भारत क्यों दबे अमेरिका से?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 17, 2018 08:37 AM2018-09-17T08:37:23+5:302018-09-17T08:37:23+5:30
वे भारत के साथ सामरिक संचार का समझौता कर गए और अपना माल बेचने की हवा बना गए। भारत को क्या मिला? भारत का कौन-सा फायदा हुआ?
अमेरिका के रक्षा मंत्नी जेम्स मैटिस और विदेश मंत्नी माइक पोंपियो अभी पिछले हफ्ते ही भारत होकर गए हैं। फिर क्या वजह है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को वाशिंगटन जाना पड़ा है? अखबार कहते हैं कि वे दोनों देशों के मंत्रियों की वार्ता को आगे बढ़ाने गए हैं। दोनों देशों के मंत्रियों ने अपनी बातचीत के बाद दिल्ली में यह प्रभाव छोड़ा था कि ईरान और रूस के मामले में अमेरिका भारत को छूट दे देगा। भारत पर अमेरिका यह दबाव नहीं डालेगा कि वह ईरान से तेल और रूस से हथियार न खरीदे।
लेकिन लगता यह है कि वाशिंगटन पहुंचते ही डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दोनों मंत्रियों की परेड ले ली है। इसीलिए अमेरिकी सरकार की एक उप-मंत्नी ने दो-तीन दिन पहले एक बयान में दो-टूक शब्दों में कहा कि अमेरिका ऐसे किसी भी देश को बख्शनेवाला नहीं है, जो ईरान से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा। उसने यह बात चीन, भारत, जापान और यूरोप का नाम लेकर कही है। दूसरे शब्दों में मैटिस और पोंपियो की भारत-यात्ना खाली झुनझुना सिद्ध हो गई है। वे भारत के साथ सामरिक संचार का समझौता कर गए और अपना माल बेचने की हवा बना गए। भारत को क्या मिला? भारत का कौन-सा फायदा हुआ?
यह स्पष्ट है कि यदि भारत ईरान से तेल खरीदना बंद कर देगा तो उसे काफी महंगे भाव पर अन्य सुदूर देशों से मंगाना होगा। तेल की कीमतें बढ़ेंगी और उसके साथ-साथ सरकार का सिरदर्द भी। अमेरिका ने ईरान के साथ हुए परमाणु-सौदे को रद्द कर दिया है और वह उसे दंडवत करवाना चाहता है। उसे इसकी परवाह नहीं है कि इस कारण भारत का दम फूल सकता है। इस संबंध में भारत को जरा सख्ती से पेश आना चाहिए। अमेरिकी दबाव के आगे बिल्कुल नहीं झुकना चाहिए और यदि अमेरिका निवेदन करे तो ईरान और उसके बीच वह मध्यस्थता भी कर सकता है।