कृष्णप्रताप सिंह का ब्लॉग: अयोध्यावासियों ने भाजपा को क्यों हराया?
By कृष्ण प्रताप सिंह | Updated: June 7, 2024 12:47 IST2024-06-07T12:47:19+5:302024-06-07T12:47:47+5:30
आज नहीं तो कल उसे इस सवाल की पड़ताल करनी ही होगी कि अयोध्यावासियों ने उसकी किस गलती को नाकाबिल-ए-माफी मानकर उसे यह सजा सुनाई है?

कृष्णप्रताप सिंह का ब्लॉग: अयोध्यावासियों ने भाजपा को क्यों हराया?
इस लोकसभा चुनाव में भगवान राम की जन्मभूमि के मतदाताओं ने जिस तरह भाजपा की कलाई मरोड़कर फैजाबाद लोकसभा सीट (जिसमें अयोध्या समाहित है) उससे छीनी और उसकी प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की झोली में डाल दी है, नि:स्संदेह, उसका त्रास भाजपा को अरसे तक बेचैन किए रखेगा.
इसलिए आज नहीं तो कल उसे इस सवाल की पड़ताल करनी ही होगी कि अयोध्यावासियों ने उसकी किस गलती को नाकाबिल-ए-माफी मानकर उसे यह सजा सुनाई है?
जिन भगवान राम के मंदिर निर्माण के मुद्दे ने उसे उसके दो लोकसभा सीटों वाले पतझड़ से ‘दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी’ के बसंत तक पहुंचाया और अवसर हाथ आने पर जिनकी नगरी को ‘भव्य’ व ‘दिव्य’ बनाने में उसने कुछ भी उठा नहीं रखा, उसके निवासियों ने क्यों इस बार उसे लोकसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने लायक भी नहीं समझा?
दरअसल, अयोध्या को हमेशा संतुलन रखने की आदत है और अति किसी भी तरह की क्यों न हो, आमतौर पर न वह उसे स्वीकार करती है, न ही उसके सामने सिर झुकाती है.
हां, वह उससे सीधे भिड़ती भी नहीं, लेकिन पहला मौका हाथ आते ही उसका हिसाब-किताब बराबर कर उसे चलता कर देती है. क्या आश्चर्य कि अयोध्या की सैकड़ों परियोजनाओं पर केंद्र व प्रदेश सरकार के राजकोष से कोई पचास हजार करोड़ रुपए खर्च करवाकर भी भाजपा वह मतदाताओं को आकर्षित नहीं कर पाई.
निर्माणाधीन राममंदिर में दर्शन-पूजन के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं व पर्यटकों की सुख-सुविधा के लिए अयोध्या में पिछले साल सड़कें चौड़ी करने का अभियान चला तो समुचित मुआवजे व पुनर्वास के वादे निभाये बिना नागरिकों के हजारों घरों, दुकानों व प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर दिया गया. इससे वे नाराज हुए.
अयोध्या के सांसद व भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह एक वीडियो में संविधान बदलने के लिए उसकी सफलता को जरूरी बताते नजर आए. दलित व पिछड़ी जातियों के मतदाता इस अंदेशे में सपा के बैनर तले एकजुट हो गए कि उनके पास बाबासाहब के संविधान और उसके दिए आरक्षण को बचाने का यह अंतिम अवसर है.
वे दलित और पिछड़े भी जो 2019 में अलग-अलग कारणों से भाजपा की ओर चले गए थे, उसकी ओर से मुंह मोड़कर वापस लौट आए. 1989 में भाजपा व कांग्रेस दोनों से खफा अयोध्या ने पिछड़ी जाति का वामपंथी सांसद चुन लिया था, जबकि इस बार भाजपा से खफा होकर समाजवादी को सांसद चुन लिया है.