माने तो, जनता ने देश का नेतृत्व करने वाले नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली पसंद बताया, लेकिन ऐसा केवल उत्तर भारत के राज्यों में है। दक्षिण भारत में लोगों ने नरेंद्र मोदी की तुलना में राहुल गांधी को पहली पसंद बताया!

Why Rahul Gandhi first choice for Prime minister in South India and Narendra modi in North | दक्षिण भारत में राहुल गांधी पीएम के तौर पर पहली पसंद! फिर उत्तर भारत क्यों है मोदीमय?

दक्षिण भारत राहुल गांधी तो उत्तर भारत मोदीमय! (फाइल फोटो)

Highlightsनेशनल ट्रस्ट सर्वे में राहुल गांधी को दक्षिण भारत के लोगों ने बताया पीएम मोदी के मुकाबले पहली पसंदउत्तर भारत के राज्यों में नरेंद्र मोदी पीएम के लिए लोगों की पहली पसंद, 35,000 लोगों से ली गई राय

देश का नेतृत्व करने वाले नेता के रूप में आज भी जनता के बीच नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के नाम ही सबसे आगे हैं! खबर है कि कुछ समय पहले पेरिस स्थित ग्लोबल मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस ने देश के 23 राज्यों की लगभग 320 लोकसभा सीटों पर यह सर्वे किया था.

नेशनल ट्रस्ट सर्वे में इन इलाकों के करीब 35,000 लोगों से देश की राजनीति को लेकर उनकी राय पूछी गई, जिसमें ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों के लोग शामिल थे.

सर्वे की माने तो, जनता ने देश का नेतृत्व करने वाले नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली पसंद बताया, लेकिन ऐसा केवल उत्तर भारत के राज्यों में है। दूसरी ओर दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों ने प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की तुलना में राहुल गांधी को पहली पसंद बताया!

बड़ा सवाल यह है कि- क्यों? उत्तर भारत मोदीमय और दक्षिण भारत में राहुलराज है! इसका सबसे बड़ा कारण तो भाषा है. देश में लंबे समय से राहुल गांधी की इमेज खराब करने का अघोषित अभियान चल रहा है और इसमें काफी हद तक उत्तर भारत में कामयाबी भी मिली है. क्योंकि, राहुल को अक्षम और अज्ञानी साबित करने का यह अभियान हिन्दी में है, लिहाजा इसका असर हिन्दी राज्यों में ज्यादा है. दक्षिण भारत में इसका असर बहुत कम है.

दक्षिण भारत में एक तो कांग्रेस की पकड़ पहले से ही मजबूत है और बीजेपी को यहां आगे बढ़ने में भी काफी परेशानी है. धार्मिक नजरिए से भी देखें तो बीजेपी के हिन्दूत्व से दक्षिण भारत के हिन्दूत्व में फर्क है, लिहाजा वहां राजनीति में हिन्दू धर्म का असर तो है, लेकिन बीजेपी के लिए उसमें प्रवेश आसान नहीं है?

याद रहे, कभी बीजेपी के करीब रहे साउथ के सुपर स्टार रजनीकांत ने भी, दक्षिण भारत के लोगों का बीजेपी के प्रति नजरिया देखने के बाद, बीजेपी से दूरी बना ली है. कोई क्षेत्रीय दल भी बीजेपी के साथ खुलकर इसीलिए नहीं आना चाहता है कि इससे बीजेपी को तो थोड़ा फायदा भले ही हो जाए, उस क्षेत्रीय दल का बड़ा नुकसान हो जाएगा?

कहने को कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में है, लेकिन वहां सबकुछ सीएम बीएस येदियुरप्पा के नियंत्रण में है. वहां उनके तौर-तरीकों से ही प्रादेशिक सरकार बनी और चल रही है. बीजेपी के पास दक्षिण भारत में प्रभावी बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी अभाव है. यही नहीं, सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेता पार्टी लाइन से अलग अपना नजरिया पेश करते रहे हैं. 

इस वक्त बीजेपी का केन्द्रिय नेतृत्व जिन नेताओं के हाथ में है, वे दक्षिण भारतीय भाषाएं नहीं जानते हैं. उत्तर भारत में तो हिन्दी सभी प्रदेशों में बोली और समझी जाती है, लेकिन दक्षिण भारत में कोई एक ऐसी भाषा नहीं है, इसलिए बीजेपी को यहां पकड़ बनाने में खासी परेशानी है.

उत्तर भारत में कांग्रेस कमजोर ही सही, हर जगह मौजूद है, लिहाजा जब भी सियासी हवा की दिशा बदलेगी, कांग्रेस फिर से केन्द्र सरकार की गद्दी पर कब्जा जमा लेगी.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले, जहां बीजेपी को दक्षिण भारत में विस्तार करना होगा, वहीं उत्तर भारत में अपने वोटबैंक को बचाए रखना होगा, वरना देश के नेतृत्व के लिए जनता की पसंद का क्रम बदल भी सकता है!

Web Title: Why Rahul Gandhi first choice for Prime minister in South India and Narendra modi in North

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